भगत सिंह के पोते को देख भावुक हो गए स्वास्थ्य मंत्री और...

punjabkesari.in Thursday, Apr 16, 2015 - 07:24 AM (IST)

अम्बाला छावनी(बराड़): शहीद भगत सिंह के भाई के पोते यादवेंद्र सिंह को बुधवार अपने निवास पर देखकर स्वास्थ्य एवं खेल मंत्री अनिल विज भावुक हो गए और उनके पांव छूकर स्वागत किया। घर में प्रवेश करते ही उन पर फूल बरसाए गए। मंत्री विज ने हाथ जोड़कर कहा कि वह धन्य हैं कि उनके घर में शहीद परिवार के सदस्य के पांव पड़े हैं। इस मुलाकात के दौरान मंत्री ने यादवेंद्र सिंह को बताया कि प्रदेश के खेल स्टेडियम के नाम शहीदों के नाम पर होंगे। मंत्री विज ने कहा कि ‘मैं इस हाल में नहीं कि मैं शहीद परिवार के प्रति अपनी भावनाओं को व्यक्त कर पाऊं’। उन्होंने शहीद भगत सिंह व देश के लिए कुर्बान हुए अन्य शहीदों की अनदेखी पर जमकर भड़ास निकाली और कहा कि अब सूबे में और केंद्र में भाजपा की सरकार है और वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर न केवल भगत सिंह बल्कि राजगुरु, सुखदेव सहित देश के लिए शहीद हुए अन्य शहीदों को भी उचित सम्मान दिलवाएंगे।

देश की आजादी के बाद बच्चों से असली इतिहास को छिपाया गया है जिसके कारण आज भी शहीदों को उचित मान-सम्मान देने की बजाय न केवल उन परिवारों की जासूसी करवाई है बल्कि शहीदों को आतंकवादी जैसे अपमानजनक शब्दों से संबोधित किया जाता रहा है। इसके लिए सबसे अधिक जिम्मेदार कांग्रेस पार्टी तथा प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू व उनका परिवार रहा है। उन्होंने कहा भाजपा सरकार द्वारा खेल स्टेडियमों के नाम शहीद भगत सिंह के नाम पर रखने की पहल की जा चुकी है और शीघ्र ही अन्य परियोजनाओं तथा कल्याणकारी कार्यक्रमों पर आधारित योजनाओं का नामकरण भी शहीदों के नाम पर रखा जाएगा।

क्रांतिकारियों का इतिहास पढ़ाया जाए

शहीद भगत सिंह ब्रिगेड के अध्यक्ष यादवेंद्र सिंह ने कहा कि उनके द्वारा अनिल विज को एक मांग पत्र भी सौंपा गया है जिसमें सभी क्रांतिकारी शहीदों को भारत सरकार द्वारा वैधानिक रूप से शहीद का दर्जा देने की मांग रखी गई है और स्वतंत्रता संग्राम में सन 1857 से 1947 तक सभी शहीदों को आधिकारिक सूची तैयार की जाए व उन्हें शहीद का सम्मान दिया, साथ ही परियोजनाएं शहीदों के नाम पर हों और राष्ट्रीय स्तर पर स्वतंत्रता संग्राम वाले प्रसिद्ध शहीदों की तस्वीरें भारतीय करंसी में इस्तेमाल की जाएं। उन्होंने मांग रखी कि देश में आज तक विद्यालयों से लेकर विश्वविद्यालयों तक सही इतिहास नहीं पढ़ाया गया, जिसके कारण देश की युवा पीढ़ी क्रांतिकारियों तथा देश पर जान न्यौछावर करने वालों के बारे में नहीं जानती है।

शहीदों के जीवन पर आधारित गाथाओं को स्कूल, कालेज और विश्वविद्यालय स्तर पर पाठयक्रमों में शामिल किया जाए ताकि भावी पीढिय़ां उनके जीवन से प्रेरणा ले सकें। उन्होंने रानी लक्ष्मीबाई, छत्रपति शिवाजी, भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, लाला लाजपत राय, असफाक उल्ला खान, वीर सावरकर और उधम सिंह का चित्र अंकित करने की मांग की। अंग्रेजी शासन के दौरान शहीदों के नाम के साथ दिए गए अपमानजनक विशेषणों को भी हटाने तथा उनकी स्मृतियों को एकत्रित करने के लिए राष्ट्रीय शहीद संग्रहालय बनाने की मांग की।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News