परमाणु समझौता खत्म होने की कगार पर, ईरान ने संवर्धित यूरेनियम जखीरे की सीमा लांघी

punjabkesari.in Tuesday, Jul 02, 2019 - 12:39 AM (IST)

तेहरानः ईरान ने सोमवार को कहा कि उसने 2015 के परमाणु समझौते के तहत अपने संवर्धित यूरेनियम भंडार पर तय की गई सीमा को लांघ लिया है। अमेरिका द्वारा “अत्याधिक दबाव” बनाने के चलते यह समझौता खत्म होने की कगार पर पहुंच गया है।
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ईरान के विदेश मंत्री मोहम्मद जवाद जरीफ ने अर्ध सरकारी संवाद समिति आईएसएनए से कहा, “ईरान ने मई में घोषित अपनी योजना के आधार पर 300 किलोग्राम की सीमा पार कर ली है।” अमेरिका ने पिछले साल परमाणु सौदे से खुद को अलग कर लिया था और ईरान के महत्त्वपूर्ण तेल निर्यात और वित्तीय लेन-देन तथा अन्य क्षेत्रों पर सख्त प्रतिबंध फिर से लगा दिए थे। ईरान जिसने समझौते को बचाने के लिए इसके अन्य साझेदारों पर दवाब बढ़ाने की कोशिश के तहत आठ मई को घोषणा की थी कि वह संवर्धित यूरेनियम एवं हैवी वाटर भंडार पर लगाई गई सीमा को अब नहीं मानेगा।
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साथ ही धमकी दी थी कि वह और परमाणु प्रतिबद्धताओं को भी नहीं मानेगा जब तक कि समझौते के शेष साझेदार- ब्रिटेन, चीन, फ्रांस, जर्मनी और रूस इन प्रतिबंधों से उसे छुटकारा नहीं दिलाते खासकर तेल की बिक्री पर लगे प्रतिबंध से। सोमवार को प्रकाशित अपनी टिप्पणियों में जरीफ ने कहा कि ईरान ने अपनी मंशा मई में “बहुत स्पष्ट” तौर पर जाहिर कर दी थी।
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अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) ने सोमवार को पुष्टि की कि ईरान ने वह सीमा लांघ ली है जो समझौते ने उसके कम संवर्धित यूरेनियम के भंडार पर लगाई थी। प्रवक्ता ने कहा कि आईएईए ने, “एक जुलाई को पुष्टि की कि ईरान का संवर्धित यूरेनियम का कुल भंडार 300 किलोग्राम से अधिक हो गया है।” जरीफ ने कहा कि लेकिन, “यूरोपीय संघ के प्रयास पर्याप्त नहीं थे, इसलिए ईरान अपने घोषित कदमों के साथ आगे बढ़ेगा।'' उन्होंने कहा, “इनस्टेक महज उनकी प्रतिबद्धताओं की शुरुआत है, जिसे अब तक पूरी तरह लागू नहीं किया गया है।”

2015 में हुए इस सौदे के तहत ईरान ने कभी भी परमाणु बम नहीं रखने, उसके परमाणु कार्यक्रम पर लगाई गई कठोर सीमाओं को मानने और अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों को आंशिक रूप से हटाए जाने के बदले में आईएईए को निरीक्षण करने देने की प्रतिबद्धता जताई थी। लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति के आठ मई, 2018 को समझौते से पीछे हट जाने और बाद में प्रतिबंध लगाने से ईरान को वे फायदे नहीं मिले जिसकी उसे अपेक्षा थी और वह मंदी में डूब गया।


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Pardeep

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