Repo Rate and Reverse Repo Rate: रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट क्या होता है? जानिए इनमें अंतर
punjabkesari.in Thursday, Aug 10, 2023 - 12:25 PM (IST)

नेशनल डेस्क: भारतीय रिजर्व बैंक (reserve Bank of India) ने गुरुवार को लगातार तीसरी बार नीतिगत दर रेपो (repo) को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा है। इसका मतलब है कि मकान, वाहन समेत विभिन्न कर्जों पर मासिक किस्त (EMI) में कोई बदलाव नहीं होगा। इसके साथ ही केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए अपने आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को भी 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा है। वहीं चालू वित्त वर्ष 2023-24 के लिए मुद्रास्फीति के अनुमान को बढ़ाकर 5.4% कर दिया है। आरबीआई क्रेडिट पॉलिसी के दौरान रेपो रेट (Repo Rate) के अलावा आपने सीआरआर (CRR) और रिजर्व रेपो (Reserve Repo) जैसे टर्म भी कई बार सुने होंगे। तो आज हम आपक रेपो रेट और रिजर्व रेपो में क्या अंतर है इसके बारे में बताने जा रहे हैं।
क्या है रेपो रेट
रेपो रेट का मतलब होता है- रिजर्व बैंक द्वारा अन्य बैंकों को दिए जाने वाले कर्ज की दर। बैंक इस चार्ज से अपने ग्राहकों को लोन प्रदान करता है। रेपो रेट कम होने का अर्थ है कि कस्टमर को कम ब्याज दर पर होम लोन और व्हीकल लोन जैसे लोन मिलते हैं। उदाहरण के लिए, यदि HDFC बैंक RBI से 4.40% की दर से 10 करोड़ रुपये उधार लेता है, तो एक वर्ष के बाद HDFC बैंक को पुनर्भुगतान मूल्य के रूप में 10.24 करोड़ रुपये का भुगतान करना होगा। अगर RBI को अर्थव्यवस्था में नकदी का फ्लो बढ़ाना है, तो रेपो दर कम कर दी जाती है। इस तरह, कमर्शियल बैंक RBI से ऋण लेने तथा लोगों को पैसा ऋण देने के लिए प्रोत्साहित होते हैं। इस तरह, अर्थव्यवस्था की विकास दर में सुधार होता है।
रिवर्स रेपो रेट
यह वह दर होती है जिस पर बैंकों को उनकी ओर से आरबीआई में जमा धन पर ब्याज मिलता है। रिवर्स रेपो रेट बाजारों में कैश लिक्विडिटी को नियंत्रित करने में काम आती है। मार्केट में जब भी बहुत ज्यादा कैश दिखाई देता है तो आरबीआई रिवर्स रेपो रेट को बढ़ा देता है। इससे बैंक ज्यादा से ज्यादा ब्याज कमाने के लिए अपनी रकम उसके पास जमा करा देते हैं। मान लीडिए एक्सिस बैंक ने RBI के पास 3.35% की दर से 10 करोड़ रुपए की अतिरिक्त नकदी जमा की है, तो एक वर्ष के बाद, एक्सिस बैंक को RBI से बदले में 10.34 करोड़ रुपए मिलेंगे।