तुर्की अब बांग्लादेश में फैला रहा भारत विरोधी जहर, तुर्की समर्थित नक्शे में आधा हिंदुस्तान गायब

punjabkesari.in Sunday, May 18, 2025 - 07:04 PM (IST)

Dhaka: बांग्लादेश में तुर्की की दखलअंदाजी अब भारत की सुरक्षा के लिए एक नया खतरा बनती जा रही है। तुर्की समर्थित एक इस्लामी संगठन ‘सल्तनत-ए-बांग्ला’ ने हाल ही में एक विवादास्पद नक्शा जारी किया है जिसमें भारत के बिहार, झारखंड, ओडिशा और पूरे पूर्वोत्तर राज्यों को 'ग्रेटर बांग्लादेश' का हिस्सा बताया गया है। इस नक्शे को ढाका विश्वविद्यालय समेत कई स्थानों पर सार्वजनिक रूप से दिखाया गया है। इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, ‘सल्तनत-ए-बांग्ला’ नामक यह संगठन तुर्की से संचालित एनजीओ द्वारा समर्थित बताया जा रहा है और यह बांग्लादेशी युवाओं व छात्रों को एक कट्टरपंथी वैचारिक सोच की ओर मोड़ने का प्रयास कर रहा है। अप्रैल 2025 में ढाका विश्वविद्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान यह नक्शा पहली बार देखा गया।

 


विशेषज्ञों का मानना है कि यह अभियान बांग्लादेश की नई पीढ़ी को कट्टरपंथी दिशा में मोड़ने की सुनियोजित कोशिश है। इससे पहले भी मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार से जुड़े कुछ लोगों ने भारत के पूर्वोत्तर राज्यों पर दावा जताया था। 2024 में बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस की सरकार बनने के बाद तुर्की और बांग्लादेश के बीच संबंधों में अचानक तेजी आई है। तुर्की ने बांग्लादेश को सैन्य उपकरणों की आपूर्ति का प्रस्ताव दिया है, और तुर्की की सत्तारूढ़ पार्टी AKP से जुड़े कई इस्लामी एनजीओ वहां सक्रिय हो गए हैं। माना जा रहा है कि पाकिस्तान इस रणनीतिक निकटता में एक प्रमुख कड़ी के रूप में कार्य कर रहा है। 'ग्रेटर बांग्लादेश' की अवधारणा एक कट्टरपंथी विस्तारवादी सोच को दर्शाती है, जिसमें बांग्ला भाषी क्षेत्रों को एक राष्ट्र में मिलाने का सपना देखा जाता है।

 

इसमें भारत के पश्चिम बंगाल, असम, त्रिपुरा और म्यांमार का अराकान क्षेत्र शामिल हैं। हालांकि यह विचार बांग्लादेश की मुख्यधारा में स्वीकार्य नहीं है, लेकिन समय-समय पर इस्लामी समूहों और सोशल मीडिया पर यह फिर उभरता रहता है। पिछले साल दिसंबर 2024 में, यूनुस सरकार के एक करीबी सहयोगी महफूज आलम ने एक ऐसा ही नक्शा सोशल मीडिया पर साझा किया था जिसमें भारतीय राज्यों को बांग्लादेश का हिस्सा बताया गया था। भारत ने इस पर तीव्र आपत्ति जताते हुए ढाका को कड़ा विरोध दर्ज कराया था। अब जब तुर्की और पाकिस्तान जैसे देशों की मिलीभगत से बांग्लादेश की धरती पर भारत विरोधी गतिविधियां बढ़ रही हैं, तो भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने इस घटनाक्रम को गंभीरता से लेना शुरू कर दिया है। भारत के लिए ‘चिकन नेक’ यानी  सिलीगुड़ी कॉरिडोर जैसी संवेदनशील जगहों की सुरक्षा और अधिक महत्वपूर्ण हो गई है।
 


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Content Writer

Tanuja

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