भारत-कनाडा विवाद पर मजे ले रहे चीन और पाकिस्तान, जानें क्या कह रही दोनों देशों की मीडिया
punjabkesari.in Saturday, Sep 23, 2023 - 11:59 AM (IST)

इंटरनेशनल डेस्कः भारत और कनाडा के बीच खालिस्तान मुद्दे पर तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है। खालिस्तानी आंतकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद दोनों देशों के कूटनीतिक संबंधों में दरार और बढ़ गई है। हालांकि अमेरिका, आस्ट्रेलिया सहित दुनिया के कई देश इस मुद्दे पर भारत को समर्थन कर रहे हैं लेकिन मौजूदा खींचतान पर पाकिस्तान और चीन खुश हो रहे हैं और इसका अंदाजा दोनों देशों की मीडिया की प्रतिक्रिया से लगाया जा सकता है। हर मुद्दे पर भारत पर सवाल उठाने वाले पाकिस्तान ने मीडिया के जरिए अपनी भड़ास निकाली है और देश के भीतर हालात ठीक से नहीं संभालने को लेकर भारत की आलोचना की है।
दूसरा तरफ चीन ने भी अपने गिरेबान में झांके बगैर मीडिया में इस घटनाक्रम का इस्तेमाल भारत, अमेरिका और पश्चिमी देशों की आलोचना के लिए किया है। भारत और कनाडा के राजनयिक संकट पर चीन की सरकार ने अभी तक आधिकारिक रूप से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है लेकिन उसके मीडिया ने इस घटनाक्रम का इस्तेमाल अमेरिका और पश्चिमी देशों की आलोचना के लिए किया है।सरकारी समाचार एजेंसी 'शिनहुआ', 'द पेपर' और 'चाइनान्यूज़ डॉटकॉम' जैसे प्रमुख सरकारी मीडिया आउटलेट्स खालिस्तानी अलगाववादी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले को लेकर भारत और कनाडा द्वारा एक दूसरे के राजनयिकों को बर्खास्त करने की घटना की रिपोर्ट तथ्यात्मक रूप से प्रकाशित की है।
19 सितंबर को चीन के सरकारी भोंपू ग्लोबल टाइम्स ने लिखा कि "भारत-कनाडा का राजनयिक तनाव अमेरिकी मूल्यों पर आधारित गठबंधनों का पाखंड दिखलाता है।"ग्लोबल टाइम्स अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाठकों तक पहुंच रखने वाला चीन का राष्ट्रवादी अखबार माना जाता है। ग्लोबल टाइम्सने टीसिंघुआ यूनिवर्सिटी के नेशनल स्ट्रैटेजी इंस्टीट्यूट के शोध विभाग के निदेशक कियान फेंग के हवाले से लिखा है कि पश्चिमी देश ख़ासकर अमेरिका हाल के सालों में लोकतंत्र और आज़ादी के साझा मूल्यों के झंडाबरदार रहे हैं। वे चीन को काउंटर करने के लिए भारत के साथ सहयोग स्थापित करने की कोशिश करते रहे हैं। "भारत के मानवाधिकार हनन के ट्रैक रिकॉर्ड को लेकर वे क्या सोचते हैं, इसे लेकर उन्होंने आंखें बंद कर रखी हैं। ये भारत को लेकर पश्चिमी गठबंधन के पाखंड को जाहिर करता है।"
पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने भारत-कनाडा राजनयिक संकट पर कहा कि भारत एक ऐसा 'शरारती' देश बन गया है जो 'नाटो के एक सदस्य देश की संप्रभुता के उल्लंघन करते हुए पकड़ा' गया है।पाकिस्तानी मीडिया ने भी 20 सितंबर के अपने संस्करण के संपादकीय में कुछ इसी तरह की भावनाएं जाहिर की हैं। अंग्रेज़ी में छपने वाले अख़बार 'डॉन' ने लिखा है कि जैसा कि भारत सरकार को एहसास हो रहा होगा कि अगर हालात बिगड़े तो इसका परिणाम शर्मसार करने वाला हो सकता है। 'डॉन' के संपादकीय में इस राजनयिक संकट के लिए भारत और इसराइल के 'करीबी रिश्ते' को जिम्मेदार ठहराया है। डॉन अखबार का कहना है कि "भारत जिसे आतंकवादी समझता है, उस पर हमला करने का तरीका इसराइली खुफिया एजेंसी मोसाद की हैंडबुक से लिया है।"
एक और अखबार 'डेली टाइम्स' ने पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय से अपील की है कि अभी हालात हमलावर रुख अपनाने के लिए अनुकूल है। अखबार ने निज्जर की हत्या और भारत और पाकिस्तान के बीच की नियंत्रण रेखा के पास पकड़े गए कथित जासूसों के बीच तुलना करने की कोशिश की है। एक्सप्रेस ट्रिब्यून का कहना है कि हाल में हुई मणिपुर हिंसा के बीच भारत सिखों के हक और अपनी नीतियों के बीच 'मुश्किल दौर' से गुजर रहा है। उर्दू अखबार दुनिया ने भी इस ओर ध्यान दिलाया है कि पाकिस्तान में पिछले कुछ सालों में कई सिखों और कश्मीरियों ने 'ऐसी संदिग्ध घटनाओं' की जांच की मांग सुरक्षा एजेंसियों से की है।अखबार लिखता है, "कनाडा की सरकार जिन हालात से दो-चार हो रही है, सच तो ये है कि पाकिस्तान लंबे अरसे से दुनिया का ध्यान इस ओर खींचने की कोशिश कर रहा है।"
एक और उर्दू अखबार औसफ़ ने "कश्मीरियों और सिख संगठनों से सोशल मीडिया के जरिए दुनिया भर में भारत के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करने की अपील की है।"
अखबार ने टीसिंघुआ यूनिवर्सिटी के नेशनल स्ट्रैटेजी इंस्टीट्यूट के शोध विभाग के निदेशक क़ियान फेंग के हवाले से लिखा है कि पश्चिमी देश ख़ासकर अमेरिका हाल के सालों में लोकतंत्र और आज़ादी के साझा मूल्यों के झंडाबरदार रहे हैं. वे चीन को काउंटर करने के लिए भारत के साथ सहयोग स्थापित करने की कोशिश करते रहे हैं। बता दें कि खालिस्तानी अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की मौत के मामले में प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के बयान के बाद कनाडा और भारत के संबंधों में दूरियां बढ़ गई हैं।
दोनों देशों में तनाव तब और बढ़ गया जब 18 सितंबर को जस्टिन ट्रूडो ने देश की संसद में आशंका जताई कि हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत सरकार के एजेंटों का हाथ हो सकता है। यहीं नहीं इसके बाद कनाडा ने अपने यहां से एक वरिष्ठ भारतीय राजनयिक को बर्खास्त कर दिया। जवाबी कार्रवाई में भारत ने भी कनाडा के एक वरिष्ठ डिप्लोमैट को पांच दिनों के भीतर देश छोड़ने के लिए कहा और कनाडा के नागरिकों की एंट्री बैन कर दी। खालिस्तानी आंदोलन के समर्थक निज्जर की ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में एक गुरुद्वारे के बाहर इसी साल 18 जून को अज्ञात बंदूकधारियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी।