Delhi Fee Act: दिल्ली के प्राइवेट स्कूलों में फीस को लेकर आई बड़ी खबर, अब नही चलेगी मनमानी, लगेगा सख्त नियंत्रण
punjabkesari.in Tuesday, Apr 29, 2025 - 04:08 PM (IST)

नेशनल डेस्क: दिल्ली सरकार ने अभिभावकों को बड़ी राहत दी है। राज्य कैबिनेट ने "दिल्ली स्कूल फीस एक्ट" को मंजूरी दे दी है। इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य प्राइवेट स्कूलों द्वारा की जा रही मनमानी फीस वसूली पर लगाम लगाना है। अब निजी स्कूल मनमानी तरीके से फीस नहीं बढ़ा पाएंगे और अगर बढ़ाते हैं तो उन्हें सरकार के दिशा-निर्देशों का पालन करना होगा। दिलचस्प बात यह रही कि यह एजेंडा पहले से तय नहीं था। बैठक के दौरान मंत्री आशीष सूद टेबल एजेंडा के रूप में यह प्रस्ताव लेकर आए और मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की अध्यक्षता में इसे तुरंत मंजूरी दे दी गई। यह निर्णय न सिर्फ शिक्षा प्रणाली में पारदर्शिता लाएगा बल्कि हजारों अभिभावकों की वर्षों पुरानी मांग को भी पूरा करेगा।
क्यों जरूरी था ये कानून?
अब तक दिल्ली में प्राइवेट स्कूलों की फीस निर्धारण और उसकी वृद्धि पर नियंत्रण के लिए कोई ठोस कानून नहीं था। स्कूल मनमर्जी से एडमिशन फीस, सालाना फीस और अन्य चार्जेज़ बढ़ा देते थे। इससे मध्यमवर्गीय परिवारों पर भारी आर्थिक बोझ पड़ता था। कई बार शिकायतें दर्ज कराई गईं लेकिन कोई स्थायी समाधान नहीं निकलता था।
अभिभावकों को मिली बड़ी राहत
इस अधिनियम के लागू होने के बाद अब स्कूलों को किसी भी तरह की फीस बढ़ाने से पहले शिक्षा निदेशालय की अनुमति लेनी होगी। इसके अलावा अभिभावकों को हर तरह की फीस का स्पष्ट ब्रेकअप देना अनिवार्य होगा। इससे फीस में पारदर्शिता आएगी और गैरजरूरी वसूली पर रोक लगेगी।
सरकार ने कैसे दी जवाबदेही की गारंटी?
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा कि यह कानून बच्चों की शिक्षा को बोझ नहीं बनने देगा। सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि कोई भी स्कूल छात्रों को वित्तीय कारणों से बाहर न निकाले। अगर कोई स्कूल इस कानून का उल्लंघन करता है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी जिसमें जुर्माना, मान्यता रद्द या प्रशासनिक नियंत्रण शामिल हो सकता है।
बदलते शिक्षा तंत्र में ये कानून कितना कारगर?
विशेषज्ञों का मानना है कि यह अधिनियम शिक्षा में समानता और पारदर्शिता की दिशा में अहम कदम है। इससे न केवल प्राइवेट स्कूलों की जवाबदेही बढ़ेगी बल्कि शिक्षा क्षेत्र में एक संतुलन भी स्थापित होगा। इससे शिक्षा को एक सेवा के रूप में देखा जाएगा न कि केवल मुनाफा कमाने के साधन के रूप में।
अब आगे क्या होगा?
कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद अब यह विधेयक दिल्ली विधानसभा में पेश किया जाएगा। वहां से पारित होते ही इसे कानून का रूप मिल जाएगा और सभी प्राइवेट स्कूलों को इसका पालन करना अनिवार्य होगा। इसके लिए शिक्षा विभाग एक निगरानी समिति भी बनाएगा जो फीस से संबंधित शिकायतों का निपटारा करेगी।