World War-III : … तो World War-III छिड़ जाएगी, आखिर क्यों दी ट्रंप ने ये बड़ी वार्निंग; विशेषज्ञों का बड़ा खुलासा!
punjabkesari.in Friday, Dec 12, 2025 - 06:03 PM (IST)
इंटरनेशनल डेस्क: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, रूस और यूक्रेन के बीच चल रही शांति वार्ताओं के कई दौर के बाद ट्रंप ने कहा है वह अब 'समय बर्बाद नहीं करना चाहते'। ट्रंप रूस के अलावा यूरोपीय देशों और यूक्रेन से भी खफा हैं। यूरोप लंबे समय से ट्रंप के उस प्रस्ताव से बचने की कोशिश कर रहा है, जिसमें यूक्रेन को रूस को कुछ भू-भाग सौंपने की बात कही गई है। यूरोप ने इस प्लान को अस्वीकार्य बताया है, जबकि ट्रंप इसे 'तुरंत लागू होने वाला समाधान' मानते हैं। ट्रंप ने रूस-यूक्रेन के संघर्ष को तीसरे विश्वयुद्ध तक पहुँचने की बात कहते हुए चेतावनी दी, "अगर हर कोई इसी तरह के खेल खेलता रहा, तो अंततः तीसरा विश्व युद्ध छिड़ जाएगा।" यह बयान उन सभी देशों को सीधा संदेश है जो किसी भी पक्ष में खड़े हैं।
डिप्लोमेसी से दूरी और ज़ेलेंस्की का खुलासा
ट्रंप ने एक बिजनेस राउंडटेबल में अपनी झुंझलाहट व्यक्त करते हुए कहा कि वह यूरोप में केवल मीटिंग्स के लिए समय बर्बाद नहीं कर सकते। यह बयान बताता है कि ट्रंप अब खुद को इस diplomatic process से दूर करने की तैयारी में हैं। उधर यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदोमिर जेलेंस्की ने पहली बार यह स्वीकार किया कि अमेरिका उन पर 'बड़े भू-भाग छोड़ने' का दबाव बना रहा है। ज़ेलेंस्की ने खुलासा किया कि विवाद की सबसे बड़ी वजह डोनेत्स्क क्षेत्र और जापोरिज्ज्या न्यूक्लियर प्लांट पर नियंत्रण है।
रूस की 'एनर्जी ATM' पर यूक्रेन का बड़ा हमला
इसी तनाव के बीच यूक्रेन ने एक ऐसा कदम उठाया है जिसने रूस को चौंका दिया है। यूक्रेन ने पहली बार कैस्पियन सागर में रूस के ऑफशोर तेल प्लेटफॉर्म को लंबी दूरी के ड्रोन से निशाना बनाया है। विशेषज्ञ इसे रूस की तेल की कमाई, जिसे वे 'एनर्जी ATM' कहते हैं, पर सीधा हमला मान रहे हैं, क्योंकि इसी पैसे से रूस अपने युद्ध तंत्र को मज़बूत कर रहा है। पिछले कुछ महीनों में यूक्रेन ने रूस की एनर्जी फैसिलिटीज़ पर हमले तेज कर दिए हैं, अगस्त से नवंबर के बीच 77 एनर्जी फैसिलिटी को निशाना बनाया गया है। अब यूक्रेन एक ही रिफाइनरी को बार-बार टारगेट कर रहा है ताकि वह पूरी तरह चालू न हो सके।
विशेषज्ञों की राय
विशेषज्ञों का कहना है कि यूक्रेन के इस आक्रामक कदम के परिणामस्वरूप रूस की मरम्मत की रफ्तार काफी धीमी हो चुकी है। दूसरी ओर मोर्चे पर रूस धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा है और बातचीत का हर दौर रूस की मांगों को और मजबूत कर रहा है।

