आतकंवाद को हराने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय को कंधे से कंधा मिलाकर लड़ना होगा : शाह

punjabkesari.in Sunday, Nov 20, 2022 - 01:14 AM (IST)

नेशनल डेस्क :  शाह ने इन “आतंकवाद की पनाहगाहों” के खिलाफ आर्थिक प्रतिबंध की जरूरत को रेखांकित किया। उन्होंने यह भी कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अपने भू-राजनीतिक हितों से ऊपर उठकर इन देशों से निपटने के तरीके को लेकर अपना मन बनाना होगा और तेजी से जटिल और व्यापक होते इस खतरे के खिलाफ “कंधे से कंधा मिलाकर” लड़ाई जारी रखनी होगी।

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी इसी तरह के विचार प्रकट किए। शाह ने कहा, “कोई भी देश या संगठन अकेले आतंकवाद से नहीं निपट सकता।” जयशंकर ने आतंकवाद से निपटने के लिए एक ‘‘एकसमान और ठोस'' दृष्टिकोण की वकालत की और राष्ट्रों से इस खतरे से निपटने के लिए राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठने का आग्रह किया। विदेश मंत्री ने आतंकवाद के कारण वैश्विक सुरक्षा और स्थिरता के अस्तित्व के सामने मौजूद खतरों को उजागर करने के लिए भारत और समान विचारधारा वाले देशों की प्रतिबद्धता के बारे में बात करते हुए कहा, ‘‘आतंक, आतंक है और इसे कभी सही नहीं ठहराया जा सकता।

हम इस संकट और इसे पोषित करने व आगे बढ़ाने वालों उजागर करते रहेंगे।" शाह और जयशंकर ने आतंकवाद के वित्तपोषण के खिलाफ आयोजित तीसरे ‘नो मनी फॉर टेरर' सम्मेलन को संबोधित करते हुए ये बातें कहीं। शनिवार को समाप्त हुए इस दो दिवसीय सम्मेलन का आयोजन गृह मंत्रालय ने किया था और इसमें 75 से अधिक देशों व अंतरराष्ट्रीय संगठनों के 450 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। अधिकारियों ने कहा कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान ने बैठक में भाग नहीं लिया, जबकि चीन को आमंत्रित किया गया था, लेकिन उसने हिस्सा नहीं लिया।

शाह ने समापन सत्र को संबोधित करते हुए प्राथमिकता वाले छह मुद्दों पर भी प्रकाश डाला, जिनमें आतंकवादी नेटवर्क द्वारा अवैध माध्यमों, कैश कूरियर और 'हवाला' के उपयोग को समाप्त करना शामिल है। शाह ने कहा, “कुछ देशों, उनकी सरकारों और उनकी एजेंसियों ने 'आतंकवाद' को अपनी सरकारी नीति बना लिया है। इन आतंकी पनाहगाहों के खिलाफ सख्त आर्थिक प्रतिबंध के साथ-साथ इनकी बेलगाम गतिविधियों पर रोक लगाना भी जरूरी है।” उन्होंने कहा, “सभी देशों को अपने भू-राजनीतिक हितों से ऊपर उठकर इस बारे में अपना मन बनाना होगा।”

कई देश आतंकवादियों के दे रहे पनाह

गृह मंत्री ने कहा कि यह देखा जा रहा है कि कुछ देश बार-बार आतंकवादियों और आतंकवाद को पनाह देने वालों का समर्थन करते हैं। शाह ने कहा, “मेरा मानना है कि आतंकवाद की कोई अंतरराष्ट्रीय सीमा नहीं होती है, इसलिए सभी देशों को राजनीति से परे सोचते हुए एक दूसरे के साथ सहयोग करना चाहिए।” साथ ही, शाह ने कहा कि सभी देशों को 'आतंकवाद' और 'आतंक वित्त पोषण' की एक सामान्य परिभाषा पर सहमत होना होगा, क्योंकि यह नागरिकों और उनके मानव व लोकतांत्रिक अधिकारों की सुरक्षा का मुद्दा है और इसलिए इसे राजनीतिक मुद्दा नहीं बनाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि हर किसी को आतंकवाद और आतंकवादी समूहों के खिलाफ, हर भौगोलिक क्षेत्र में, हर आभासी क्षेत्र में यह जंग लड़नी चाहिए। शाह ने कहा कि ऐसे कई उदाहरण हैं जब, अन्य उद्देश्यों की आड़ में, कुछ संगठन राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद और कट्टरपंथ को बढ़ावा देते हैं। गृह मंत्री ने कहा, “आतंकवादी सूचना प्रौद्योगिकी और साइबरस्पेस को बहुत अच्छी तरह समझते हैं। वे जनता की संवेदनशीलता को भी समझते हैं और उनका शोषण करते हैं। साइबरस्पेस आज आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एक प्रमुख युद्ध का मैदान बन गया है।”

शाह ने आतंकवाद को लोकतंत्र, मानवाधिकार, आर्थिक प्रगति और विश्व शांति का सबसे बड़ा दुश्मन बताते हुए कहा कि आतंकवाद को उसके मंसूबों में कामयाब नहीं होने दिया जा सकता। उन्होंने कहा कि यह इतना विकराल रूप ले चुका है कि इसका प्रभाव हर स्तर पर दिखाई दे रहा है। वहीं विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि 'नो मनी फॉर टेरर' प्लेटफॉर्म का उद्देश्य आतंकवाद के वित्तपोषण के खिलाफ बड़ी लड़ाई को व्यापक आधार देना है। उन्होंने कहा, ‘‘जब आतंकवाद की बात आती है, तो हम कभी पीछे मुड़कर नहीं देखेंगे, हम कभी समझौता नहीं करेंगे और न्याय सुनिश्चित करने के अपने प्रयास में कोई कमी नहीं छोड़ेंगे।''


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News Editor

Parveen Kumar

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