'सुप्रीम कोर्ट के जज' ने 30 दिन में कमाए 1.04 करोड़ रुपए, 200 बैंक खाते खुलवाकर पुलिस हुई दंग
punjabkesari.in Wednesday, Jul 02, 2025 - 11:31 PM (IST)

नेशनल डेस्कः यूपी पुलिस ने बुधवार को सात आरोपियों को गिरफ्तार किया, जिन्होंने खुद को ED और CBI के अधिकारी और फिर सुप्रीम कोर्ट के जज बताकर हरिदन परिवार को "डिजिटल अरेस्ट" कर दिया। इसके बाद एक नकली ऑनलाइन कोर्ट में झांसा देकर करीब 1.04 करोड़ रुपए की ठगी की गई। हैरान कर देने वाली बात यह है कि उसके पास से 200 बैंक अकाउंट थे। जब पुलिस ने जांच की तो बैलेंस देख हर कोई दंग रह गया।
धोखाधड़ी का तरीका (मोदी ऑपरेशन)
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पहली संपर्क: 6 मई को शख्स को ED और CBI के अधिकारी बताकर फोन आया, जिसमें कहा गया कि उन पर 2.8 करोड़ रुपए की गैरकानूनी लेनदेन की जांच हो रही है।
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ऑनलाइन कोर्ट पेशी: व्हाट्सएप वीडियो पर फर्जी जज और वकीलों ने लगभग एक महीने तक वीडियो कान्फ़्रेंस कर "आरोप" लगाकर मानसिक दबाव बनाया।
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1.04 करोड़ रुपए ट्रांसफर: पीड़ित ने 40 बैंक खातों में पैसे ट्रांसफर किए, जिनमें से 9 खाते "वकील" के नाम पर थे।
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संदिग्ध 9 करोड़ रुपए: पुलिस को एक खाते में 9 करोड़ रुपए की संदिग्ध राशि भी मिली, जिसे जांच के लिए रोका गया।
गिरफ्तारी और कानूनी कार्रवाई
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पुलिस ने गिरफ्तार किए गए आरोपियों की पहचान की: सचिन, प्रशांत, गौतम सिंह, संदीप कुमार, सैयद सैफ, आर्यन शर्मा और पवन यादव जिनकी उम्र 20–28 वर्ष है।
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उन पर भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 318,319, 204 और आईटी एक्ट की धारा 66(c), 66(d) के तहत कार्रवाई की गई।
"डिजिटल अरेस्ट" स्कैम क्या है?
डिजिटल अरेस्ट स्कैम वह धोखाधड़ी है, जिसमें अपराधी खुद को पुलिस, CBI/ED अधिकारी या जज बताकर वीडियो कॉल से व्यक्ति को "अलगाव" में रखकर पीड़ित को फर्जी केस में फंसाकर पैसे ऐंठते हैं ।
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पीड़ित को घर में बंद रखकर उसकी वीडियो निगरानी करते हैं।
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उसके बैंक खाता नंबर OTP ले लेते हैं और धमकी देकर पैसे ट्रांसफर करवाते हैं।
सावधानियां और पुलिस की सलाह
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यथार्थ: भारत में "डिजिटल अरेस्ट" की कोई वैधानिक प्रक्रिया नहीं है; कोई भी अधिकारी वीडियो कॉल पर गिरफ्तारी नहीं करता।
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संशयित कॉल का जवाब न दें: +91 के अलावा अन्य देशों के नंबर से वीडियो कॉल किसी भी अधिकारी की ओर से नहीं आएगा।
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जानकारी साझा न करें: OTP, बैंक डिटेल्स कभी न दें।
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पुलिस को रिपोर्ट करें: 100/112 पर तत्काल शिकायत करें और हेल्पलाइन नंबर 1530/1930 पर रिपोर्ट करें।