हफ्ते में चार बार चिकन खाना बन सकता है कैंसर की वजह? सर्वे में सामने आया डराने वाला सच
punjabkesari.in Friday, Jul 25, 2025 - 12:35 AM (IST)

नई दिल्ली: अगर आप नॉनवेज खाने के शौकीन हैं और आपकी थाली में नियमित रूप से चिकन शामिल रहता है, तो ये खबर आपको सचेत कर सकती है। इटली में हुई एक नई स्टडी में यह खुलासा हुआ है कि हफ्ते में चार बार या उससे अधिक पोल्ट्री प्रॉडक्ट्स, विशेष रूप से चिकन का सेवन करने से गैस्ट्रिक कैंसर यानी पेट के कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।
यह रिसर्च प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल ‘Nutrients’ में प्रकाशित हुई है, जिसमें शोधकर्ताओं ने 4000 से अधिक प्रतिभागियों की जीवनशैली, स्वास्थ्य और खानपान संबंधी आदतों का गहराई से अध्ययन किया।
क्या कहती है स्टडी?
शोधकर्ताओं ने प्रतिभागियों से उनकी जनसांख्यिकीय जानकारी, स्वास्थ्य की स्थिति, लाइफस्टाइल फैक्टर्स और व्यक्तिगत मेडिकल हिस्ट्री के बारे में जानकारी ली। इसके बाद उन्हें एक विस्तृत फूड फ्रीक्वेंसी क्वेश्चनर दिया गया, जिसमें यह पूछा गया कि वे किस तरह और कितनी मात्रा में मांस खाते हैं।
मांस को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया:
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रेड मीट (गाय, भेड़ आदि का मांस)
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पोल्ट्री (मुर्गी, टर्की आदि)
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टोटल मीट (कुल मांस सेवन)
चिकन से कैंसर का खतरा कैसे जुड़ा?
रिपोर्ट के अनुसार:
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जो लोग हफ्ते में 300 ग्राम से ज्यादा पोल्ट्री खाते थे, उनमें गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कैंसर से मृत्यु का खतरा 27% ज्यादा पाया गया, उनकी तुलना में जो 100 ग्राम से कम खाते हैं।
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पुरुषों में यह खतरा अधिक स्पष्ट रूप से देखा गया। जो पुरुष हफ्ते में 300 ग्राम से अधिक चिकन खाते थे, उनमें इस कैंसर से मृत्यु का खतरा दोगुना था।
संभावित कारण क्या हो सकते हैं?
रिसर्च में यह भी माना गया कि चिकन से कैंसर का सीधा संबंध पूरी तरह स्पष्ट नहीं है, लेकिन कुछ कारक ऐसे हैं जो योगदान दे सकते हैं:
1. ओवरकुकिंग और हाई-हीट प्रोसेसिंग
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चिकन को उच्च तापमान पर पकाने से हेट-जनरेटेड म्यूटाजेन्स (जैसे HCA और PAH) बनते हैं, जो DNA म्यूटेशन का कारण बन सकते हैं। यह म्यूटेशन कैंसर की शुरुआत में भूमिका निभा सकता है।
2. चारे और हार्मोन का असर
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मुर्गियों को दिए जाने वाले फीड में एंटीबायोटिक्स, हार्मोन, और कीटनाशक मौजूद हो सकते हैं, जो मानव शरीर में लंबे समय तक जमा होकर कैंसर के रिस्क को बढ़ा सकते हैं।
3. लिंग आधारित अंतर
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पुरुषों और महिलाओं में पाए जाने वाले हार्मोनल डिफरेंसेज़ भी एक कारण हो सकते हैं।
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रिसर्च में चूहों पर की गई एक स्टडी का हवाला दिया गया, जिसमें पाया गया कि महिलाओं में पाया जाने वाला एस्ट्रोजन हार्मोन मेटाबॉलिज्म को प्रभावित करता है और कुछ हद तक सुरक्षात्मक भूमिका निभा सकता है।
4. पोषण संबंधी व्यवहार में अंतर
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महिलाओं के मुकाबले पुरुष अक्सर बड़ी मात्रा में भोजन करते हैं, जो उन्हें अधिक जोखिम में डालता है।