मालेगांव ब्लास्ट केस में फैसले के बाद गरमाई सियासत, ओवैसी ने सरकार के पर उठाए सवाल

punjabkesari.in Thursday, Jul 31, 2025 - 01:39 PM (IST)

नेशनल डेस्क: मालेगांव बम धमाके मामले में NIA स्पेशल कोर्ट के फैसले के बाद देश की सियासत गरमा गई है। कोर्ट ने सबूतों के अभाव में सभी आरोपियों को बरी कर दिया है, जिस पर AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने नाराज़गी जताई, जबकि बीजेपी नेताओं ने इस फैसले का स्वागत किया है।

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ओवैसी ने सरकार से पूछे सवाल

AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कोर्ट के इस फैसले को निराशाजनक बताया है। उन्होंने कहा कि इस विस्फोट में 6 नमाजी मारे गए थे और लगभग 100 घायल हुए थे और उन्हें उनके धर्म के कारण निशाना बनाया गया था। ओवैसी ने NIA पर जानबूझकर घटिया जांच करने का आरोप लगाया, जिसकी वजह से आरोपियों को बरी किया गया है।

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ओवैसी ने सीधे केंद्र की मोदी सरकार और महाराष्ट्र की फडणवीस सरकार से सवाल किया है कि क्या वे इस फैसले के खिलाफ अपील करेंगे, ठीक वैसे ही जैसे उन्होंने मुंबई ट्रेन विस्फोटों में आरोपियों को बरी करने पर रोक लगाने की मांग की थी? उन्होंने महाराष्ट्र के धर्मनिरपेक्ष राजनीतिक दलों से भी इस मामले में जवाबदेही की मांग की और पूछा कि उन 6 लोगों की हत्या किसने की?

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ओवैसी का बीजेपी पर गंभीर आरोप-

ओवैसी ने बीजेपी पर गंभीर आरोप लगाते हुए 2016 की घटना का जिक्र किया, जब तत्कालीन अभियोजक रोहिणी सालियान ने सार्वजनिक रूप से कहा था कि NIA ने उनसे आरोपियों के प्रति नरम रुख अपनाने को कहा था। उन्होंने कहा कि 2017 में NIA ने साध्वी प्रज्ञा को बरी करवाने की कोशिश की थी और वही व्यक्ति 2019 में भाजपा सांसद बना।

AIMIM प्रमुख ने सवाल उठाया कि क्या NIA या ATS अधिकारियों को उनकी दोषपूर्ण जांच के लिए जवाबदेह ठहराया जाएगा? उन्होंने कहा कि इस प्रश्न का उत्तर सबको पता है और दुनिया याद रखेगी कि बीजेपी ने एक आतंकवाद के आरोपी को सांसद बनाया।

बीजेपी और शिवसेना ने फैसले का किया स्वागत- 

बीजेपी नेता केशव प्रसाद मौर्य ने अदालत के फैसले को अभिनंदनीय बताया। उन्होंने कहा कि इससे कांग्रेस की भगवा आतंकवाद गढ़ने की नापाक कोशिश ध्वस्त हो गई है। मौर्य ने आरोप लगाया कि उस समय की केंद्र सरकार ने मुख्य आरोपी को पकड़ने की बजाय हिंदुओं को गिरफ्तार कर उनसे जबरन अपराध स्वीकार करने का दबाव डाला था। उन्होंने कांग्रेस और गांधी परिवार को हिंदुओं का दुश्मन बताते हुए कहा कि उनके निशाने पर हमेशा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ रहा है।  शिवसेना सांसद नरेश म्हस्के ने भी इस फैसले को सच्चाई की जीत बताया। उन्होंने कहा कि यह केस पिछले 17 सालों से चल रहा था और कई सैन्य अधिकारियों ने दावा किया था कि उन्होंने ATS के दबाव में कुछ बयान दिए थे। म्हस्के ने कहा कि आज यह साबित हो गया है कि कांग्रेस सरकार ने हिंदू आतंकवाद के नाम पर लोगों में गलतफहमी फैलाने के लिए जो कार्रवाई की थी, वह झूठी थी।

 


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News Editor

Radhika

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