अब चीन की बुरी नजर भारत के दबदबे वाले हिंद महासागर पर

punjabkesari.in Thursday, Dec 01, 2022 - 05:32 PM (IST)

नेशनल डेस्क: पड़ोसी देशों की जमीन पर लालची दृष्टि रखने वाले चीन की बुरी नजर अब भारत के दबदबे वाले ङ्क्षहद महासागर पर है। दक्षिण चीन सागर में ड्रैगन की गतिविधियों से पहले ही वियतनाम, ताईवान, फिलीपींस, ब्रूनेई और मलेशिया परेशान हैं। पिछले सप्ताह चीन ने यून्नान प्रांत के कुनमिंग में हिंद महासागर के देशों का पहला सम्मेलन बुलाया। इसे नाम दिया गया चाइना-इंडियन ओशन रीजन फोरम। 

इस सम्मेलन में हिंद महासागर क्षेत्र के सबसे बड़े खिलाड़ी भारत, आस्ट्रेलिया और मालदीव ने हिस्सा नहीं लिया। इस आयोजन के पीछे चीन का इरादा हिंद महासागर में अपनी कूटनीति तेज कर भारत के असर को कम करना था। वैसे भारत में चीनी दूतावास के प्रवक्ता वांग शियाओजियान ने ट्वीट कर स्पष्ट किया था कि भारत को इसमें बुलाया गया था। 

असल में हिंद महासागर से लेकर प्रशांत महासागर तक यह पूरा जल क्षेत्र नौवहन की बड़ी अंतर्राष्ट्रीय सप्लाई चेन है। इसमें भारत एक स्वाभाविक सहयोगी है। चीन चाहता है कि वह भारत के अलावा ङ्क्षहद महासागर से लगते अन्य देशों के साथ मिलकर इसके समुद्री मार्गों पर अपना नियंत्रण और प्रभाव बढ़ाए तथा भारत के असर को कम करे इसलिए चीन की ओर से दावा किया गया कि आस्ट्रेलिया ने भी इस सम्मेलन में हिस्सा लिया मगर भारत में आस्ट्रेलिया के उच्चायुक्त बेरी ओ फेरल ने ट्वीट कर स्पष्ट कर दिया कि इस सम्मेलन में आस्ट्रेलिया का कोई अधिकारी शामिल नहीं हुआ।

हालांकि दक्षिण चीन सागर विवाद में भारत की स्पष्ट नीति यह है कि वह किसी भी पक्ष में शामिल नहीं है, मगर वह अपने आॢथक हितों खासकर ऊर्जा सुरक्षा को लेकर सतर्क है। खासकर हिंद-प्रशांत क्षेत्र में मजबूत संबंध विकसित कर रहा है। दक्षिण चीन सागर में हमने समुद्री नौवहन सुरक्षा के लिए वियतनाम के साथ अपनी नौसेना को तैनात किया है। क्वाड पहल जिसमें भारत, अमरीका, जापान और आस्ट्रेलिया शामिल हैं, भी हिंद-प्रशांत क्षेत्र का हिस्सा है। 


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Content Writer

Anil dev

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