मोदी की अमरीका यात्रा में प्रदर्शन की अनुमति नहीं मिलने से बौखलाए खालिस्तान समर्थक

punjabkesari.in Wednesday, Jul 05, 2023 - 02:14 PM (IST)

नेशनल डेस्क: अमरीका और कनाडा में खालिस्तान समर्थकों की गतिविधियों में तेजी अकारण नहीं है। शीर्ष खुफिया सूत्रों का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमरीका की सफल यात्रा से खालिस्तानी अलगाववादी समूहों में भारी बौखलाहट है। 

 

सूत्रों ने बताया कि पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटैलिजैंस (आई.एस.आई.) से फंडिंग मिलने के बावजूद वे सफलतापूर्वक प्रदर्शन नहीं कर पाए क्योंकि वे विरोध प्रदर्शन के लिए केवल 50-60 लोगों को ही इकट्ठा कर सके। अमरीका ने विरोध सभाओं के उनके अनुरोध को लगातार संदेह की नजर से देखा। अब सैन फ्रांसिस्को में भारतीय वाणिज्य दूतावास पर हमले के बाद अमरीकी सुरक्षा अधिकारी ऐसे विरोध प्रदर्शनों के लिए अधिक अनुमति नहीं देंगे। सूत्रों ने कहा कि आई.एस.आई. ने अभियान में गति लाने की पूरी कोशिश की लेकिन असफल रही और पाकिस्तानी प्रवासी भी सड़कों पर आने के इच्छुक नहीं थे।

 

अमरीका ने कहा-राजनयिकों पर हिंसा अपराध है


विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने मंगलवार सुबह एक ट्वीट में कहा-‘अमरीका सैन फ्रांसिस्को में भारतीय वाणिज्य दूतावास पर आगजनी के प्रयास की कड़ी निंदा करता है। अमरीका में राजनयिक सुविधाओं या विदेशी राजनयिकों के खिलाफ बर्बरता या हिंसा अपराध है।’

 

जयशंकर के  चेताने के बावजूद यह करतूत


एक दिन पहले ही सोमवार को कनाडा में खालिस्तान समर्थकों की भारत-विरोधी हरकतों पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर का बयान आया था। दरअसल, सिख फॉर जस्टिस के बैनर तले कनाडा में कुछ पोस्टर लगाए गए थे। इन पोस्टरों में ‘किल इंडिया’ लिखा गया था। यही नहीं, इन पोस्टरों में भारतीय उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा और टोरंटो में भारत की महावाणिज्य दूत अपूर्वा श्रीवास्तव पर खालिस्तानी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का आरोप लगाया था। इस घटना पर विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा था कि भारत पहले से ही कनाडा जैसे सांझेदार देशों के संपर्क में है। कनाडा से खालिस्तानी समूहों को जगह न देने का अनुरोध किया गया है। 

 

हिलेरी क्लिंटन की नसीहत न भूलें अमरीका और कनाडा


आप अपने पिछवाड़े में सांप पालेंगे तो अंतत: वे आप को भी डसेंगे


‘आप अपने पिछवाड़े में सांप पालेंगे तो आप उनसे यह उम्मीद न रखें कि वे केवल आपके पड़ोसियों को काटेंगे। यह जान लो, ये सांप अंतत: उसी पर हमला करते हैं जिसके पिछवाड़े में वे पलते हैं।’ अमरीका की पूर्व उपराट्रपति हिलेरी किं्लटन की पाकिस्तान को दी गई यह नसीहत अमरीका, कनाडा और ब्रिटेन के लिए भी समीचीन है, यदि वे समय रहते चेत जाएं।


भारत 1980 के दशक से सरकार प्रायोजित सीमापार आतंकवाद का शिकार रहा है। जब भी, भारत ने पश्चिम से कहा कि उसका सहयोगी पाकिस्तान आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त है और यह वैश्विक सुरक्षा के लिए खतरा है तो पश्चिम ने इसे नजरअंदाज कर दिया, क्योंकि वे भारत पर दबाव बनाए रखना चाहते थे।


9/11 के बाद कट्टरपंथी इस्लामी आतंक के प्रति पश्चिम का दृष्टिकोण तो बदल गया परंतु पश्चिम खालिस्तान आतंकवादी नैटवर्क के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए काफी हद तक अनिच्छुक है। अमरीका, ब्रिटेन और कनाडा में खालिस्तानियों को खुली छूट मिल रही है। राजनीतिक दल उनकी बर्बरता, धमकियों और हिंसक हमलों की जांच तो दूर, निंदा तक नहीं कर रहे। कनाडा में भारतीय राजनयिकों और प्रवासी भारतीयों के खिलाफ खुली धमकी और हिंसा की अनुमति है क्योंकि सुरक्षा एजैंसियां 300-400 संगठित गुंडों के खिलाफ असहाय हैं जिन्हें राजनेताओं का संरक्षण प्राप्त है। याद रखें, शरीर में एक कैंसर कोशिका पूरे शरीर के लिए खतरा है। इसी तरह विश्व में कहीं भी आतंकवाद और उग्रवाद, अंतत: वैश्विक सुरक्षा के लिए खतरा है।


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Content Writer

Seema Sharma

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