राजघाट पर पुतिन ने रूसी भाषा में लिखा खास संदेश, जानें हिंदी में इसका क्या मतलब है?
punjabkesari.in Friday, Dec 05, 2025 - 03:02 PM (IST)
नेशनल डेस्क: रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारत दौरे के दूसरे दिन शुक्रवार को राजघाट जाकर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान उन्होंने विज़िटर बुक में रूसी भाषा में एक विशेष नोट लिखा, जिसमें गांधीजी के योगदान और भारत-रूस संबंधों पर उनके दृष्टिकोण को भी व्यक्त किया गया।
पुतिन ने क्या लिखा?
पुतिन ने गांधीजी को “मानवता के महान मार्गदर्शक” कहा और आधुनिक भारत के निर्माण में उनके योगदान को अतुलनीय बताया। उन्होंने लिखा कि गांधीजी के स्वतंत्रता, सत्य, अहिंसा और मानवता के विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने उनके समय में थे।
उन्होंने आगे गांधीजी के दर्शन को “नए और बराबरी वाले विश्व” से जोड़ते हुए लिखा कि गांधी और रूसी दार्शनिक लियो टॉल्स्टॉय दोनों समान मूल्यों—परस्पर सम्मान, नैतिकता और न्याय—के आधार पर विश्व व्यवस्था की कल्पना करते थे। पुतिन ने लिखा, “गांधीजी एक ऐसी दुनिया का सपना देखते थे, जहां किसी एक शक्ति का दबदबा न हो बल्कि समानता और सम्मान हो। उन्होंने इस विचार को अपने समय में टॉल्स्टॉय के साथ साझा किया।”
Delhi | Russian President Vladimir Putin signed the visitors' book at the Rajghat, where he paid tribute to Mahatma Gandhi. pic.twitter.com/1Eku1nN4Ua
— ANI (@ANI) December 5, 2025
भारत-रूस संबंधों पर संदेश
पुतिन ने अपने नोट के अंतिम भाग में साफ किया कि आज भारत और रूस वैश्विक मंच पर उन्हीं सिद्धांतों का समर्थन करते हैं। उन्होंने लिखा कि दोनों देशों के बीच सहयोग बराबरी और संप्रभुता के सम्मान पर आधारित है, और यह किसी बाहरी दबाव से प्रभावित नहीं है।
#WATCH | Delhi | Russian President Vladimir Putin signs the visitors' book at the Rajghat, where he paid tribute to Mahatma Gandhi.
— ANI (@ANI) December 5, 2025
(Video: DD) pic.twitter.com/uyNMlNLSkm
टॉल्स्टॉय का जिक्र
लियो टॉल्स्टॉय, रूस के महान लेखक और दार्शनिक, जिनकी किताबें War and Peace और Anna Karenina विश्व साहित्य में महत्वपूर्ण मानी जाती हैं, गांधीजी के जीवन और अहिंसक आंदोलन से सीधे जुड़े थे। गांधीजी ने स्वयं स्वीकार किया था कि टॉल्स्टॉय के विचारों ने उनके सत्याग्रह और अहिंसक आंदोलनों की नींव मजबूत की। पुतिन के इस नोट से यह स्पष्ट होता है कि रूस अपनी भारत रणनीति को पश्चिमी दबावों से अलग रखते हुए, बहुध्रुवीय और सहयोगात्मक विश्व व्यवस्था की दिशा में देखता है।
