नौसेना को मिलेगी परमाणु ताकत भारत ने दो न्यूक्लियर पनडुब्बियों को दी मंजूरी, ब्रह्मोस और हाइपरसोनिक मिसाइल से होंगी लैस
punjabkesari.in Tuesday, Jul 08, 2025 - 08:27 PM (IST)

National Desk : भारत अपने सामरिक रक्षा तंत्र को और मजबूत करने के लिए तेज़ी से काम कर रहा है। इसी दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए देश ने Project-77 के तहत दो परमाणु ऊर्जा से संचालित अटैक पनडुब्बियों (SSN) के निर्माण को मंजूरी दे दी है। इस महत्वाकांक्षी परियोजना में Larsen & Toubro (L&T), रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) और विशाखापत्तनम स्थित शिपबिल्डिंग सेंटर मिलकर इन अत्याधुनिक पनडुब्बियों का निर्माण करेंगे।
क्या होती हैं SSN पनडुब्बियाँ?
भारत की योजना Project-77 के तहत कुल छह SSN पनडुब्बियों का निर्माण करने की है। ये पनडुब्बियाँ परमाणु रिएक्टर से संचालित होती हैं, जिससे वे लंबे समय तक जल के भीतर रह सकती हैं और पारंपरिक डीज़ल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों की तुलना में ज्यादा तेज़ और अधिक टिकाऊ होती हैं।
इन पनडुब्बियों को DRDO द्वारा विकसित ब्रह्मोस मिसाइल के उन्नत संस्करण और हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइलों से लैस किया जाएगा, जिनकी मारक क्षमता 1,500 से 2,000 किलोमीटर तक होगी। यह क्षमता भारतीय नौसेना को दुश्मन की हवाई और पनडुब्बी रोधी सुरक्षा व्यवस्था से दूर रहते हुए भी गहरे और सटीक स्ट्राइक करने में मदद करेगी।
रणनीतिक भूमिका में बदलाव
गौरतलब है कि जहां Arihant-क्लास SSBN पनडुब्बियाँ परमाणु प्रतिरोध के लिए हैं, वहीं SSN पनडुब्बियाँ रणनीतिक और सामरिक दोनों भूमिकाओं में काम करेंगी — जैसे दुश्मन पोतों का पीछा करना, निगरानी करना और उच्च जोखिम वाले मिशनों में सटीक हमले करना।
निर्माण में L&T की अहम भूमिका
L&T पहले भी भारत की Arihant-क्लास परमाणु पनडुब्बियों के निर्माण में भागीदारी निभा चुकी है। Project-77 के तहत कंपनी को एक बार फिर से विश्वास के साथ शामिल किया गया है। L&T गुजरात के हजीरा स्थित विशेष निर्माण केंद्र में इन पनडुब्बियों के महत्वपूर्ण ढांचे और प्रेशर कंपार्टमेंट का निर्माण करेगी।
नौसेना का फोकस: हाइपरसोनिक हथियार प्रणाली
भारतीय नौसेना अब परंपरागत सब-सोनिक मिसाइलों की जगह सुपरसोनिक और हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइलों को तवज्जो दे रही है। ये मिसाइलें तेज़ रफ्तार से चलती हैं और दुश्मन की एयर डिफेंस प्रणाली को चकमा देने में सक्षम होती हैं।
idrw.org की रिपोर्ट के अनुसार, इस परियोजना से जुड़े एक सूत्र ने बताया "सब-सोनिक मिसाइलें अब आधुनिक वायु रक्षा प्रणालियों के सामने कमजोर पड़ती जा रही हैं। नौसेना चाहती है कि उसकी पनडुब्बियाँ तेज़, घातक और कठिन मिशनों में प्रभावी साबित हों, जिसके लिए सुपरसोनिक और हाइपरसोनिक मिसाइलें ही उपयुक्त विकल्प हैं।"
समुद्री सुरक्षा और रणनीतिक संतुलन में भारत का कदम
इस परियोजना के साथ भारत इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अपनी समुद्री ताकत और रणनीतिक संतुलन को मज़बूत करने की दिशा में बड़ा कदम उठा रहा है। तेज़, स्टील्थ और शक्तिशाली हथियारों से लैस ये पनडुब्बियाँ भारत की नौसैनिक रणनीति को नई धार देंगी और बदलते सुरक्षा परिदृश्य में उसे एक निर्णायक बढ़त दिलाएंगी।