विश्व बैंक प्रमुख बंगा ने विदेश मंत्री जयशंकर से "ग्लोबल साउथ की चिंताओं" पर की चर्चा, कहा-भारत को लेकर आशावादी हूं
punjabkesari.in Thursday, Jul 20, 2023 - 01:41 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्क : विदेश मंत्री एस जयशंकर और विश्व बैंक के अध्यक्ष अजय बंगा ने बुधवार को "क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को सशक्त बनाने के भारत के प्रयासों" और "ग्लोबल साउथ की चिंताओं" पर चर्चा की। भारतीय-अमेरिकी अजय बंगा, जो तीसरी G20 वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक गवर्नरों की बैठक में भाग लेने के लिए गुजरात के गांधीनगर में हैं, ने बुधवार को जयशंकर से मुलाकात की और "बड़े विकास को बढ़ावा देने" के लिए भारत के प्रयासों के बारे में बात की।
दोनों नेताओं की मुलाकात के बाद जयशंकर ने ट्वीट किया, “ वर्ल्डबैंक के अध्यक्ष अजय बंगा से मिलकर खुशी हुई। हमने क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को मजबूत करने, क्षेत्रीय समृद्धि को बढ़ावा देने और बड़े विकास को आगे बढ़ाने के भारत के प्रयासों पर चर्चा की। ग्लोबल साउथ की चिंताओं के बारे में भी विचारों का आदान-प्रदान किया।
इससे पहले बंगा ने कहा कि आर्थिक रूप से भारत को लेकर आज अधिक आशावादी हैं और बुनियादी ढांचे के डिजिटलीकरण की दिशा में सरकार की पहल की सराहनीय है । उन्होंने IMF और विश्व बैंक की भविष्यवाणियों का भी जिक्र किया कि दुनिया एक या दो साल के लिए थोड़ी चुनौतीपूर्ण हो जाएगी और जोर देकर कहा कि पूर्वानुमान नियति नहीं है। बैठक से इतर विशेष साक्षात्कार में बंगा ने कहा कि डिजिटलीकरण ने लोगों के लिए सेवाओं तक पहुंच आसान बना दी है और वह इसके "बड़े प्रशंसक" हैं। "आप बुनियादी ढांचे को डिजिटल किए बिना ऋण देने का डिजिटलीकरण नहीं कर सकते। भारत ने पिछले 15-20 वर्षों में जो किया है, वह बुनियादी ढांचे का डिजिटलीकरण है। उन्होंने कहा कि यह इन सभी शानदार अनुप्रयोगों को बनाने में सक्षम बना रहा है, जो इसे आसान बनाता है लोग ऑनलाइन सेवाओं का उपयोग कर सकते हैं। इसलिए मैं इसका बहुत बड़ा प्रशंसक हूं" । उन्होंने कहा, ''मैं लंबे समय की तुलना में आज समग्र रूप से आर्थिक रूप से भारत को लेकर अधिक आशावादी हूं।''
बंगा ने यहां संवाददाताओं के साथ बातचीत में कहा कि भारत कोविड महामारी के समय पैदा हुई चुनौतियों से मजबूत बनकर उभरा है, लेकिन उसे यह रफ्तार आगे भी कायम रखने की जरूरत है। बंगा ने कहा, ‘‘भारत वैश्विक स्तर पर कायम सुस्ती के बीच काफी कुछ ऐसा कर रहा है जो उसे आगे रखने में मदद कर रहे हैं। बंगा ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक स्तर पर सुस्ती होने के बावजूद अपने घरेलू खपत की वजह से सुरक्षित है। उच्च आय वाली नौकरियों में संभावित वृद्धि के बारे में पूछे जाने पर बंगा ने कहा, ‘‘हमें यह समझना होगा कि ये नौकरियां कहां पर हैं। ये नौकरियां प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हैं और बहुत कम संख्या में हैं। फिर विनिर्माण क्षेत्र में ऐसी नौकरियां हैं। भारत के सामने फिलहाल यह मौका है कि वह ‘चीन प्लस वन' रणनीति का फायदा उठाए।'' चीन प्लस वन रणनीति का मतलब है कि दुनिया के विकसित देशों की कंपनियां अब अपने विनिर्माण केंद्र के तौर पर चीन के साथ किसी अन्य देश को भी जोड़ना चाहती हैं। इसके लिए भारत भी एक संभावित दावेदार के तौर पर उभरकर सामने आया है।
बंगा ने कहा, ‘‘भारत को यह भी ध्यान रखना होगा कि चीन प्लस वन रणनीति से मिलने वाला अवसर उसके लिए 10 वर्षों तक नहीं खुला रहेगा। यह तीन से लेकर पांच साल तक उपलब्ध रहने वाला अवसर है जिसमें आपूर्ति शृंखला को अन्य देश में ले जाने या चीन के साथ अन्य देश को जोड़ने की जरूरत है।'' कोविड-19 महामारी के दौरान चीन में विनिर्माण गतिविधियां पूरी तरह ठप होने से आपूर्ति शृंखला पर बहुत बुरा असर पड़ा था। उसी समय से बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने विनिर्माण गतिविधियों के लिए चीन के विकल्प की तलाश शुरू कर दी थी। उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ जी20 सम्मेलन और विश्व बैंक एवं भारत के बीच सहयोग जैसे कई मुद्दों पर भी उनकी चर्चा हुई है। पिछले महीने की शुरुआत में विश्व बैंक की कमान संभालने वाले 63 वर्षीय बंगा इस समय भारत के दौरे पर आए हैं। यह विश्व बैंक अध्यक्ष के तौर पर उनकी पहली भारत यात्रा है। बंगा विश्व बैंक या अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष का प्रमुख बनने वाले भारतीय मूल के पहले व्यक्ति हैं।
विश्व बैंक के कार्यकारी निदेशकों ने इस साल मई में बंगा को पांच साल के कार्यकाल के लिए बैंक के 14वें अध्यक्ष के रूप में चुना।