Cancer Alert: बिना बीड़ी-सिगरेट पिए भी क्यों हो रहा है लंग कैंसर? हैरान कर देने वाली वजह आई सामने

punjabkesari.in Friday, Jul 25, 2025 - 11:26 AM (IST)

नेशनल डेस्क: अब तक फेफड़ों के कैंसर (लंग कैंसर) को सिर्फ स्मोकिंग यानी बीड़ी, सिगरेट या सिगार पीने से जुड़ा माना जाता था, लेकिन हाल के वर्षों में नॉन-स्मोकर्स में भी लंग कैंसर के मामले तेजी से सामने आ रहे हैं। खासतौर पर महिलाएं और युवा इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। रिसर्च बताती हैं कि इसके पीछे कई छिपे हुए कारण हो सकते हैं, जिनमें वायु प्रदूषण, किचन से निकलने वाला धुआं और जेनेटिक फैक्टर्स सबसे अहम हैं। आइए जानते हैं कि आखिर नॉन-स्मोकर्स को भी यह जानलेवा बीमारी क्यों हो रही है।

1. वायु प्रदूषण बना खतरनाक दुश्मन

आज के समय में वायु प्रदूषण एक सबसे बड़ा हेल्थ थ्रेट बन चुका है। PM2.5 जैसे सूक्ष्म कण सीधे फेफड़ों में जाकर कैंसर जैसी बीमारियां पैदा कर सकते हैं। 2022 की एक स्टडी के मुताबिक, प्रदूषण से फेफड़ों की सेल्स में पहले से मौजूद 'स्लीपिंग म्यूटेशंस' सक्रिय हो जाते हैं, जो कैंसर की वजह बनते हैं।

2. रेडॉन गैस से अनजाने में एक्सपोजर
रेडॉन एक अदृश्य और बिना गंध वाली रेडियोएक्टिव गैस है जो धरती से निकलती है और घरों के बेसमेंट या बंद जगहों में जमा हो सकती है। यूएस ईपीए के अनुसार, यह लंग कैंसर का दूसरा सबसे बड़ा कारण है और नॉन-स्मोकर्स में इसका मुख्य कारण माना जाता है।

3. सेकंडहैंड स्मोक भी खतरनाक
अगर आप खुद स्मोकिंग नहीं करते लेकिन किसी और के धुएं के संपर्क में रहते हैं तो भी आपको फेफड़ों का कैंसर हो सकता है। CDC के आंकड़ों के अनुसार, अमेरिका में हर साल करीब 7,300 नॉन-स्मोकर्स की मौत सेकंडहैंड स्मोक से होती है।

4. जेनेटिक फैक्टर और EGFR म्यूटेशन
कुछ लोगों में लंग कैंसर का रिस्क जेनेटिकली अधिक होता है। EGFR जीन में म्यूटेशन नॉन-स्मोकर लंग कैंसर पेशेंट्स, खासकर महिलाओं और युवा मरीजों में पाया गया है। हालांकि, राहत की बात यह है कि अब इस तरह के म्यूटेशन के लिए टारगेटेड ट्रीटमेंट्स मौजूद हैं।

5. खाना पकाने से निकलने वाला धुआं

भारत और अन्य विकासशील देशों में अब भी खाना बनाने के लिए लकड़ी, कोयला या गोबर का इस्तेमाल होता है। इससे निकलने वाला धुआं घर के अंदर हवा को प्रदूषित कर देता है। 2020 की एक स्टडी बताती है कि जो महिलाएं अधिक समय तक किचन में रहती हैं उनमें लंग कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। खासकर फ्राई करते समय निकलने वाला तेल का धुआं भी जोखिम भरा होता है।

6. कुछ वायरस भी बन सकते हैं कारण

शोधकर्ता अब यह भी मान रहे हैं कि कुछ वायरस जैसे एचपीवी और ईबीवी भी लंग कैंसर ट्रिगर कर सकते हैं। ये वायरस शरीर की कोशिकाओं में बदलाव लाकर ट्यूमर पैदा कर सकते हैं।

जल्दी पहचान ही बचाव है

नॉन-स्मोकर्स में लंग कैंसर के मामले अक्सर तब सामने आते हैं जब बीमारी एडवांस स्टेज पर पहुंच जाती है। इसलिए शुरुआती जांच और डायग्नोसिस बेहद जरूरी है। कई देश अब अपनी स्क्रीनिंग पॉलिसी को अपडेट कर रहे हैं, ताकि पॉल्यूशन और जेनेटिक रिस्क को भी ध्यान में रखा जा सके।

बचाव के लिए क्या करें?

  • घरों की एयर क्वॉलिटी की नियमित जांच कराएं

  • खाना बनाते समय उचित वेंटिलेशन रखें

  • प्रदूषित जगहों पर मास्क का उपयोग करें

  • हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाएं और रेगुलर हेल्थ चेकअप कराएं

  • घरों में रेडॉन गैस की जांच कराएं


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Content Editor

Ashutosh Chaubey

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