VIDEO : धरती पर बिना पैर रखे चलते हैं यहां के लोग, ये कैसी परंपरा...जानिए वजह

punjabkesari.in Saturday, May 18, 2024 - 02:42 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्क: सोशल मीडिया पर आए दिन कुछ ना कुछ वायरल होता रहता है। इन वीडियो के चलते कई लोग रातों रात शोहरत की सीड़ियों को चढ़ जाते हैं। इसी बीच अपनी असाधारण स्टिल्ट वॉकिंग परंपरा के लिए प्रसिद्ध, इथियोपिया के लोगों की इस अनोखी वीडियो ने सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है। वैसे तो दुनिया में कई ऐसी जनजातियां हैं जिनके तौर-तरीके लोगों को भले ही अलग लगें, पर ये अपनी मान्यताओं और रिवाजों को वे हमेशा कायम रखते हैं। ऐसी ही एक अफ्रीका जनजाति है यहां के लोग लकड़ी के डंडों पर चलते हैं। इसे स्टिल्ट्स वॉकिंग भी कहा जाता है। इसमें सामान्य ऊंचाई से ऊपर उठकर चलने के उद्देश्य से पैरों पर खड़े होने के लिए सीढ़ियां का सहारा लिया जाता है और उन्हें पैरों से जोड़ने के लिए पट्टियों का भी इस्तेमाल किया जाता है। 

बता दें कि स्टिल्ट वॉकिंग लंबे समय से चली आ रही है, या तो कृषि उपयोग के लिए, घरेलू उपयोग के लिए या दलदली जमीन के माध्यम से यात्रा को आसान बनाने के लिए जैसा कि 1800 के दशक के अंत में फ्रांस में कुछ समुदायों द्वारा किया गया था। अब प्रश्न यह उठता है कि वे इन ऊँची लकड़ियों पर आखिर क्यों चलते हैं? वो पैरों पर चलने से क्यों बचते हैं? एक वेबसाइट की रिपोर्ट के अनुसार इथियोपिया में एक बन्ना नाम की जनजाति रहती है। इन्हें बेना, बान्या, या बेन्ना नाम से भी जाना जाता है। इनका मुख्य काम खेती करना, शिकार करना और मवेशियों को चराना है। इस जनजाति में से कुछ इस्लाम को मानते हैं, जबकि कुछ ईसाई मान्यता के हैं। इन लोगों को बांस की लकड़ियों पर चलने के लिए जाना जाता है। चलिए जानते है इस जनजाती के बारे में...

वैसे तो इस तरह की प्राचीन कला अब आम तौर पर त्योहारों, परेडों और सड़क कार्यक्रमों में देखी जाती है, जिसका इस्तेमाल बड़े पैमाने पर मनोरंजन के लिए किया जाता है। लेकिन इथियोपिया के बन्ना लोगों के बीच, जो ओमो नदी के पूर्व में स्थित शुष्क भूमि में रहते हैं, ये लोग ऐसा तब करते हैं जब अपने मवेशियों को चराने जाते हैं। कई बार मवेशियों पर जंगली जानवर हमला कर देते हैं। उनसे बचने के लिए ये लोग लकड़ी का सहारा लेते हैं। लेकिन आज, यदि आप लोअर ओमो क्षेत्र नामक उस क्षेत्र में जाते हैं जहां बन्ना आमतौर पर रहते हैं, तो आप पाएंगे कि स्टिल्ट पर चलना ज्यादातर युवा लड़कों के लिए एक मजेदार बात बन गई है, जिससे वे दूसरों की तुलना में अधिक लंबे हो जाते हैं। 

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

A post shared by Mamaru Ethiopian Tours (@mamaruethiopiantours)


एक सांस्कृतिक प्रतीक के लिए व्यावहारिक आवश्यकता
इस वायरल वीडियो में बच्चों को एक चुनौतीपूर्ण इलाके में चलते हुए देखा जा रहा है। वे इसके साथ आत्मविश्वास के साथ चलते हैं। वे इस कौशल को अपने दैनिक जीवन में सहजता से शामिल करते हैं। इसकी मूल आवश्यकता मवेशियों को चराते समय वन्यजीवों से बचाव करना या सांपों जैसे ज़मीन पर रहने वाले खतरों से बचना है। 

नेटिजनों का कहना है कि- यह आसान नहीं है
6 दिन पहले पोस्ट किए गए इस वीडियो को अब तक 888k से ज्यादा लाइक्स मिल चुके हैं। लोगों ने इस पर टिप्पणीयां करते हुए कहा, "शुरुआती लोगों के लिए आसान नहीं है," जबकि दूसरे ने इंटरनेट से वंचित बचपन को प्रभावशाली संतुलन का श्रेय देते हुए कहा, "इंटरनेट से दूर बचपन। संतुलन अविश्वसनीय है।" वहीं किसी ने स्वीकार किया कि, "मेरा विषैला गुण यह सोचना है कि मैं पहली बार ऐसा कर सकता हूँ।" इसके पिछे के उद्देश्य के बारे में कई अन्य अलग-अलग तरह की अटकलें भी सामने आई, जिसमें सांपों से सुरक्षा जैसे अनुमान भी शामिल हैं।

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

A post shared by Mamaru Ethiopian Tours (@mamaruethiopiantours)


पैरों के उपयोग के बारे में एक मजाकिया बहस शुरू हो जाती है, जिसमें एक व्यक्ति सवाल करता है, "यदि वे ऐसा कर रहे हैं तो पैरों का उपयोग क्या है?" इसका जवाब देते हुए आगे किसी ने कहा, "स्टिल्ट्स पर खड़े होने के लिए। वे अपने पैरों के बिना स्टिल्ट्स के साथ नहीं चल सकते।" इसी बीच एक ने प्रश्न करते हुए कहा, "वे पहला कदम कैसे उठाते हैं या छड़ियों की ऊंचाई पर कैसे चढ़ते हैं?" ऐसे वायरल वीडियो न केवल उल्लेखनीय कौशल को प्रदर्शित करता है, बल्कि नेटिज़न्स के बीच आकर्षक बातचीत को भी बढ़ावा देता है, जो अनूठी प्रथा के बारे में प्रशंसा, हास्य और वास्तविक जिज्ञासा का मिश्रण दर्शाता है। 

लकड़ी पर चलने के हैं सामाजिक महत्व
जब-जब जनजाति में कोई उत्सव मनाया जाता है, तब अविवाहित युवक शरीर पर सफेद धारियां बना लेते हैं और फिर इन लकड़ियों पर चलते हैं। इसपर चलने के कई सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व भी हैं। जब युवक इन लकड़ी के डंडों पर चलते हैं तो ये बड़ों को ये दिखाता है कि युवक अब समझदार हो गए हैं, और मन और तन से भी मजबूत हो चुके हैं। वो अब जिंदगी को आगे इसी प्रकार चला सकते हैं। दरअसल, इस लकड़ी के डंडों को पैरों से चलाने में बल के साथ-साथ संतुलन और दिमाग की भी काफी जरूरत पड़ती है।

 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Editor

Mahima

Related News