बंटवारे के समय भारत से पाकिस्तान कितने हिंदू गए थे, अब क्या है स्थिति? दोनों आंकड़े चौंका देंगे!
punjabkesari.in Tuesday, Apr 29, 2025 - 08:02 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्क: साल 1947 में भारत-पाकिस्तान का बंटवारा हुआ तो महज एक लकीर नहीं खिंची, बल्कि करोड़ों लोगों की जिंदगी बिखर गई। धर्म के आधार पर पाकिस्तान बना और इस दौरान बड़ी संख्या में हिंदू और सिख भारत की ओर आए, जबकि मुस्लिम समुदाय पाकिस्तान की ओर चला गया। यह स्वतंत्रता के साथ इतिहास का सबसे दर्दनाक अध्याय भी था। बंटवारे के समय भारत से पाकिस्तान कितने हिंदू गए, इस पर कोई स्पष्ट आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। लेकिन यह जरूर दर्ज है कि 1941 की जनगणना के मुताबिक, पाकिस्तान वाले क्षेत्र में करीब 14.6% हिंदू रहते थे। बंटवारे के बाद करीब 44 लाख हिंदू और सिख भारत लौट आए। इसका नतीजा यह हुआ कि पाकिस्तान में हिंदुओं की आबादी तेजी से घट गई।
आज कितने बचे हैं सनातनी?
2023 की पाकिस्तानी जनगणना के मुताबिक, वहां करीब 38 लाख हिंदू बचे हैं, जो कुल आबादी का महज 2.17% हिस्सा हैं। 2017 में यह संख्या 35 लाख थी। हालांकि, कुल जनसंख्या के अनुपात में यह हिस्सेदारी घटती जा रही है। 1998 में यह 1.6% थी, जो मामूली बढ़ोतरी के बाद भी बेहद कम मानी जाती है।
कहां रहते हैं सबसे ज्यादा हिंदू?
पाकिस्तान की 95% हिंदू आबादी सिंध प्रांत में रहती है।
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उमेरकोट जिला: यहां 54.6% जनसंख्या हिंदू है।
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थारपारकर जिला: यहां हिंदुओं की संख्या सबसे ज्यादा यानी करीब 8.11 लाख है।
हालांकि इन क्षेत्रों में भी हिंदू समाज को सामाजिक और आर्थिक भेदभाव, साथ ही सुरक्षा की गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
धर्मांतरण और भेदभाव की मार
मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि पाकिस्तान में हिंदू समुदाय को भेदभाव, जबरन धर्मांतरण और अपहरण जैसी घटनाओं का सामना करना पड़ता है। खासकर सिंध में नाबालिग हिंदू लड़कियों को अगवा कर जबरन मुस्लिम धर्म अपनवाने की घटनाएं आम हो गई हैं। इससे कई हिंदू परिवार भारत की ओर पलायन कर चुके हैं या करने की कोशिश में हैं।
मंदिरों की बदहाल हालत
बंटवारे के बाद पाकिस्तान में न केवल हिंदुओं की संख्या घटी बल्कि उनके धार्मिक स्थलों को भी नुकसान हुआ। कई मंदिर तोड़ दिए गए या उनकी जगह अन्य निर्माण कर दिया गया। जो मंदिर बचे हैं उनकी स्थिति बेहद दयनीय है, जिससे सनातनी सांस्कृतिक विरासत खतरे में है।
हिंदुओं को पाकिस्तान की नौकरियों, राजनीति और प्रशासन में बेहद कम प्रतिनिधित्व मिला है। शिक्षा, स्वास्थ्य और न्याय जैसे क्षेत्रों में भी भेदभाव झेलना आम बात है। इस सामाजिक असमानता ने हिंदू समुदाय की स्थिति को और नाजुक बना दिया है। बंटवारे के दौरान 5 से 10 लाख लोग मारे गए और करीब 1.46 करोड़ लोग विस्थापित हुए। यह मानव इतिहास का सबसे बड़ा और सबसे खतरनाक पलायन था। इसने दोनों देशों की सामाजिक और सांस्कृतिक संरचना को हमेशा के लिए बदल दिया।