बांग्लादेश में चुनाव से पहले पाक की भारत विरोधी बड़ी साजिश, ISI-जमात का खतरनाक एजेंडा बेनकाब
punjabkesari.in Monday, Dec 15, 2025 - 03:12 PM (IST)
International Desk: पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI और कट्टरपंथी संगठन जमात-ए-इस्लामी मिलकर बांग्लादेश में भारत के खिलाफ सुनियोजित प्रचार अभियान चला रहे हैं। खुफिया एजेंसियों के अनुसार, इस अभियान के जरिए यह झूठा दावा किया जा रहा है कि भारत बांग्लादेश के चुनावी प्रक्रिया में दखल दे रहा है। हालांकि, भारत सरकार इन आरोपों को पहले ही सिरे से खारिज कर चुकी है, लेकिन एजेंसियों का कहना है कि 12 फरवरी को होने वाले आम चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आएंगे, भारत-विरोधी प्रोपेगेंडा और तेज होगा। सूत्रों के मुताबिक, शेख हसीना की सत्ता से विदाई और मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार बनने के बाद ISI को बांग्लादेश में अपनी पकड़ मजबूत करने का अवसर मिला है। इसके बावजूद, बांग्लादेश में बड़ी आबादी अब भी भारत के प्रति सकारात्मक सोच रखती है। अ
🔥 Bangladesh, You were so desperate to open the doors to the #ISI and show 'attitude' to India.
— Lt Colonel Vikas Gurjar 🇮🇳 (@Ltcolonelvikas) December 10, 2025
Well, congratulations! 🎉 You ordered the #Pakistan package, Economic Ruin, Street chaos, & leader busy in photo-ops, and it's delivered expressly.
You invited the snake into your… pic.twitter.com/vBZPVqYC2H
धिकारियों का कहना है कि आम बांग्लादेशी नागरिक पूरी तरह भारत-विरोधी नहीं है। शिक्षा, चिकित्सा और व्यापार जैसे क्षेत्रों में बड़ी संख्या में लोग भारत पर निर्भर रहे हैं, जिससे भारत के प्रति भरोसा बना हुआ है। ISI और जमात इस सोच को बदलना चाहते हैं। एजेंसियों के अनुसार, उन्हें यह एहसास है कि जब तक जनता को भारत-विरोधी नहीं बनाया जाएगा, तब तक भावनाओं से खेलना संभव नहीं है। इसलिए भारत पर चुनाव में हस्तक्षेप का आरोप लगाकर भावनाएं भड़काई जा रही हैं।एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, ISI वही रणनीति अपनाना चाहती है जो उसने पाकिस्तान में अपनाई—जहां भारत-विरोध को राजनीतिक हथियार बना दिया गया। बांग्लादेश मामलों के जानकार कहते हैं कि लोग अपने आंतरिक मामलों में किसी भी बाहरी दखल को पसंद नहीं करते, और इसी संवेदनशील मुद्दे का फायदा उठाया जा रहा है।
खुफिया एजेंसियों का कहना है कि बांग्लादेशी जनता यह भी जानती है कि शेख हसीना के कार्यकाल में देश आर्थिक रूप से मजबूत हुआ और भारत के साथ संबंध बेहतर रहे। साथ ही, यह भी सार्वजनिक तथ्य है कि भारत और BNP के बीच संवाद कायम है, और दोनों अच्छे पड़ोसी संबंधों के पक्षधर हैं। यही वजह है कि ISI-नियंत्रित जमात नहीं चाहती कि BNP सत्ता में आए। ISI का मानना है कि अगर जमात सत्ता में आई, तो वह ढाका को आसानी से नियंत्रित कर सकेगी। यूनुस के कार्यकाल में पाकिस्तान से रिश्ते बढ़े हैं और ISI को खुली छूट मिली है।
BNP का जमात के साथ गठबंधन न करने का फैसला इस बात का संकेत है कि पार्टी अब कट्टर राजनीति से दूरी बनाना चाहती है। अतीत में जमात के साथ सत्ता में रहने के कारण BNP को कट्टरपंथी ठहराया गया था, जिससे उसने सबक लिया है। एजेंसियों के मुताबिक, अगर ISI और जमात भारत-विरोधी माहौल बनाने में सफल हो जाती हैं, तो जनता का रुझान BNP से हट सकता है। अवामी लीग के चुनाव से बाहर होने के बाद मुकाबला सीधे BNP और जमात के बीच है।भारत ने एक बार फिर दोहराया है कि वह बांग्लादेश में किसी भी तरह के हस्तक्षेप के खिलाफ है। विदेश मंत्रालय (MEA) ने स्पष्ट कहा,“भारत बांग्लादेश में स्वतंत्र, निष्पक्ष, समावेशी और विश्वसनीय चुनाव शांतिपूर्ण माहौल में होते देखना चाहता है।”
