शालू के हाथ नहीं हैं पर जज्बा ऐसा कि हर कोई करता है सलाम

punjabkesari.in Thursday, Aug 09, 2018 - 06:30 PM (IST)

जम्मू:  दोनों हाथ नहीं हैं, लेकिन हौसला दोगुना है। जो मन में ठान लिया, वह कर दिखाने वाली असिस्टेंट प्रोफेसर शालू गुप्ता आज समाज में एक मुकाम रखती हैं। बचपन में एक हादसे में दोनों हाथ गंवा चुकी शालू में कलम से लेकर बंदूक तक चलाने का जज्बा है। अपने हौसले और जज्बे के कारण शालू गुप्ता को हर कोई दिल से सलाम करता है। उन्होंने यह इज्जत अपनी काबलियत के दम पर बटोरी है।

 वह दिव्यांगों के लिए ही नहीं बल्कि सभी के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं। मौलाना आजाद मेमोरियल कॉलेज जम्मू में कंप्यूटर साइंस की असिस्टेंट प्रोफेसर शालू ने कभी हार नहीं मानी। शालू जब 12वीं कक्षा में पढ़ती थीं तब एक भयानक हादसे में उनके दोनों हाथ चले गए। वर्ष 1995 में 28 अक्टूबर को स्कूल से पढ़ाई कर घर लौटी। वह अपने घर की छत पर टीवी का एंटीना ठीक करने के लिए चढ़ी थी तो नजदीक से गुजरती हाई टेंशन वायर का करंट एंटीना में आ गया। हजारों वोल्ट के करंट की चपेट में आई शालू के दोनों हाथ जल गए और दोनों हाथ बिलकुल नष्ट हो गए इस घटना के बाद वह अवसाद में नहीं गई। एक वर्ष अवश्य बर्बाद हुआ, लेकिन पढ़ाई नहीं छोड़ी। शालू बताती हैं कि एक दिन उसकी मां ने लिखने के लिए प्रेरित किया। यह उसके जीवन को बदलने वाला मोड़ था। बिना हाथों लिखने का अभ्यास किया। 
 
PunjabKesari

करती हैं सारे काम

शालू खाना बना लेती हैं, मोबाइल चला लेती हैं। इनकी शादी हो चुकी है और दो बच्चे हैं। कालेज में भी बच्चों को पढ़ाने से लेकर सभी प्रकार के काम शालू बड़े आराम से कर लेती है। सफलतापूर्वक जीवन जी रही शालू कहती हैं कि कभी एक चीज जब खत्म हो जाती है तो दूसरे रास्ते खुल जाते हैं। मैं भयानक घटना के बाद भी मानसिक तनाव में नहीं रही। बस जिंदगी को जज्बे के साथ जीना सीखा। शालू ने एनसीसी कैंप में बंदूक भी चलाई। वह जम्मू शहर के जिस भी डिग्री कॉलेज में नियुक्त हुई, वहां पर जरूरतमंद विधार्थियों को पढ़ाया। उन्हें प्रेरणा दी कि हमें अपने जीवन को सफल बनाने के लिए कभी घबराना नहीं चाहिए। चाहे कितनी भी परेशानियां आएं, हमें पार करते हुए अपने लिए ही नहीं बल्कि समाज और देश के लिए कुछ करना चाहिए। शालू बच्चों एक सीख देते हुए कहती है बच्चों को माता पिता की सोच को लेकर आगे बढऩा चाहिए और नशे से दूर रहे और पढ़ाई के समय मोबाइल का बेहताशा इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। 


 
हाथ खोने के बाद खत्म हो गई थी जिन्दगी

हादसे में शालू के हाथ जब खत्म हो गए तो मानो उसकी जि़ंदगी ही खत्म हो गई लेकिन उसने हार नहीं मानी और इसमें उसमे परिजनों के साथ साथ उसके दोस्तों का भी बहुत बड़ा हाथ है हलाकि वो आज जिस मुकाम पर है उसका श्रय भी अपने परिजनों के अलावा दोस्तों को और अब शादी होने के बाद अपने पति को देती है क्योंकि उनका कहना है कि जो काम उनसे नहीं हो पाता है वो कर देते है हलाकि शालू का होंसला बढ़ाने में उनकी माता काफी बड़ा योगदान है उन्होंने शालू को प्रेरित किया जिसके बाद आज वो असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर हैं।
 PunjabKesari


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Monika Jamwal

Recommended News

Related News