सियासी जंग में दोस्ताना भूली भाजपा और बीजद, ओडिशा की सत्ता के लिए अब जबरदस्त संग्राम

punjabkesari.in Thursday, Apr 04, 2024 - 09:28 AM (IST)

नेशनल डेस्क: ओडिशा में बीजू जनता दल (बीजद) और भाजपा ने सियासी जंग को जीतने के लिए फिलहाल अपने दोस्ताना ताल्लुक किनारे पर रख दिए हैं। दोनों ही राजनीतिक दलों की लोकसभा और विधानसभा चुनावों में औपचारिक गठबंधन के लिए वार्ता विफल होने के बाद गंभीरता से एक दूसरे को कड़ी टक्कर देने के लिए तैयार हैं। दोनों दलों ने अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए मजबूत चेहरे चुनावी दंगल में उतारे हैं।

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विधानसभा और लोकसभा चुनाव का बदला परिदृश्य
5 मार्च को केंद्रीय परियोजनाओं का उद्घाटन करने के लिए जाजपुर की यात्रा के दौरान मोदी ने नवीन पटनायक को लोकप्रिय सी.एम. कहा था और उनके दिवंगत पिता पूर्व मुख्यमंत्री बीजू पटनायक की विरासत की भी प्रशंसा की थी। इससे यह अटकलें लगने लगीं कि भाजपा और बीजद के बीच गठबंधन निश्चित है। हालांकि अब यह परिदृश्य पूरी तरह से बदल चुका है। राज्य की 147 विधानसभा और 21 लोकसभा सीटों पर इस बार भाजपा और बीजद के बीच कांटे की टक्कर होने की संभावना है।

धर्मेंद्र प्रधान के खिलाफ उतारा मजबूत चेहरा
बीजद भाजपा की राहें रोकने के लिए हर लोकसभा व विधानसभा सीट पर मजबूत उम्मीदवार उतारने को तैयार है। बीजद ने भाजपा के पोस्टर बॉय केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के खिलाफ बीजद के संगठनात्मक सचिव  दिग्गज नेता प्रणब प्रकाश दास को संभलपुर सीट से मैदान में उतारा है। पश्चमी ओडिशा की इस सीट पर लंबे अरसे से धर्मेंद्र प्रधान के लिए भाजपा ने चुनाव प्रचार अभियान छेड़ रखा है। जानकारों का कहना है कि जानकारों का मानना हे कि राज्य के तटीय क्षेत्र जाजपुर विधानसभा सीट से तीन बार के बीजद विधायक दास का संबलपुर सीट से चुनाव लड़ना भाजपा को चुनावी रण में रोकने के लिए बीजद की गंभीरता को दर्शाता है। 1990 के दशक के जनता दल नेता दिवंगत अशोक दास के बेटे प्रणब प्रकाश दास को पिछले साल मार्च में संबलपुर के लिए बीजद के पर्यवेक्षक के रूप में नियुक्त किया गया था। बीजद को पूरा अंदेशा था कि वह इस सीट से भाजपा प्रधान को मैदान में उतारेगी।

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भाजपा के दिग्गज मैदान में
भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बैजयंत पांडा केंद्रपाड़ा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे, जिसे उन्होंने 2014 में बीजद उम्मीदवार के रूप में जीता था। वह 2019 में भाजपा उम्मीदवार के रूप में चुनाव हार गए थे। इस सीट पर बीजद ने पूर्व मंत्री दिवंगत नलिनी कांता मोहंती के बेटे अंशुमान मोहंती को चुना है, जो हाल ही में कांग्रेस छोड़कर बीजद में शामिल शामिल हुए हैं। मोहंती केंद्रपाड़ा के अंतर्गत आने वाली सात विधानसभा सीटों में से एक राजनगर से पूर्व कांग्रेस विधायक हैं।

भुवनेश्वर में भी कड़ा मुकाबला
भुवनेश्वर लोकसभा सीट पर भी दोनों पार्टियों के बीच कड़ी टक्कर की तैयारी है। बीजद ने पूर्व वाणिज्यिक पायलट और छह बार के कांग्रेस विधायक सुरेश चंद्र राउत्रे के छोटे बेटे मन्मथ राउत्रे को मैदान में उतारा है। वह भाजपा की राष्ट्रीय प्रवक्ता और भुवनेश्वर से मौजूदा सांसद अपराजिता सारंगी से मुकाबला करेंगे। जिन अन्य सीटों पर बीजद और भाजपा के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिल सकती है उनमें सुंदरगढ़ लोकसभा सीट भी शामिल है जहां बीजद ने हॉकी इंडिया के अध्यक्ष दिलीप टिर्की को भाजपा उम्मीदवार और पूर्व केंद्रीय मंत्री जुएल ओराम के खिलाफ मैदान में उतारा है।

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बीते चुनाव में क्या थे समीकरण
2019 के चुनावों में बीजद ने 42.8 प्रतिशत वोट हासिल करके 21 लोकसभा सीटों में से 12 सीटें जीती थीं, जबकि भाजपा ने 38.4 प्रतिशत वोटों के साथ आठ सीटें जीती थीं और कांग्रेस ने 13.4 प्रतिशत वोट शेयर के साथ एक सीट जीती थी। ओडिशा की 147 विधानसभा सीटों पर बीजद और भाजपा के बीच भी कड़ा मुकाबला होने की संभावना है क्योंकि सत्तारूढ़ दल ने अपने अधिकांश मौजूदा मंत्रियों और विधायकों को मैदान में उतारा है। 2019 के चुनाव में बीजद ने 112 सीटें जीती थीं, जबकि भाजपा ने 23 और कांग्रेस ने 9 सीटें जीती थीं। हालांकि इस बार कांग्रेस को बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है क्योंकि वह अपने प्रतिद्वंद्वियों के बीच पर्दे के पीछे के गठजोड़ के खिलाफ खुद को खड़ा करने की कोशिश कर रही है।


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Content Editor

Mahima

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