क्या शेयर बाजार का जोश हो गया ठंडा? छह महीने में 20 लाख एक्टिव इनवेस्टर्स ने डीमैट अकाउंट किए बंद
punjabkesari.in Friday, Jul 11, 2025 - 03:22 PM (IST)

नेशनल डेस्क: साल 2025 की शुरुआत भारतीय शेयर बाजार के लिए बेहद दमदार रही। सेंसेक्स और निफ्टी ने नए रिकॉर्ड बनाए, निवेशकों को शानदार रिटर्न भी मिले। लेकिन इसके बावजूद एक चौंकाने वाला ट्रेंड देखने को मिला है। देश की चार बड़ी ब्रोकिंग कंपनियों — ग्रो (Groww), जीरोधा (Zerodha), एंजल वन (Angel One) और अपस्टॉक्स (Upstox) — ने इस साल के पहले छह महीनों में करीब 20 लाख एक्टिव इनवेस्टर्स को खो दिया है। यानी जिस तेजी से डीमैट अकाउंट खुल रहे थे, अब उतनी ही तेजी से डीएक्टिवेशन और इनएक्टिविटी भी बढ़ रही है।
जून 2025 में ही छह लाख से ज्यादा यूजर्स ने बनाई दूरी
मात्र जून महीने की बात करें तो अकेले जून 2025 में ही इन चारों प्रमुख ब्रोकिंग प्लेटफॉर्म्स से 6 लाख से ज्यादा यूजर्स ने दूरी बना ली है। इस गिरावट का असर खासतौर पर उन निवेशकों पर पड़ा है जो हाल के वर्षों में ट्रेडिंग से जुड़े थे, खासकर नई पीढ़ी के युवा निवेशक।
कंपनी दर कंपनी घाटे का हाल
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ग्रो (Groww): 6 लाख एक्टिव यूजर्स कम हुए
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जीरोधा (Zerodha): 5.5 लाख यूजर्स ने छोड़ा
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एंजल वन (Angel One): 4.5 लाख इनवेस्टर्स हुए दूर
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अपस्टॉक्स (Upstox): 3 लाख से ज्यादा यूजर्स ने अकाउंट इनएक्टिव किया
यह सब उस समय हुआ जब शेयर बाजार अच्छा परफॉर्म कर रहा था। यानी परफॉर्मेंस के बावजूद यूजर ट्रस्ट और भागीदारी में गिरावट दिख रही है।
तो फिर सवाल उठता है - क्यों घट रही है लोगों की दिलचस्पी?
1. जल्दी मुनाफा पाने की जल्दबाज़ी
विशेषज्ञों का मानना है कि बड़ी संख्या में रिटेल इनवेस्टर्स और नए ट्रेडर्स इस उम्मीद से बाजार में आए थे कि उन्हें जल्दी और बड़ा मुनाफा मिलेगा। लेकिन बाजार की हकीकत कुछ और निकली। जब उन्हें नुकसान हुआ या उम्मीद के मुताबिक फायदा नहीं मिला तो उन्होंने पीछे हटना ही बेहतर समझा।
2. बाजार की अस्थिरता और महंगे शेयर
बीते कुछ महीनों में बाजार में भारी उतार-चढ़ाव देखा गया है। शेयरों की कीमतें भी काफी बढ़ गई हैं, जिससे छोटे निवेशकों के लिए इसमें बने रहना मुश्किल हो गया है।
3. नीतियों में बदलाव और भ्रम की स्थिति
लगातार बदलती सरकारी और रेगुलेटरी नीतियों ने भी निवेशकों को सोचने पर मजबूर कर दिया है। टैक्सेशन, डीमैट फीस, और नए ट्रेडिंग नियमों के चलते कई निवेशक खुद को असहज महसूस करने लगे हैं।
क्या यह एक स्वाभाविक छंटनी है?
बाजार के अनुभवी जानकार इस ट्रेंड को “स्वाभाविक छंटनी” (natural correction) मानते हैं। उनका कहना है कि: "जो लोग सिर्फ शॉर्ट टर्म के लिए बाजार में आए थे, और जिन्हें शेयर बाजार की सही समझ नहीं थी, वे धीरे-धीरे बाहर हो रहे हैं। यह एक नेचुरल प्रोसेस है जो हर तेजी के बाद आता है।"
शेयर बाजार की लोकप्रियता खत्म नहीं हुई
हालांकि, ऐसा बिल्कुल नहीं है कि शेयर बाजार का क्रेज पूरी तरह खत्म हो गया है। बल्कि अब यह ज्यादा परिपक्व होता दिख रहा है। जो लोग लंबी अवधि के निवेश को समझते हैं, उनके लिए बाजार आज भी बेहतर प्लेटफॉर्म बना हुआ है। आज का निवेशक पहले से कहीं ज्यादा जानकारी रखता है। वह सिर्फ सोशल मीडिया या टिप्स पर भरोसा करने के बजाय खुद रिसर्च करता है। यही बदलाव बाजार की क्वालिटी और स्थिरता को बेहतर बना रहे हैं।