Lung Cancer Alert: धूम्रपान के इलावा ये है फेफड़ों के कैंसर की सबसे बड़ी वजह, जानकर कांप उठेगी रुह

punjabkesari.in Sunday, Jul 27, 2025 - 06:38 PM (IST)

नेशनल डेस्क : फेफड़ों के कैंसर को आमतौर पर धूम्रपान से जोड़कर देखा जाता है। यह बीमारी तब होती है जब फेफड़ों की कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं और ट्यूमर (गांठ) बना लेती हैं। यह ट्यूमर फेफड़ों की सही तरीके से काम करने की क्षमता को प्रभावित करता है और कई बार शरीर के दूसरे अंगों में भी फैल जाता है।

फेफड़ों का कैंसर दुनिया में सबसे ज्यादा मौत का कारण बनने वाली बीमारियों में से एक है। लेकिन अब चौंकाने वाली बात यह है कि धूम्रपान न करने वाले लोगों में भी इसकी संख्या तेजी से बढ़ रही है।

फेफड़ों के कैंसर का बदलता ट्रेंड

पहले इसे केवल स्मोकिंग करने वालों की बीमारी माना जाता था, लेकिन हाल के वर्षों में इसका स्वरूप बदल गया है।

  • अमेरिकन कैंसर सोसाइटी की रिपोर्ट बताती है कि अमेरिका में फेफड़ों के कैंसर के लगभग 20% केस ऐसे लोगों में हो रहे हैं जिन्होंने कभी धूम्रपान नहीं किया।
  • एशिया के कुछ हिस्सों में यह आंकड़ा और भी डराने वाला है – यहां 50% तक मरीज कभी धूम्रपान नहीं करने वाले होते हैं।
  • खासकर महिलाओं में यह समस्या और ज्यादा देखी जा रही है।

यह बदलती स्थिति वैज्ञानिकों के लिए भी हैरानी का कारण बनी हुई है और रिसर्च के नए पहलुओं को सामने ला रही है।

धूम्रपान न करने वालों में भी फेफड़ों का कैंसर क्यों बढ़ रहा है?

वायु प्रदूषण (Air Pollution)

  • हवा में मौजूद PM2.5 जैसे बेहद छोटे कण फेफड़ों के ऊतकों में गहराई तक घुस जाते हैं और खून में मिलकर नुकसान पहुंचाते हैं।
  • लंबे समय तक प्रदूषित हवा में रहने से फेफड़ों के कैंसर का खतरा बढ़ता है।

रेडॉन गैस (Radon Gas)

  • यह एक गंधहीन और रंगहीन रेडियोधर्मी गैस है जो मिट्टी और चट्टानों से निकलती है।
  • यह घरों की दीवारों या नींव की दरारों से अंदर रिस सकती है और कैंसर का कारण बन सकती है।
  • अमेरिका में धूम्रपान न करने वालों में यह दूसरा बड़ा कारण माना जाता है।

वायरस का असर

ह्यूमन पेपिलोमा वायरस (HPV) और एपस्टीन-बार वायरस जैसे कुछ वायरस भी फेफड़ों के कैंसर का खतरा बढ़ा सकते हैं।

सेकंड हैंड स्मोकिंग

जो लोग खुद धूम्रपान नहीं करते लेकिन दूसरों के धुएं के संपर्क में रहते हैं, उन्हें भी यह बीमारी हो सकती है। इसे सेकंड हैंड स्मोकिंग कहा जाता है।

खाना बनाने के दौरान निकलने वाला धुआं

खासकर ग्रामीण इलाकों में लकड़ी, कोयला या गोबर के कंडों से खाना बनाने पर निकलने वाला धुआं फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है।

अनुवांशिक कारण (Genetics)

अगर परिवार में किसी को फेफड़ों का कैंसर हुआ है, तो जीन्स के कारण भी इसका रिस्क बढ़ सकता है।

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Mehak

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