कहीं आपका बच्चा भी Phone Addict तो नहीं, अगर है तो फिर इसे हल्के में ना लें... जानिए समाधान!
punjabkesari.in Thursday, Feb 13, 2025 - 09:43 AM (IST)
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नेशनल डेस्क। बचपन हंसी, खेल और नई सीख का समय होता है लेकिन आजकल के हालात में बच्चों में मोबाइल फोन की लत बढ़ती जा रही है। यह एक गंभीर समस्या बन चुकी है और सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि पैरंट्स को इसका अंदाजा देर से होता है। अगर आपका बच्चा बिना फोन के बेचैन हो जाता है हर वक्त मोबाइल पर कुछ न कुछ करता रहता है और देर रात तक फोन स्क्रॉल करता रहता है तो यह एक चेतावनी है। बच्चों की यह आदत उनकी सेहत, नींद और सोशल लाइफ पर बुरा असर डाल सकती है।
साइकोथेरेपिस्ट काउंसलर डॉ. रागिनी सिंह का कहना है कि आजकल बच्चों का स्मार्टफोन से जुड़ाव स्वाभाविक हो गया है लेकिन जरूरत से ज्यादा इसका इस्तेमाल खतरनाक हो सकता है। खासकर इंटरनेट और स्मार्टफोन के बढ़ते इस्तेमाल ने बच्चों की दिनचर्या को बदल दिया है। पहले बच्चे यूट्यूब, सोशल मीडिया आदि पर समय बिताते थे लेकिन अब रील्स का चलन तेजी से बढ़ा है और बच्चों का इन पर समय बर्बाद होने लगा है जिससे एडिक्शन और तनाव की समस्या बढ़ रही है।
कितना गंभीर है यह मामला?
डॉ. रागिनी ने ऐपल के फाउंडर स्टीव जॉब्स के बयान का हवाला देते हुए बताया कि स्टीव जॉब्स ने कहा था कि बच्चों को ज्यादा फोन देना नुकसानदेह हो सकता है क्योंकि उनका सही इस्तेमाल नहीं हो पाता। उन्होंने यह भी कहा कि यदि बच्चे फोन का इस्तेमाल करते हैं तो उन्हें देखरेख में किया जाए ताकि इसके दुष्प्रभाव से बचा जा सके। स्टीव जॉब्स के अनुसार जिसने ऐपल को बनाया है वह भी इस बात से सहमत हैं कि बच्चों को ज्यादा फोन देना सही नहीं है क्योंकि इसका असर पूरी दुनिया में देखा जा रहा है।
कौन से संकेत हैं जिनसे आप पहचान सकते हैं कि आपका बच्चा फोन का एडिक्ट तो नहीं हो गया है?
➤ स्वभाव में बदलाव: हर समय फोन हाथ में रखना, छोटी-छोटी चीजों के लिए फोन देखना और अगर फोन छीन लिया जाए तो गुस्से में आना।
➤ सोशल एक्टिविटी में कमी: दोस्तों और परिवार से बातचीत की बजाय फोन पर समय बिताना, आउटडोर खेलों और अन्य एक्टिविटी में रुचि खत्म हो जाना।
➤ पढ़ाई और प्रदर्शन पर असर: होमवर्क या पढ़ाई में ध्यान न देना।
➤ नींद की कमी: देर तक फोन चलाना और ठीक से न सो पाना।
इस समस्या का हल क्या हो सकता है?
➤ फैमिली टाइम तय करें: दिन में एक समय ऐसा रखें जब परिवार के सभी सदस्य बिना फोन के एक साथ समय बिताएं।
➤ फोन देखने की समय सीमा तय करें: बच्चों के स्क्रीन टाइम को सीमित करें और इसके लिए नियम बनाएं।
➤ आउटडोर एक्टिविटी बढ़ाएं: बच्चों को खेलकूद और शारीरिक गतिविधियों में शामिल करें।
➤ रोल मॉडल बनें: खुद भी स्क्रीन टाइम कम करें और फोन का सही तरीके से इस्तेमाल दिखाएं।
➤ शौक विकसित करें: बच्चों को किताबें पढ़ने, कला या किसी नई एक्टिविटी में रुचि दिलाएं।
इस लत से बाहर कौन निकल सकता है?
डॉ. रागिनी ने बताया कि वे एक कॉलेज में भी पढ़ाती हैं और वहां कई स्टूडेंट्स उन्हें बताते हैं कि वे फोन के बिना नहीं रह पाते। पढ़ाई में मन नहीं लगता और करियर पर असर पड़ रहा है। जो बच्चे इंजीनियरिंग और मेडिकल जैसे कोर्स करने आए हैं उनका समय फोन पर ही बीत रहा है। जो बच्चे खुद काउंसलिंग के लिए आते हैं वे इस लत से बाहर निकल सकते हैं। वहीं छोटे बच्चों के लिए माता-पिता और टीचर्स का अहम रोल है। उन्हें पहल करनी चाहिए ताकि बच्चे उन्हें अपना हीरो मानते हुए वैसा ही करें।
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कितनी उम्र में बच्चे फोन का इस्तेमाल कर रहे हैं?
➤ 42% बच्चे 10 साल की उम्र में फोन का इस्तेमाल करना शुरू करते हैं।
➤ 71% बच्चे 12 साल की उम्र तक फोन का इस्तेमाल करने लगते हैं।
➤ 91% बच्चे 12 साल की उम्र में फोन का इस्तेमाल कर रहे हैं।
यह स्थिति गंभीर है और माता-पिता और शिक्षक को इस दिशा में सक्रिय कदम उठाने की जरूरत है ताकि बच्चों को इस लत से बाहर निकाला जा सके और उनका स्वस्थ विकास हो सके।