भारतवंशी सांसद चंद्र आर्य ने कनाडा का PM बनने की दावेदारी जताई, उड़ा मजाक- "टूटी-फूटी अंग्रेजी, मोटा भारतीय लहजा"
punjabkesari.in Saturday, Jan 11, 2025 - 05:36 PM (IST)
International Desk: भारतीय मूल के सांसद (MP) चंद्र आर्य के कनाडा के प्रधानमंत्री पद की दौड़ में शामिल होने की घोषणा के बाद विवाद खड़ा हो गया है। चंद्र आर्य ने जस्टिन ट्रूडो के इस्तीफे के बाद प्रधानमंत्री पद के लिए अपनी उम्मीदवारी का ऐलान किया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए कहा कि वह एक "छोटी, अधिक कुशल सरकार" का नेतृत्व करने के लिए तैयार हैं, जो कनाडा का पुनर्निर्माण करेगी और भविष्य की पीढ़ियों के लिए समृद्धि सुनिश्चित करेगी।
This dude moved to Canada at the age of FOURTY THREE, speaks broken English with a thick Indian accent, and yet is somehow an MP and running to be the next Prime Minister.
— Chris Brunet (@realChrisBrunet) January 10, 2025
Imagine I moved to Mumbai, took an introductory course on how to speak Gujarati, then ran to replace Modi. https://t.co/4Ct6M9KrQQ
हालांकि, उनकी घोषणा के बाद कई लोगों ने उनकी आलोचना की। X पर एक उपयोगकर्ता, क्रिस ब्रुनेट, ने चंद्र आर्य के लहजे और अंग्रेजी कौशल पर कटाक्ष किया। उन्होंने लिखा, “यह व्यक्ति 43 साल की उम्र में कनाडा आया, टूटी-फूटी अंग्रेजी बोलता है, मोटा भारतीय लहजा है, और फिर भी यह सांसद है और अब प्रधानमंत्री बनने की कोशिश कर रहा है।” ब्रुनेट ने आगे इसकी तुलना करते हुए लिखा, “कल्पना कीजिए कि मैं मुंबई गया, गुजराती बोलने के लिए एक शुरुआती कोर्स किया, और फिर मोदी को रिप्लेस करने की कोशिश की।”
चंद्र आर्य ने अपनी घोषणा में उन समस्याओं को उजागर किया, जिनसे उनका मानना है कि कनाडा वर्तमान में जूझ रहा है। उन्होंने कहा कि वह इन चुनौतियों का समाधान निकालने के लिए साहसिक कदम उठाने को तैयार हैं। आर्य ने कहा- कनाडा को ऐसे नेतृत्व की जरूरत है, जो बड़े फैसले लेने से न डरे। ऐसे फैसले जो हमारी अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करें, लोगों में उम्मीद जगाएं, सभी कनाडाई नागरिकों के लिए समान अवसर पैदा करें, और हमारे बच्चों और पोते-पोतियों के लिए समृद्ध भविष्य सुनिश्चित करें। साहसिक राजनीतिक फैसले वैकल्पिक नहीं हैं, वे आवश्यक हैं”।
हालांकि, चंद्र आर्य की घोषणा को कुछ समर्थन भी मिला, लेकिन आलोचनाओं ने यह दिखाया कि प्रवासी नेताओं को राजनीति में कितनी बाधाओं का सामना करना पड़ता है। खासतौर पर भारतीय मूल के नेताओं को कई बार भाषा और सांस्कृतिक पहचान के मुद्दों पर निशाना बनाया जाता है। यह विवाद कनाडा की राजनीति में विविधता, समावेशिता और प्रवासी नेताओं की भूमिका पर चर्चा को जन्म देता है। चंद्र आर्य का राजनीतिक सफर और उनकी प्रधानमंत्री पद की दावेदारी उन चुनौतियों और अवसरों को सामने लाती है, जो प्रवासी नेताओं को नई ऊंचाइयों तक ले जाने में मदद कर सकती हैं।