राशन लेने के लिए कतार में लगने को लेकर दिल्ली हाइकोर्ट की बड़ी टिप्पणी, कही यह बात

punjabkesari.in Friday, May 20, 2022 - 12:01 AM (IST)

नई दिल्लीः दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि उचित मूल्य की दुकानों से राशन लेने के लिए कतार में खड़ा होना गरिमा और निजता के अधिकार के खिलाफ नहीं है और अगर एक ही समय में कई लोग एक दुकान पर आते हैं तो कतार में लगना स्वाभाविक है। 

दिल्ली उच्च न्यायालय ने आम आदमी पार्टी सरकार की राजधानी में घर-घर राशन पहुंचाने की ‘मुख्यमंत्री घर-घर राशन योजना' को रद्द करते हुए बृहस्पतिवार को यह टिप्पणी की। उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने इस तर्क को खारिज कर दिया कि लाभार्थियों को अपने आवंटित राशन को लेने के लिए कतार में लगना उनके सम्मान और निजता के अधिकार का उल्लंघन है।

न्यायालय ने कहा कि यदि कतार में नहीं खड़े होने को नागरिकों का अधिकार मान लिया गया तो इससे समाज में नियम कायदों का कोई अर्थ नहीं रहेगा तथा इससे अन्य लोगों के अधिकारों का भी उल्लंघन होगा। गैर-सरकारी संगठन बंधु मुक्ति मोर्चा ने अपनी याचिका में ‘घर-घर राशन वितरण योजना' को लागू करने की मांग करते हुए तर्क दिया था कि एक व्यक्ति को राशन की दुकान पर एक कतार में खड़े होने की आवश्यकता होती है और कानून के मुताबिक इससे उस व्यक्ति के सम्मान और निजता के अधिकार का उल्लंघन होता है। 

अदालत ने कहा कि घर-घर राशन वितरण योजना को उसके वर्तमान स्वरूप में लागू नहीं किया जा सकता, क्योंकि इसे उपराज्यपाल ने मंजूरी नहीं दी है। उच्च न्यायालय ने कहा कि यदि मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली मंत्रिपरिषद और उपराज्यपाल के बीच मतभेद होता है, तो अंतिम निर्णय राष्ट्रपति के पास होगा और वह दोनों पर ही बाध्यकारी होगा। उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि उपराज्यपाल से सामान्य रूप से उन मामलों के संबंध में अपने मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह पर कार्य करने की अपेक्षा की जाती है, जिन पर विधानसभा कानून बना सकती है। 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Pardeep

Recommended News

Related News