ट्रंप का डबल गेम: ताइवान को रक्षा का वादा, जिनपिंग से भी मुलाकात की तैयारी, बोले-US और चीन के रिश्ते ‘‘बहुत अच्छे’’
punjabkesari.in Wednesday, Jul 23, 2025 - 01:04 PM (IST)

Washington: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की एशिया नीति एक बार फिर सुर्खियों में है। एक तरफ उन्होंने अपने ताजा बयान में चीन की तारीफ कर संकेत दिया है कि उनका बीजिंग दौरा अब ज्यादा दूर नहीं है, वहीं दूसरी तरफ वे ताइवान को भरोसा भी दिला चुके हैं कि हर हाल में अमेरिका उसके साथ खड़ा रहेगा। ट्रंप ने व्हाइट हाउस में फिलीपीन के राष्ट्रपति फर्डिनेंड मार्कोस जूनियर से मुलाकात के दौरान कहा कि ‘‘अब चीन की यात्रा बहुत दूर की बात नहीं’’ , जिससे साफ है कि दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं फिर से संबंधों को पटरी पर लाने की कोशिश में हैं।
ट्रंप ने कहा कि अमेरिका और चीन के रिश्ते ‘‘बहुत अच्छे’’ हैं। उन्होंने बताया कि चीन ने अमेरिका को दुर्लभ धातुओं से बने चुंबक बड़ी मात्रा में भेजना फिर शुरू कर दिया है। ये मैग्नेट आईफोन और इलेक्ट्रिक गाड़ियों जैसे हाईटेक प्रोडक्ट्स में इस्तेमाल होते हैं। ट्रंप के दोबारा सत्ता में आने के बाद से उनके और शी जिनपिंग के बीच मुलाकात को लेकर लगातार अटकलें लग रही हैं। अब उन्होंने खुद साफ कर दिया है कि बीजिंग यात्रा जल्द हो सकती है।चीन को लेकर नरमी के संकेत देने से ठीक पहले ट्रंप ने ताइवान के राष्ट्रपति फर्डिनेंड मार्कोस जूनियर से भी मुलाकात की और हर परिस्थिति में ताइवान के साथ खड़े रहने का भरोसा दिया। ट्रंप ने फिलीपीन के साथ ‘‘बेहतरीन सैन्य संबंधों’’ की भी तारीफ की। दरअसल अमेरिका इंडो-पैसिफिक में चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए फिलीपीन, ताइवान और दक्षिण कोरिया जैसे सहयोगियों को साथ लेकर चल रहा है।
इसी महीने मलेशिया में अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो और चीन के विदेश मंत्री वांग यी की मुलाकात भी हुई थी। कहा जा रहा है कि ट्रंप और जिनपिंग दक्षिण कोरिया में होने वाले एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (APEC) शिखर सम्मेलन में आमने-सामने आ सकते हैं। वहीं चीन की तरफ से इस प्रस्तावित दौरे पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। ट्रंप का चीन दौरा ऐसे समय पर सामने आया है जब वे पहले ही चीन के खिलाफ टैरिफ वॉर को ठंडे बस्ते में डालने के संकेत दे चुके हैं। उधर चीन भी रिश्तों में नरमी के संकेत दे रहा है। माना जा रहा है कि यह मुलाकात दोनों देशों के बीच व्यापार और रणनीतिक संबंधों को फिर से पटरी पर लाने की दिशा में एक बड़ा कदम हो सकती है।