रक्षा मंत्री ने किया राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की पुस्तक का विमोचन, जानें क्या बोले राजनाथ?

punjabkesari.in Thursday, Nov 19, 2020 - 06:13 PM (IST)

नई दिल्लीः रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज कहा कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के भाषणों में उनका कृतित्व, व्यक्तित्व और जीवन मूल्य पूरी तरह झलकते हैं। सिंह ने गुरूवार को यहां राष्ट्रपति के प्रमुख भाषणों के संग्रह ‘लोकतन्त्र के स्वर' तथा ‘द रिपब्लिकन एथिक्स' का विमोचन करते हुए यह बात कही।

सिंह ने कहा , ‘‘ ये ‘लोकतन्त्र के स्वर' राष्ट्रपति महोदय के अन्तर्मन के स्वर भी हैं। मेरी द्दष्टि में राष्ट्रपति महोदय के भाषणों का यह संकलन उनके कृतित्व, व्यक्तित्व और जीवन मूल्यों का शब्द-चित्र प्रस्तुत करता है।''  उन्होंने कहा कि इन भाषणों में संवेदनशील व आदर्शवादी जनसेवक, एक न्यायप्रिय व्यक्ति तथा नैतिकता पर आधारित जीवन जीने वाले व्यक्ति की प्राथमिकताएं दिखाई देती हैं। वह जन सेवा को परम धर्म मानते हैं, यह उनके अनेक भाषणों में स्पष्ट होता है। उनके सम्बोधन इसलिए अधिक असर डालते हैं कि वे जीवन मूल्य उनके निजी जीवन का हिस्सा हैं।

रक्षा मंत्री ने एक वाक्या सुनाते हुए कहा , ‘‘ राष्ट्रपतिजी अपने विद्यालय के एक समारोह में भाग लेने कानपुर गए थे। उस समारोह में वे मंच से नीचे उतरकर अपने अध्यापकों के पास गए, उन्हें सम्मानित किया तथा उन सभी का चरण स्पर्श करके आशीर्वाद लिया।'' उन्होंने कहा कि भगवान बुद्ध, संत कबीर, महात्मा गांधी, बाबासाहब आंबेडकर और पंडित दीनदयाल उपाध्याय का उल्लेख उनके भाषणों में बार-बार मिलता है। अंत्योदय के प्रति उनकी निष्ठा हमेशा रही है। उनके भाषणों में नैतिक व आध्यात्मिक मूल्यों का संदर्भ भी बार-बार आता है। सार्वजनिक जीवन में शुचिता के उदात्त आदर्शों का वह प्राय: उल्लेख करते हैं।

सिंह ने कहा कि कोविंद समूचे विश्व को एक परिवार के रूप में देखते हैं और उनके संबोधनों में प्राय: ‘वसुधेव कुटुम्बकम' और ‘ सर्वे भवंतु सुखिन:' के आदर्श का उल्लेख मिलता है। न्याय व्यवस्था के प्रति राष्ट्रपति के विचारों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति महोदय ने जन-सामान्य को न्याय सुलभ कराने के लिए अनवरत प्रयास किए थे। न्याय-व्यवस्था में सुधार हेतु उनके सुझावों के कारण अब उच्चतम न्यायालय तथा अनेक उच्च न्यायालयों द्वारा हिन्दी व स्थानीय भाषाओं में भी निर्णयों की सत्यापित प्रतिलिपि उपलब्ध कराई जा रही है।

सेनाओं के प्रति राष्ट्रपति के स्नेह का जिक्र करते हुए सिंह ने कहा कि तीनों सेनाओं के सर्वोच्च कमांडर होने के नाते वे जवानों से मिलने सियाचिन जैसे इलाक़ों में भी गए हैं जो सेनाओं के प्रति उनके मन में स्नेह और सम्मान का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि भारत माता से अपनी भावना को जोड़े रखने का सराहनीय कार्य करने वाले प्रवासी भारतीयों से भी कोविंद मिलते रहे हैं। भारतीय संस्कृति और जीवन मूल्यों से प्रवासियों का जुड़ाव बनाए रखने के लिए वह उन्हें अपने संबोधनों द्वारा प्रेरित भी करते रहे हैं। उन्होंने कहा , ‘‘ राष्ट्रपति महोदय के भाषण समकालीन भारत को समझने के लिए अमूल्य दस्तावेज़ की तरह हमेशा महत्वपूर्ण बने रहेंगे तथा उनके भाषणों के संग्रह का संदर्भ ग्रन्थों, यानि रेफरेंस बुक्स, की तरह उपयोग किया जाता रहेगा, यह मेरा विश्वास है। ''

 


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Yaspal

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