अमेठी और रायबरेली में सियासी जंग को लेकर क्यों दुविधा में है गांधी परिवार ?

punjabkesari.in Thursday, Apr 04, 2024 - 09:14 AM (IST)

नेशनल डेस्क: आगामी लोकसभा चुनाव में अमेठी और रायबरेली की सीटों पर गांधी परिवार अपने उम्मीदवारों की घोषणा करने को लेकर दुविधा में नजर आ रहा है। माना जा रहा था कि दोनों सीटों पर कांग्रेस राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा को मैदान में उतारेगी, हालांकि कांग्रेस अभी यह तय नहीं कर पाई है। इसी बीच राहुल गांधी वायनाड़ से अपना नामांकन दाखिल भी कर चुके हैं।

कांग्रेस जारी कर चुकी है 12 सूचियां
एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि इस बार होने वाले चुनाव के लिए कांग्रेस उम्मीदवारों की 12 सूचियां जारी कर चुकी हैं, लेकिन इस सूचियों में अमेठी और रायबरेली सीट का नाम नहीं है। हालांकि  साल 2019 में लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस की पहली सूची जारी हुई थी, जिसमें 11 उम्मीदवार उत्तर प्रदेश और चार गुजरात से थे। इस दौरान अमेठी और रायबरेली दोनों सीटों से उम्मीदवारों की घोषणा की गई थी।

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क्या यह कांग्रेस की रणनीतिक चुप्पी है?
लंबे समय से कांग्रेस का इन दोनों सीटों पर कब्जा रहा है लेकिन बीते चुनाव में अमेठी सीट पर कांग्रेस को हार मिली थी। अब इस सीट से कौन चुनाव लड़ेगा, इसको लेकर अभी सस्पैंस बना हुआ है। हालांकि तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को वायनाड से भी चुनाव लड़ाया गया था और इस बार भी उन्होंने इस सीट से अपना नामांकन दाखिल कर दिया है। कांग्रेस के आला नेताओं के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेठी और रायबरेली से राहुल और प्रियंका गांधी वाड्रा मैदान में होंगी या नहीं इस पर पार्टी ने रणनीतिक चुप्पी साध रखी है।

सही समय पर की जाएगी घोषणा
कांग्रेस नेताओं का कहना है कि अभी अमेठी और रायबरेली में चुनाव होने में काफी समय है क्योंकि ये 20 मई को पांचवें चरण में होगा और इसके नामांकन की आखिरी तारीख 3 मई है।  यहां सबसे दिलचस्प बात ये भी है कि महाराजगंज, देवरिया, बांसगांव और वाराणसी जैसी सीटों पर पार्टी पहले ही उम्मीदवार घोषित कर चुकी है, जहां अंतिम चरण में 1 जून को मतदान होना है। अमेठी, रायबरेली के अलावा कांग्रेस प्रयागराज और मथुरा सीट से भी अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं कर पाई है। रिपोर्ट कहती है कि अमेठी और रायबरेली से उम्मीदवार न घोषित होने को लेकर पार्टी के अंदर अलग-अलग राय है। एक धड़ा मानता है कि इस पर कोई अनिश्चितता या भ्रम नहीं है कि राहुल-प्रियंका को यू.पी. से चुनाव लड़ना चाहिए क्योंकि देश की सत्ता की यात्रा में हिंदी भाषी राज्य बेहद जरूरी हैं और इसकी घोषणा सही समय पर की जाएगी।

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राहुल के चुनाव न लड़ने से क्या होगा
कांग्रेस के एक नेता ने तो यहां तक कहा है कि राहुल गांधी अगर अमेठी से चुनाव नहीं लड़ते हैं तो इससे सियासी अखाड़े में गलत संदेश जाएगा और ऐसे निर्णय से गांधी परिवार फिर से भाजपा के निशाने पर आ जाएगा। भाजपा को मुद्दा मिल जाएगा और वह कैंपेन चला देंगे कि गांधी परिवार मैदान छोड़कर भाग गया। हालांकि एक अन्य नेता ने रिपोर्ट में कहा कि अभी दोनों भाई-बहन अपने विकल्पों को तौल रहे हैं। वह कहते हैं कि दोनों को चुनाव अभियान के लिए देशभर में यात्रा करनी होगी, इसलिए वे नहीं चाहते हैं कि अपने-अपने चुनाव क्षेत्रों में बंधे रहें।

भाजपा का चुनाव प्रचार हो सकता है आक्रामक
राजनीतिक जानकारों का यह भी कहना है कि राहुल और प्रियंका दोनों बीते दो साल से अमेठी और रायबरेली नहीं गए हैं। चुनाव लड़ने या न लड़ने का फैसला गांधी परिवार के पास है। इस फैसले पर सत्तारूढ़ कैसे अपनी प्रतिक्रिया देगा इस पर भी कांग्रेस गहन मंथन कर रही है। अगर दोनो भाई-बहन इस सीट पर चुनाव लड़ते हैं तो भाजपा यह भी प्रचार शुरु कर सकती है कि परिवारवाद को बढ़ावा देने के लिए तीनों गांधी संसद में अपने लिए जगह बना रहे हैं।

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खरगे के परिवार के ती लोग राजनीति में  
रिपोर्ट में यह भी जिक्र किया गया है कि कांग्रेस ने मल्लिकार्जुन खरगे के दामाद राधा कृष्ण डोड़ामणि को कर्नाटक के गुलबर्ग से चुनावी मैदान में उतारा है, जिसके बाद कांग्रेस अध्यक्ष के परिवार से तीन लोग चुनावी राजनीति में हैं। खड़गे राज्यसभा में विपक्ष के नेता हैं और उनके बेटे प्रियांक कर्नाटक के सिद्धारमैया सरकार में मंत्री हैं। बहरहाल अब इंतजार करना होगा कि उक्त दोनों सीटों पर कांग्रेस की चुनावी रणनीति क्या रहेगी।


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Content Editor

Mahima

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