जिस ऑफिस में शख्स था चपरासी, लोकसेवा आयोग की परीक्षा पास कर उसी में बन गया अधिकारी
punjabkesari.in Monday, Dec 09, 2024 - 12:37 PM (IST)
नेशनल डेस्क: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से एक प्रेरणादायक कहानी सामने आई है, जहां एक शख्स ने अपनी कड़ी मेहनत और संकल्प के बल पर ना केवल चपरासी की नौकरी में रहते हुए सरकारी परीक्षा पास की, बल्कि अपने सपने को साकार करते हुए राज्य लोकसेवा आयोग (सी.जी.पी.एस.सी.) की परीक्षा में सफलता प्राप्त की और अधिकारी बन गए। इस शख्स का नाम है शैलेंद्र कुमार बांधे, जिन्होंने साबित कर दिया कि अगर मेहनत और लगन हो, तो कोई भी मुश्किल रास्ता पार किया जा सकता है।
चपरासी से अधिकारी बनने तक की यात्रा
शैलेंद्र कुमार बांधे ने छत्तीसगढ़ लोकसेवा आयोग की परीक्षा में सफलता प्राप्त कर यह दिखा दिया कि स्थिति चाहे जैसी भी हो, यदि इच्छाशक्ति मजबूत हो, तो किसी भी स्थिति से बाहर निकला जा सकता है। शैलेंद्र ने हाल ही में सी.जी.पी.एस.सी.-2023 परीक्षा में सामान्य श्रेणी में *3वीं रैंक और आरक्षित श्रेणी में दूसरी रैंक हासिल की है। उनके इस प्रदर्शन से न सिर्फ उनके परिवार को गर्व महसूस हुआ, बल्कि राज्य भर में उनके संघर्ष और समर्पण की सराहना की जा रही है।
परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं
शैलेंद्र बांधे का परिवार बिलासपुर जिले के बिटकुली गांव से ताल्लुक रखता है। उनके पिता एक किसान हैं और परिवार की आर्थिक स्थिति उतनी मजबूत नहीं थी। यही कारण था कि शैलेंद्र को अपने परिवार की मदद करने के लिए सी.जी.पी.एस.सी. के कार्यालय में चपरासी के पद पर नियुक्ति लेनी पड़ी। लेकिन चपरासी की इस नौकरी के साथ ही उन्होंने अपने सपने को पूरा करने के लिए राज्य सिविल सेवा की परीक्षा की तैयारी भी जारी रखी। शैलेंद्र ने खुद इस बारे में बताया, "मेरे लिए चपरासी की नौकरी करना केवल एक कदम था, जिससे मैं अपनी ज़रूरतें पूरी कर सकता था और अपनी पढ़ाई जारी रख सकता था। इस दौरान मैंने यह सीखा कि किसी भी पद की गरिमा होती है। चाहे वह चपरासी हो या डिप्टी कलेक्टर, हर काम को ईमानदारी और पूरी जिम्मेदारी से करना चाहिए।"
इंजीनियरिंग के बाद सरकारी नौकरी का सपना
शैलेंद्र कुमार बांधे ने अपनी स्कूली शिक्षा रायपुर में पूरी की और फिर राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एन.आई.टी.) रायपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक की डिग्री प्राप्त की। इंजीनियरिंग में अच्छे अंक प्राप्त करने के बाद शैलेंद्र के पास निजी फर्मों से नौकरी का ऑफर आया था, लेकिन उन्होंने सरकारी नौकरी के अपने सपने को प्राथमिकता दी और इन ऑफरों को ठुकरा दिया। उन्होंने यह फैसला किया कि वह सरकारी सेवा में ही अपना करियर बनाना चाहते हैं।
पांचवें प्रयास में मिली सफलता
शैलेंद्र ने अपनी सफलता के बारे में बात करते हुए कहा, "मैंने पहले प्रयास में प्रारंभिक परीक्षा पास नहीं की थी। अगले साल मेन परीक्षा में भी सफलता नहीं मिली। तीसरे और चौथे प्रयास में मैं इंटरव्यू तक नहीं पहुंच पाया, लेकिन मैंने हार नहीं मानी। मैंने यह समझा कि निरंतर प्रयास से ही सफलता मिल सकती है। और पांचवें प्रयास में मुझे सफलता मिली।"उन्होंने आगे कहा कि इस पूरी यात्रा के दौरान उनकी सबसे बड़ी मदद उनके माता-पिता ने की। शैलेंद्र ने कहा, "मेरे माता-पिता ने हर कदम पर मेरा साथ दिया और मेरे फैसले को समझा। मैं उनके समर्थन के बिना यह सब कुछ नहीं कर पाता।"
सी.जी.पी.एस.सी. परीक्षा की तैयारी
शैलेंद्र बांधे ने सी.जी.पी.एस.सी. की परीक्षा की तैयारी के लिए पूरी तरह से समर्पित हो गए थे। इस दौरान उन्होंने खुद को पूरी तरह से पढ़ाई में डुबो दिया और घर की आर्थिक स्थिति को देखते हुए चपरासी की नौकरी भी शुरू की। उनके लिए यह कोई सामान्य बात नहीं थी, लेकिन यह उन्होंने परिवार की जरूरतों को पूरा करने और अपनी पढ़ाई को जारी रखने के लिए किया। शैलेंद्र का यह संघर्ष एक महत्वपूर्ण उदाहरण है कि यदि इंसान के अंदर आत्मविश्वास और कड़ी मेहनत हो, तो किसी भी कठिनाई से पार पाया जा सकता है।
प्रेरणा देने वाली कहानी
शैलेंद्र की कहानी उन लोगों के लिए एक प्रेरणा है जो मानते हैं कि उनके पास किसी खास काम को करने का अवसर नहीं है। उनकी यात्रा यह साबित करती है कि किसी भी स्थिति में मेहनत, आत्मविश्वास और सही दिशा में किया गया प्रयास सफलता की कुंजी हो सकता है। आज शैलेंद्र कुमार बांधे, जो पहले सी.जी.पी.एस.सी. के कार्यालय में चपरासी के रूप में काम कर रहे थे, अब उसी कार्यालय में अधिकारी बन गए हैं। उनका यह संघर्ष यह दिखाता है कि अगर उद्देश्य स्पष्ट हो और मन में दृढ़ निश्चय हो, तो कोई भी लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है।
शैलेंद्र कुमार ने अपने परिवार का जिक्र करते हुए कहा कि उनकी सफलता में सबसे बड़ी भूमिका उनके माता-पिता की रही है। "मेरे माता-पिता ने हमेशा मुझे समर्थन दिया और मुझे कभी भी अपने सपनों के पीछे दौड़ने से नहीं रोका।" उनके अनुसार, यह सफलता केवल उनकी नहीं, बल्कि उनके पूरे परिवार की है। शैलेंद्र कुमार बांधे की सफलता यह सिद्ध करती है कि मेहनत और संकल्प के साथ किसी भी कठिन लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। उन्होंने यह साबित कर दिया कि चाहे स्थिति कैसी भी हो, सफलता उन्हीं को मिलती है जो निरंतर प्रयास करते हैं और किसी भी चुनौती से डरते नहीं हैं। उनका यह सफर लाखों लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन चुका है।