बांगलादेश की पाक-चीन के साथ बढ़ी नजदीकियां, भारत से रिश्तों के बदले समीकरण

punjabkesari.in Monday, Jul 27, 2020 - 05:15 PM (IST)

इटरनेशनल डेस्कः बांग्लादेश भारत की मदद से पाकिस्तान से अलग होकर एक स्वतंत्र देश बना। पूर्वी पाकिस्तान से विभाजित हुए बांगलादेश के शुरुआत से ही भारत के साथ बेहद मजबूत संबंध रहे। उधर पाकिस्तान-बांग्लादेश के बीच कभी तनाव कम ही नहीं हुआ। लेकिन पिछले कुछ दिनों में समीकरण बदलते दिख रहे हैं और पाकिस्तान-बांग्लादेश की नजदीकियां चर्चा में हैं। इस बीच बांग्लादेश का भारत के प्रति रवैया भी बदलता नजर आ रहा है। शायद यही वजह है कि प्रधानमंत्री शेख हसीना पिछले चार महीनों में भारतीय उच्चायुक्त से मुलाकात करने से कतरा रही हैं। बांगलादेश के एक प्रमुख अखबार ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि प्रधानमंत्री शेख हसीना तमाम अनुरोधों के बावजूद पिछले चार महीनों में भारतीय उच्चायुक्त से मुलाकात नहीं कर पाई हैं।

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बांग्लादेश के प्रमुख अखबार 'भोरेर कागज' की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रधानमंत्री शेख हसीना के 2019 में सत्ता में आने के बाद से भारतीय परियोजनाओं की रफ्तार भी धीमी पड़ गई है लेकिन चीनी इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट को ज्यादा समर्थन मिल रहा है। अखबार के संपादक श्यामल दत्ता ने पाकिस्तान और चीन की तरफ बांग्लादेश के झुकाव को लेकर लिखे एक आर्टिकल में कहा है कि "भारत की चिंताओं के बावजूद, बांग्लादेश ने एक चीनी कंपनी को सिल्हट में एक एयरपोर्ट टर्मिनल बनाने का कॉन्ट्रैक्ट दिया है। भारत की उच्चायुक्त रीवा गांगुली पिछले चार महीनों से बांग्लादेशी प्रधानमंत्री शेख हसीना से मुलाकात की कोशिश कर रही हैं लेकिन अभी तक उन्हें एंपॉइंटमेंट नहीं मिल सका है। बांग्लादेश ने कोरोना महामारी के दौरान भारतीय मदद को लेकर शुक्रिया अदा करने के लिए कोई नोट भी नहीं भेजा।"

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भारत की आपत्ति के बावजूद बीजिंग अर्बन कंस्ट्रक्शन ग्रुप (बीयूसीजी) को बांग्लादेश में सिल्हट के ओस्मानिया एयरपोर्ट में नया टर्मिनल बनाने को लेकर कॉन्ट्रैक्ट दिया गया है। भारत के लिए चिंता की बात ये है कि सिल्हट भारत के उत्तर पूर्वी हिस्से से लगता है इसलिए भारत के लिए संवेदनशील इलाका है। पिछले कुछ महीनों से ढाका और बीजिंग की भी नजदीकियां बढ़ी हैं। चीन ने बांग्लादेशी उत्पादों को ड्यूटी फ्री कर दिया। चीन बांग्लादेश को कोरोना वायरस की लड़ाई में भी मेडिकल आपूर्ति के जरिए मदद कर रहा है। इसके अलावा, बांग्लादेश चीन की महत्वाकांक्षी परियोजना बेल्ट एंड रोड में भी शामिल है। हाल ही में, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने बुधवार को बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना को फोन किया था जिसे लेकर खूब चर्चा हुई।

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ढाका की तरफ से इस बातचीत को लेकर ज्यादा जानकारी नहीं दी गई लेकिन पाकिस्तान की सरकारी न्यूज एजेंसी ने बताया कि इमरान खान ने शेख हसीना से कश्मीर के हालात पर चर्चा की और विवाद के समाधान पर जोर दिया। हालांकि, भारत ने गुरुवार को बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के रुख की सराहना की। भारत ने कहा कि बांग्लादेश अपने पुराने रुख पर कायम है कि कश्मीर भारत का आंतरिक मुद्दा है। बांग्लादेश के अखबार भोरेर कागज के लेख में कहा गया है कि हसीना की सरकार का एक धड़ा है जो चीन के साथ संबंध मजबूत करने का इच्छुक है। पिछले 10 महीनों में चीन के सहयोगी पाकिस्तान के साथ संबंध मजबूत करने की कोशिशें भी हुई हैं जो इस बात को साबित भी करता है।

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बांग्लादेश ने नवंबर 2019 में भारत ने निर्यात पर बैन लगा दिया था जिसके बाद उसने पाकिस्तान से प्याज मंगाना शुरू कर दिया। 15 सालों में ये पहली बार है जब बांग्लादेश ने पाकिस्तान से कृषि उत्पादों का आयात किया है। पाकिस्तान और बांग्लादेश के संबंध तब और खराब हो गए थे जब शेख हसीना सरकार ने 2016 में जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश के नेता मोती-उर-रहमान निजामी को 1971 के युद्ध अपराध के लिए फांसी पर लटका दिया था।पाकिस्तान ने इसे लेकर कड़ा विरोध जताया था।इस घटना के दो सालों तक ढाका ने पाकिस्तान उच्चायुक्त की नियुक्ति तक नहीं की। पूर्वी पाकिस्तान को पाकिस्तान से अलग कर बांग्लादेश बनाने में भारत की अहम भूमिका रही है। इसीलिए भारत-बांग्लादेश के संबंधों में हमेशा से एक-दूसरे को लेकर भरोसा रहा है। हालांकि, एनआरसी और सीएए को लेकर बांग्लादेश के साथ कुछ मतभेद पैदा हुए हैं।  


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Tanuja

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