आखिर क्यों एक दूसरे के खून के प्यासे हैं इजरायल और ईरान, अमेरिका का क्या है रोल? जानें क्या है पूरा विवाद

punjabkesari.in Saturday, Jun 14, 2025 - 12:59 AM (IST)

नेशनल डेस्क: 13 जून 2025 को जो कुछ भी हुआ, वो अब सिर्फ एक हमला नहीं रहा, बल्कि एक गंभीर संकेत है कि मध्य पूर्व एक और बड़े युद्ध की तरफ बढ़ रहा है। इजरायल ने ‘ऑपरेशन राइजिंग लॉयन’ शुरू करते हुए ईरान के कई अहम ठिकानों पर हमला कर दिया। ये हमला इसलिए भी बड़ा माना जा रहा है क्योंकि इसमें परमाणु ठिकाने, मिसाइल फैक्ट्रियां और वरिष्ठ सैन्य अधिकारी सीधे निशाने पर थे।

इस पूरे घटनाक्रम ने दुनिया भर को चिंता में डाल दिया है। अमेरिका, जो इजरायल का करीबी साथी है, उसने खुद को इस हमले से अलग बताया है लेकिन स्थिति को संभालने के लिए लगातार सक्रिय है। वहीं ईरान ने इसका जवाब देने की चेतावनी दी है।

ऑपरेशन राइजिंग लॉयन क्या है?

  • 13 जून को इजरायल ने ‘ऑपरेशन राइजिंग लॉयन’ नाम से एक बड़ा हवाई हमला ईरान पर किया।
  • दर्जनों इजरायली लड़ाकू विमान ईरान के अंदर घुसे और
  • तेहरान व नांज में स्थित यूरेनियम संवर्धन (Enrichment) केंद्रों,
  • मिसाइल निर्माण इकाइयों और
  • सैन्य कमांड केंद्रों पर बम बरसाए।

इस ऑपरेशन के तहत ईरान के कुछ बड़े अधिकारियों की मौत की खबरें भी सामने आई हैं। ईरानी सेना प्रमुख मोहम्मद बाघेरी और कई परमाणु वैज्ञानिकों की मौत की पुष्टि इजरायली मीडिया ने की है, हालांकि ईरान ने इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की।

क्यों बढ़ा तनाव?

  • इस हमले के पीछे पिछले कुछ महीनों से चल रही गतिविधियां और टकराव हैं।
  • इजरायल का दावा है कि ईरान ने इतने एनरिच्ड यूरेनियम जमा कर लिए हैं कि वह कुछ ही दिनों में 15 परमाणु बम बना सकता है।
  • ईरान ने हमेशा यह दावा किया है कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण है, लेकिन इजरायल और पश्चिमी देश इसे खतरे के रूप में देखते हैं।
  • पिछले कुछ महीनों में दोनों देशों ने एक-दूसरे पर कई साइबर हमले, मिसाइल हमले और हत्याएं की हैं।

अमेरिका की भूमिका क्या है?

  • अमेरिका ने इस हमले में सीधी सैन्य भागीदारी से इनकार कर दिया है।
  • अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियों ने कहा कि यह हमला इजरायल की एकतरफा कार्रवाई थी और अमेरिका सिर्फ अपनी सेना की सुरक्षा पर ध्यान दे रहा है।
  • लेकिन सच्चाई ये है कि अमेरिका कूटनीतिक दबाव, क्षेत्रीय सैन्य तैनाती और परोक्ष समर्थन के ज़रिए पूरी स्थिति में गहराई से शामिल है।
  • ट्रंप ने भी हमले से एक दिन पहले कहा था कि हमला संभव है, लेकिन उन्होंने शांतिपूर्ण समाधान की उम्मीद जताई थी।

अब तक कैसे पहुंचा मामला? (टाइमलाइन एक नजर में)

7 अक्टूबर 2023: ईरान समर्थित हमास ने इजरायल पर हमला किया, 1,100 लोगों की मौत।
1 अप्रैल 2024: इजरायल ने दमिश्क में ईरानी वाणिज्य दूतावास पर हमला किया।
13 अप्रैल 2024: ईरान ने इजरायल पर सीधा हमला किया, 300 ड्रोन और मिसाइलें दागीं।
19 अप्रैल 2024: इजरायल ने जवाबी हमला किया।
31 जुलाई 2024: हमास नेता हनीया की तेहरान में हत्या।
1 अक्टूबर 2024: ईरान ने 200 बैलिस्टिक मिसाइलें इजरायल पर दागीं।
13 जून 2025: इजरायल ने ऑपरेशन राइजिंग लॉयन शुरू किया।

क्या हो सकता है अगला कदम?

अब सबकी निगाहें ईरान की ओर हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि ईरान सीधा जवाब दे सकता है:

  • सीधे मिसाइल हमले
  • प्रॉक्सी ग्रुप्स जैसे हिजबुल्लाह या हमास के जरिए हमला
  • साइबर अटैक
  •  

यह भी संभव है कि यह संघर्ष पूरे मध्य पूर्व को युद्ध की आग में झोंक दे। ओमान में 15 जून को अमेरिका-ईरान परमाणु वार्ता होनी थी, जो अब अधर में लटक गई है।

इजरायल-ईरान संघर्ष असल में है क्या?

  • यह केवल दो देशों के बीच का झगड़ा नहीं है, बल्कि एक विचारधारा, सुरक्षा और शक्ति के संघर्ष की कहानी है।
  • इजरायल को डर है कि अगर ईरान के पास परमाणु हथियार आ गए, तो यह यहूदी राज्य के अस्तित्व के लिए खतरा होगा।
  • वहीं ईरान इजरायल को गैरकानूनी और अवैध राज्य मानता है और इसके खिलाफ प्रॉक्सी ताकतों को खड़ा करता है।

क्या कूटनीति अब भी कुछ कर सकती है?

  • हालात बहुत नाजुक हैं। दोनों पक्ष अब सीधे हमलों तक पहुंच चुके हैं। ऐसे में सिर्फ एक चिंगारी भी पूरे इलाके को युद्ध के ज्वालामुखी में बदल सकती है।
  • संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका, यूरोपीय संघ जैसे देशों को शांतिपूर्ण समाधान के लिए अब खुलकर सामने आना होगा।
  • वरना जो अब तक हुआ वो सिर्फ शुरुआत हो सकती है।

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News Editor

Parveen Kumar

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