'गर्व की भावना को शब्दों में बयां नहीं कर सकता', पीएम मोदी ने शेयर किया INS विक्रांत का शानदार वीडियो
punjabkesari.in Saturday, Sep 03, 2022 - 11:36 AM (IST)

नेशनल डेस्क: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय नौसेना के पहले स्वदेशी विमानवाहक युद्धपोत आईएनएस विक्रांत पर शुक्रवार को बिताए समय को एक ऐतिहासिक अवसर बताया और कहा कि वह उन पलों की अनुभूतियों को शब्दों में व्यक्त नहीं कर सकते। प्रधानमंत्री ने आईएनएस विक्रांत पर सवार होने पर हुई गर्व की अनुभूति को शनिवार को ट्विटर पर साझा किया और उन्होंने उसका एक वीडियो भी शेयर किया। प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया, ‘‘भारत के लिए एक ऐतिहासिक दिन! जब मैं कल आईएनएस विक्रांत पर सवार था, तो गर्व की उस भावना को शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता। ''
A historic day for India!
— Narendra Modi (@narendramodi) September 3, 2022
Words will not be able to describe the feeling of pride when I was on board INS Vikrant yesterday. pic.twitter.com/vBRCl308C9
मोदी ने 262 मीटर लंबे, 62 मीटर चौड़े और 59 मीटर ऊंचे, 40,000 टन के इस पोत को कल केरल तट के पास राष्ट्र को समर्पित किया। इसे कोच्चि शिपयार्ड में बनाया गया और इसमें 76 प्रतिशत से अधिक कल पुर्जे स्वदेशी हैं। इसके साथ भारत गिनती के उन देशों में शामिल हो गया है जिनके पास इतने विशाल विमानवाहक युद्धपोत की रूपरेखा तैयार करने से लेकर उसे तैयार करने की क्षमता है। इसमें सूक्ष्म प्रौद्योगिकी से लेकर विशाल अवसरंचनाओं का निर्माण करने वाली अभियांत्रिकी का समावेश है।
विक्रांत विशाल है, विराट है, विहंगम है
मोदी ने कहा, ‘‘विक्रांत विशाल है, विराट है, विहंगम है। विक्रांत विशिष्ट है, विक्रांत विशेष भी है। विक्रांत केवल एक युद्धपोत नहीं है। यह 21वीं सदी के भारत के परिश्रम, प्रतिभा, प्रभाव और प्रतिबद्धता का प्रमाण है।'' उन्होंने कहा, ‘‘यदि लक्ष्य दुरन्त हैं, यात्राएं दिगंत हैं, समंदर और चुनौतियाँ अनंत हैं तो भारत का उत्तर है विक्रांत। आजादी के अमृत महोत्सव का अतुलनीय अमृत है विक्रांत। आत्मनिर्भर होते भारत का अद्वितीय प्रतिबिंब है विक्रांत।'' प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि वह आईएनएस विक्रांत को मराठा योद्धा छत्रपति शिवाजी को समर्पित करते हैं।
गुलामी के एक बोझ को अपने सीने से उतार दिया
उन्होंने कहा, ‘‘छत्रपति वीर शिवाजी महाराज ने इस समुद्री सामर्थ्य के दम पर ऐसी नौसेना का निर्माण किया, जो दुश्मनों की नींद उड़ाकर रखती थी। जब अंग्रेज भारत आए, तो वे भारतीय जहाजों और उनके जरिए होने वाले व्यापार की ताकत से घबराए रहते थे। इसलिए उन्होंने भारत के समुद्री सामर्थ्य की कमर तोड़ने का फैसला लिया। इतिहास गवाह है कि कैसे उस समय ब्रिटिश संसद में कानून बनाकर भारतीय जहाजों और व्यापारियों पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए गए।'' प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘ आज दो सितंबर, 2022 की ऐतिहासिक तारीख को, इतिहास बदलने वाला एक और काम हुआ है। आज भारत ने, गुलामी के एक निशान, गुलामी के एक बोझ को अपने सीने से उतार दिया है। आज से भारतीय नौसेना को एक नया ध्वज मिला है।''
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