आज पीपल के पेड़ पर ये झंडा लगाने से बनेंगे बिगड़े काम

punjabkesari.in Saturday, Oct 19, 2019 - 07:06 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

भारतीय संस्कृति, भारतीय मान्यता और भारतीय परम्परा में वृक्ष, पेड़-पौधों को विशिष्ट महत्ता प्रदान की गई है। ठीक ही कहा है- धर्मो रक्षति रक्षित:, गावों रक्षति रक्षित :, प्रकृति रक्षति रक्षित, वृक्षों रक्षति रक्षित:। वृक्ष व वनस्पति रुद्र के रूप में मानी गई है क्योंकि वे विषैली व हानिकारक हवा (गैस) पीकर प्राणवायु प्रदान करते हैं। अत: पेड़-पौधों को सींचना, उन्हें जल प्रदान करना साक्षात महादेव शिव (रुद्र) का जलाभिषेक करना है। विष्णु पुराण में बतलाया गया है कि एक सौ पुत्रों की प्राप्ति से भी बढ़कर एक वृक्ष लगाना और उसका पालन-पोषण करना है, इससे व्यक्ति पुण्य प्राप्ति करता है। पद्म पुराण में भगवान विष्णु को पीपल वृक्ष, भगवान शंकर को वटवृक्ष और ब्रह्माजी को पलाश वृक्ष के रूप में प्रतिपादित किया गया है। पीपल के पेड़ को शुद्ध और पूजनीय माना जाता है। शनिवार के दिन इसकी पूजा का महत्व अन्य दिनों की अपेक्षा कई गुणा अधिक बढ़ जाता है। 

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ये है इसके पीछे की पौराणिक कथा

ब्रह्मदेव ने रुद्रावतार पिप्पलाद को आशीर्वाद दिया कि जो भी भक्त पिप्पलाद अर्थात पीपल की पूजा अर्चना करेगा उसे शनि के कष्टों से मुक्ति मिलेगी तथा शनिदेव शिवभक्तों को कभी कष्ट नहीं देंगे। यदि शनिदेव शिवभक्तों को कभी कष्ट देंगे तो शनिदेव स्वयं भस्म हो जाएंगे। शास्त्रों में वर्णित है कि महादेव के 11 रुद्रावतार हनुमान जी द्वारा भी शनिदेव को हराया गया था तथा इस कारण हनुमान जी की पूजा करने वाला हर मनुष्य शनि के प्रकोप से बच जाता है। पुराणिक शास्त्रों में ऐसा वर्णन आता है की महादेव ने शनिदेव की उदंडता के कारण उन्हें 19 वर्ष तक पीपल के पेड़ से उल्टा लटका दिया था। तब से लेकर शनिदेव महादेव के भक्तों पर कभी भी अपनी कुदृष्टि नहीं डालते।

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शनिवार को करें ये उपाय, बनेंगे सभी बिगड़े काम

आज यानि शनिवार को पीपल के पेड़ पर लाल रंग का झंडा लगाएं। कहते हैं ऐसा करने से भाग्य तेजी से चमकने लगता है। ध्यान रखें, पीपल पर इस तरह झंडा लगाएं की वह लगातार हवा में उड़ता रहे। 

घोर निराशा, कर्ज, अंधकारमय भविष्य की स्थिति में 7 शनिवार शिवलिंग को पीपल के पेड़ के नीचे, सूर्यास्त के पश्चात, काले तिल, उड़द, शक्कर चढ़ाएं व इसके पश्चात सरसों के तेल का चौमुखा दीपक जलाएं।

यदि माता से संबंध खराब रहता हो तो रविवार की रात्रि में 325 ग्राम दूध सिरहाने रख कर सो जाएं व सोमवार की सुबह उठते ही उस दूध से पीपल या कीकर के पेड़ को सींचें। यह प्रयोग 5 रविवार करें।

यदि त्वचा रोग बार-बार परेशान करते हों, त्वचा रोग दुसाध्य हो गया हो तो ऐसी अवस्था में मंगलवार के दिन सूखे नारियल में आटा, चीनी, घी का मिश्रण (भुना हुआ) भर कर पीपल के पेड़ के नीचे या चींटियों के बिल के समीप दबा दें।

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यदि पुत्र से संबंध खराब रहते हों तो 7 शनिवार काले तिल, उड़द, शक्कर (तीनों चीजें 1-1 चम्मच) पीपल के पेड़ की जड़ में चढ़ाएं व इसके पश्चात पीपल को सींच कर सरसों के तेल का दीपक जलाएं।

सभी तरह के बुरे काम छोड़कर प्रतिदिन राम के नाम, गायत्री मंत्र या महामृत्युंजय मंत्र का जाप शुरू कर दें। ध्यान रहे इसमें किसी एक मंत्र का जाप ही करें। यह जाप आप सुबह या शाम को पीपल के पेड़ के पास जाकर अच्छे से बैठ कर ही करें।    

प्रत्येक शनिवार को संध्याकाल में पीपल के वृक्ष को मीठा जल और आटे का दीपक बनाकर, सरसों का तेल, एक लोहे की कील व साबुत उड़द के 11 दाने डालकर धूप-दीप के साथ अर्पित करें तथा बाएं हाथ से पीपल वृक्ष की जड़ को स्पर्श करके माथे से लगाएं व सात परिक्रमा करें। (स्त्रियां परिक्रमा न करें) तो कुछ ही समय में आर्थिक तंगी दूर हो जाती है।


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Niyati Bhandari

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