सावधान! तंबाकू खाने से कम नहीं है समोसा, बिस्कुट और जलेबी खाना, जल्द ही सरकार जारी कर सकती है वार्निंग

punjabkesari.in Monday, Jul 14, 2025 - 11:09 AM (IST)

नेशनल डेस्क: वो दिन अब दूर नहीं जब आप अपनी पसंदीदा चाय के साथ बिस्कुट, समोसा या जलेबी खाते समय सरकार की चेतावनी देखेंगे! जल्द ही आपके इन नाश्ते के आइटम के पास एक खास 'वॉर्निंग बोर्ड' लगा होगा। स्वास्थ्य मंत्रालय ने देश के सभी केंद्रीय संस्थानों जिनमें नागपुर का AIIMS भी शामिल है को यह निर्देश दिया है कि वे 'ऑयल और शुगर बोर्ड' लगाएं। इन बोर्डों पर आपके नाश्ते में छिपे हुए फैट और शुगर की मात्रा साफ-साफ लिखी होगी।

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जंक फूड को तंबाकू जितना ही खतरनाक माना जा रहा

इस नई पहल को जंक फूड को तंबाकू जैसे गंभीर खतरे के रूप में देखने की दिशा में पहला कदम माना जा रहा है। ये बोर्ड सरकारी संस्थानों में एक शांत लेकिन सटीक चेतावनी की तरह काम करेंगे। इनका उद्देश्य लोगों को यह बताना है कि जिन व्यंजनों को वे अपनी संस्कृति का हिस्सा मानते हैं उनमें कितना छिपा हुआ फैट और शुगर मौजूद है।

AIIMS नागपुर के अधिकारियों ने इस निर्देश की पुष्टि की है। अब कैफेटेरिया और सार्वजनिक जगहों पर ऐसे चेतावनी बोर्ड लगाए जाएंगे। अब जांच के दायरे में सिर्फ बिस्कुट या समोसे ही नहीं बल्कि लड्डू, वड़ा पाव और पकौड़े जैसे लोकप्रिय भारतीय व्यंजन भी होंगे।

कार्डियोलॉजिकल सोसायटी ऑफ इंडिया की नागपुर शाखा के अध्यक्ष डॉ. अमर आमले ने इस पहल का स्वागत करते हुए कहा, "यह उस दौर की शुरुआत है जब खाने की लेबलिंग उतनी ही गंभीर होगी जितनी सिगरेट की चेतावनी। शुगर और ट्रांस फैट अब नए तंबाकू हैं। लोगों को यह जानने का अधिकार है कि वे क्या खा रहे हैं।" यह बयान जंक फूड से जुड़े स्वास्थ्य खतरों की गंभीरता को दर्शाता है।

देश में गहराता मोटापे का संकट

स्वास्थ्य मंत्रालय के आंतरिक दस्तावेजों में देश में बढ़ते मोटापे पर गंभीर चिंता व्यक्त की गई है। एक अनुमान के मुताबिक साल 2050 तक भारत में 44.9 करोड़ लोग मोटापे या अधिक वजन से ग्रस्त होंगे। यह आंकड़ा भारत को अमेरिका के बाद दूसरा सबसे अधिक प्रभावित देश बना देगा। फिलहाल देश में हर पांच में से एक शहरी वयस्क मोटापे का शिकार है। बच्चों में बढ़ता मोटापा, गलत खानपान की आदतें और घटती शारीरिक गतिविधियां इस चिंता को और भी बढ़ा रही हैं।

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'खाने पर रोक नहीं, लेकिन सही जानकारी ज़रूरी'

वरिष्ठ डायबेटोलॉजिस्ट डॉ. सुनील गुप्ता ने स्पष्ट किया कि "यह खाने पर रोक लगाने का मामला नहीं है। लेकिन अगर लोगों को पता हो कि एक गुलाब जामुन में पांच चम्मच चीनी होती है, तो वे शायद दो बार सोचेंगे।" डॉक्टरों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार यह कदम डायबिटीज, हृदय रोग और हाई ब्लड प्रेशर जैसी गैर-संक्रामक बीमारियों के खिलाफ एक बड़े अभियान का हिस्सा है। ये बीमारियां सीधे तौर पर हमारी खाने की आदतों से जुड़ी हैं। नागपुर इस पहल को अपनाने वाले पहले शहरों में से एक होगा। यहां किसी भी भोजन पर रोक नहीं होगी लेकिन हर लुभावने नाश्ते के पास एक रंगीन संकेतक बोर्ड होगा, जिस पर लिखा होगा।

'समझदारी से खाएं, आपके भविष्य का शरीर आपका आभारी रहेगा।'

यह पहल लोगों को जागरूक करने और उन्हें स्वस्थ विकल्पों की ओर प्रेरित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

 


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News Editor

Radhika

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