चीन में अब ईश्वर की प्रार्थना पर बैन

punjabkesari.in Saturday, Oct 14, 2017 - 03:08 PM (IST)

बीजिंगःचीन में अब नया फरमान जारी हुआ है जिसके तहत ईश्वर की प्रार्थना पर बैन लगा दिया गया है। सरकारी समाचार पत्र ने कम्युनिस्ट पार्टी के अधिकारियों को चेतावनी दी है कि वे ईश्वर की प्रार्थना नहीं करें या धार्मिक नेताओं के साथ घुले मिलें नहीं क्योंकि कम्युनिस्ट यानी साम्यवाद नास्तिकता पर आधारित है। पार्टी के आधिकारिक समाचार पत्र पीपुल्स डेली ने एक टिप्पणी में कहा कि हाल के वर्षों में "भ्रष्टाचार" के चलते कई अधिकारियों को हटाया गया है। वे लोग "सामंतवादी अंधविश्वासी गतिविधियों" में भी शामिल हुए हैं।
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अखबार में कहा गया है कि कुछ अधिकारी अक्सर मठों में जाते हैं, भगवान से प्रार्थना करते हैं और बुद्ध की पूजा करते हैं। कुछ अधिकारी धर्म गुरुओं के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े होने को बेताब रहते हैं और उन्हें भाई मानकर आपसी भाई-चारा बढ़ाने की कोशिश करते हैं। जानकारी के अनुसार चीन में ईसाइयों की संख्या (10 करोड़) से अधिक हो गई है, जो अब चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (8.5 करोड़) सदस्यों से ज्यादा है। कुछ लोगों का अनुमान है कि साल 2030 तक चीन भी ईसाई देश होगा। पीपुल्स डेली में लिखा गया है कि  चीन ने आधिकारिक रूप से ईसाई धर्म, बौद्ध धर्म और इस्लाम जैसे प्रमुख विश्वास प्रणालियों के लिए धर्म की स्वतंत्रता की गारंटी दी है, तो पार्टी के सदस्यों को नास्तिकता का पालन करना चाहिए।

चीन के ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक, पार्टी के सदस्यों का धार्मिक विश्वास नहीं होना चाहिए। धार्मिक मामलों के राज्य प्रशासन के निदेशक वांग झुओन ने कहा कि पार्टी के सदस्यों को मार्क्सवादी नास्तिकता में दृढ़ विश्वास होना चाहिए। सदस्यों को पार्टी के नियमों का पालन करना चाहिए और पार्टी के विश्वास में रहना चाहिए। उन्हें धर्म में सिद्धांतो और विश्वास रखने की अनुमति नहीं है। वैंग ने बताया कि "विदेशी सेना" धर्म का उपयोग "चीन में घुसपैठ कर रही है", जो देश की सुरक्षा के लिए खतरा है।

उन्होंने कहा, "कुछ विदेशी बलों ने चीन को घुसपैठ करने के लिए धर्म का इस्तेमाल किया है। कुछ जगहों पर आतंकवाद और अवैध धार्मिक गतिविधियां फैल रही हैं, जिन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा और सामाजिक स्थिरता के लिए खतरा हैं। यहां ईसाई बढ़ते दबाव में आ गए हैं। झेजियांग के तटीय प्रांत में 2,000 से ज्यादा चर्च ध्वस्त किए गए हैं और सैकड़ों पादरियों और मानवाधिकार वकीलों को पुलिस बंदी बना रही है। हालांकि, शंघाई विश्वविद्यालय से एक अध्ययन के मुताबिक, 60 प्रतिशत से अधिक छात्र ईसाईयत के बारे में अधिक जानने में रुचि रखते हैं। आधिकारिक तौर पर मान्यता प्राप्त समुदायों और भूमिगत चर्च दोनों में युवा विश्वासियों की संख्या बढ़ रही है।


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