फूड प्रोसेसिंग से खिली ग्रामीण भारत की तस्वीर, 70 लाख से ज्यादा का मिला रोजगार
punjabkesari.in Thursday, May 22, 2025 - 04:10 PM (IST)

नेशनल डेस्क। डेलॉइट और फिक्की की एक नई रिपोर्ट के अनुसार भारत का खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक प्रमुख स्तंभ के रूप में उभर रहा है। यह क्षेत्र देश के कुल विनिर्माण जीवीए (सकल मूल्य वर्धित) में 7.7 प्रतिशत का योगदान देता है और मूल्य श्रृंखला में 7 मिलियन (70 लाख) से अधिक नौकरियाँ देता है।
160 बिलियन अमरीकी डॉलर के मूल्य वाला यह क्षेत्र ग्रामीण औद्योगीकरण को बढ़ावा दे रहा है और फसल कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम कर रहा है। रिपोर्ट बताती है कि ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ती मांग, डिजिटल बदलाव और सरकारी नीतियों का समर्थन इस क्षेत्र को लगातार गति दे रहा है। कृषि और खाद्य प्रसंस्करण मूल्य श्रृंखला अब राष्ट्रीय खाद्य बाजार का लगभग 30 प्रतिशत हिस्सा बन चुकी है।
डेलॉइट साउथ एशिया के पार्टनर और कंज्यूमर इंडस्ट्री लीडर आनंद रामनाथन ने कहा, "भारत का कृषि और खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र एक बड़े बदलाव के कगार पर है जहाँ पारंपरिक तरीकों और अत्याधुनिक तकनीक का मेल भविष्य के लिए तैयार खाद्य पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण कर रहा है।"
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उन्होंने आगे कहा कि उपभोक्ता अब स्वच्छ लेबल वाले, प्रोटीन युक्त और पेट के लिए अनुकूल खाद्य पदार्थों की ओर बढ़ रहे हैं जिससे भारत में भोजन की खपत में संरचनात्मक विकास हो रहा है। रामनाथन का मानना है कि भारत स्वास्थ्य-उन्मुख, तकनीक-सक्षम और समावेशी खाद्य प्रणालियों पर वैश्विक चर्चा का नेतृत्व करने के लिए तैयार है जिसे एआई (AI), आईओटी (IoT) और ब्लॉकचेन (Blockchain) में प्रगति से बढ़ावा मिल रहा है।
निर्यात में रिकॉर्ड वृद्धि और बदलते उपभोग पैटर्न
रिपोर्ट ने भारत के कृषि निर्यात पर भी प्रकाश डाला जो वित्त वर्ष 24 में रिकॉर्ड 48.2 बिलियन अमरीकी डॉलर तक पहुँच गया जो वैश्विक मांग में मजबूती का संकेत देता है। शहरी उपभोग के पैटर्न भी बदल रहे हैं जहाँ अब लगभग 50 प्रतिशत खाद्य बजट पैकेज्ड और तैयार खाद्य पदार्थों पर खर्च किया जाता है।
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इसके अलावा ग्रामीण एफएमसीजी वॉल्यूम ने वित्त वर्ष 24 की तीसरी तिमाही में 6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है और टियर-2 और टियर-3 शहर अब मांग के नए इंजन बनकर सामने आ रहे हैं।
फिक्की की महानिदेशक ज्योति विज ने कहा, "भारत के खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में आर्थिक विकास के चालक और समावेशी विकास के उत्प्रेरक के रूप में जबरदस्त परिवर्तनकारी क्षमता है।" उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जैसे-जैसे उपभोक्ता की प्राथमिकताएं और स्वास्थ्य के प्रति सजग विकल्प खाद्य प्रणालियों को नया रूप दे रहे हैं वैसे-वैसे लचीलेपन, नवाचार और मूल्य संवर्धन की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक है।