लोकसभा में भाजपा के साथ ही रहती है ‘हिंदी पट्टी’

punjabkesari.in Friday, Dec 14, 2018 - 11:36 AM (IST)

जालन्धर(नरेश कुमार): पिछले डेढ़ साल में कांग्रेस ने भले ही भाजपा के गढ़ माने जाने वाले मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और गुजरात में भाजपा को विधानसभा चुनाव में टक्कर दी हो और 3 राज्यों में भाजपा की सत्ता पलटने में भी कामयाब रही हो लेकिन लोकसभा चुनाव दौरान यह हिंदी पट्टी (काऊ बैल्ट) वाले राज्य भाजपा के पक्ष में ही वोट करते रहे हैं। इन 4 राज्यों में लोकसभा की 91 सीटें हैं और पिछले 6 चुनाव में कांग्रेस एक बार भी इन चारों में भाजपा को सीटों की संख्या के मामले में पछाड़ नहीं पाई है। कांग्रेस की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के स्वर्णिम दौर के बाद 2009 का चुनाव ऐसा दूसरा चुनाव था जब कांग्रेस 200 सीटों के पार पहुंची थी लेकिन उस वक्त भी इन राज्यों में कांग्रेस भाजपा के आंकड़े को पार नहीं कर पाई थी।
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इससे पहले 1991 में कांग्रेस ने देश में 244 लोकसभा सीटें जीती थीं। ऐसा उस वक्त हुआ था जब कांग्रेस की लोकप्रियता चरम पर थी और तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की छवि व आर्थिक नीतियों का पार्टी को देश भर में फायदा हुआ था। हाल ही के विधानसभा चुनाव में राजस्थान और मध्य प्रदेश की 54 सीटों पर दोनों पार्टियों में कांटे की टक्कर रही है। मध्य प्रदेश में तो भाजपा का वोट शेयर कांग्रेस के मुकाबले ज्यादा रहा है जबकि राजस्थान में कांग्रेस महज आधा फीसदी वोट के अंतर से चुनाव जीती है। ऐसे में इन चारों राज्यों में कांग्रेस के लिए लोकसभा की लड़ाई इतनी आसान भी नहीं रहने वाली। कांग्रेस के लिए राहत वाली बात यह हो सकती है कि पिछले चुनाव के दौरान इन 4 राज्यों की 91 सीटों में से उसको केवल 3 सीटें मिली थीं लेकिन इस बार के चुनाव में उसकी सीटों की संख्या में इजाफा जरूर हो सकता है।
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गुजरात में मोदी के चेहरे का फायदा
पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने गुजरात में भाजपा को टक्कर दी और अपने प्रदर्शन में सुधार किया लेकिन लोकसभा चुनाव के दौरान गुजरात के वोटरों के सामने एक तरफ नरेंद्र मोदी के रूप में प्रधानमंत्री पद का चेहरा होगा तो दूसरी तरफ कांग्रेस की तरफ से फिलहाल किसी भी चेहरे को आगे न करने की रणनीति पर काम हो रहा है। ऐसे में इस बात का निश्चित तौर पर फायदा भाजपा को मिलेगा। पिछले 22 साल में कांग्रेस एक बार भी लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा को पछाड़ नहीं पाई है।

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Naresh Kumar

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