नए अवतार में नजर आएगा INS निस्तार, कभी पाकिस्तान की पनडुब्बी गाज़ी पर किया था डाइविंग ऑपरेशन

punjabkesari.in Thursday, Sep 22, 2022 - 09:14 PM (IST)

नई दिल्लीः भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल आर. हरि कुमार की मौजूदगी में बृहस्पतिवार को विशाखापत्तनम में नौसेना के दो ‘डाइविंग सपोर्ट वेसल (डीएसवी) का जलावतरण किया गया। इस अवसर पर अपने संबोधन में एडमिरल कुमार ने कहा कि डीएसवी का जलावतरण “भारत के पोत निर्माण उद्योग और अनुभव की परिपक्वता को दर्शाता है।” अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि डीएसवी अपनी तरह के पहले पोत हैं और इनका डिजाइन तथा निर्माण हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड, विशाखापत्तनम ने नौसेना के लिए किया है।

नौसेना की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि ‘निस्तार' और ‘निपुण' के निर्माण में प्रयुक्त लगभग 80 प्रतिशत सामग्री स्वदेशी है जो कि आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ाया गया एक बड़ा कदम है। बयान में कहा गया कि डीएसवी परियोजना ने स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर पैदा किये और स्वदेशी निर्माण को प्रोत्साहित किया जिससे देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।उन्होंने कहा कि 1971 के युद्ध में निस्तार के पुराने अवतार यानी आईएनएस निस्तार ने पाकिस्तान की गाजी पनडुब्बी पर सफल डाइविंग ऑपरेशन कर नौसेना को बेहद अहम जानकारी दी थी।

साल 1971 के युद्ध में पाकिस्तान की गाजी पनडुब्बी विशाखापट्टनम हार्बर के करीब बंगाल की खाड़ी में डूब गई थी। उसी साल भारत ने रूस से एक डाइविंग सपोर्ट वैसेल (DSV) लिया था, जिसका कि नाम निस्तार रखा गया था। साल 1989 में ये जहाज नौसेना से रिटायर हो गया था। उसी के नाम पर नए निस्तार डीएसवी का निर्माण किया जा रहा है।

नौसेना प्रमुख की पत्नी और नौसेना देखभाल एवं कल्याण संघ (एनडब्ल्यूडब्ल्यूए) की अध्यक्ष कला हरि कुमार ने पारंपरिक ढंग से इन पोतों का नामकरण किया और इस अवसर पर मौजूद लोगों ने बंगाल की खाड़ी में पोतों के जलावतरण का तालियां बजाकर स्वागत किया। एडमिरल कुमार ने अपने संबोधन में कहा, “भारतीय नौसेना के दो जटिल और अहम पोतों के जलावतरण के ऐतिहासिक मौके पर यहां होना गर्व का विषय है। एक बार नौसेना में शामिल होने के बाद ये स्वदेशी डाइविंग सपोर्ट वेसेल (डीएसवी) आईएनएस निपुण और आईएनएस निस्तार के नाम से जाने जाएंगे।”

एडमिरल ने कहा, “निस्तार और निपुण न केवल गहरे समुद्र के हमारे अभियानों में एक नए युग का सूत्रपात करेंगे बल्कि एक विश्वसनीय बल के रूप में भारतीय नौसेना का स्तर भी ऊंचा करेंगे। इसके अलावा ये पोत हिंद महासागर में पनडुब्बी बचाव अभियानों में भी सबसे आगे बढ़कर हिस्सा ले सकेंगे।” बयान में कहा गया कि इन पोतों को गहरे समुद्र में गोते लगाने संबंधी अभियान में तैनात किया जाएगा। ये पोत सतत गश्त करने, तलाश एवं बचाव अभियान चलाने तथा ऊंची लहरों के दौरान हेलीकॉप्टर अभियानों के संचालन में सक्षम हैं।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Yaspal

Recommended News

Related News