Review: सपनों की कुर्बानी या नई शुरुआत? दिल छू लेने वाली कहानी हैं ‘कौशलजी वर्सेज कौशल’
punjabkesari.in Friday, Feb 21, 2025 - 03:18 PM (IST)
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फिल्म : कौशलजी वर्सेज कौशल (Kaushalji Vs Kaushal)
स्टारकास्ट : ईशा तलवार (Isha Talwar), आशुतोष राणा (Ashutosh Rana), शीबा चड्ढा (Sheeba Chaddha), and दीक्षा जोशी (Diksha Joshi)
निर्देशक : सीमा देसाई (Seema Desai)
रेटिंग : 3.5
Kaushalji Vs Kaushal: आज के वक्त में हम अपने सपनों और करियर के पीछे भागते-भागते भूल ही जाते हैं कि हमारे माता-पिता के भी कुछ सपने थे। वो बस हमारी खुशियों में अपनी खुशी तलाशते रहे, लेकिन क्या हमने कभी सोचा है कि उनकी भी कोई ख्वाहिश रही होगी? जियो हॉटस्टार पर रिलीज़ हुई फिल्म ‘कौशलजी वर्सेज कौशल’ इसी अहम मुद्दे पर बात करती है। यह सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि एक आइना है, जो हमें हमारे रिश्तों और परिवार के प्रति नई नजर से देखने पर मजबूर कर देती है। फिल्म में इमोशन्स के साथ साथ एक ऐसा संदेश है जो हमें अपने मम्मी-पापा के सपनों के बारे में सोचने पर मजबूर कर देगा!
कहानी
फिल्म एक ऐसे परिवार की कहानी बयां करती है, जहां साथ रहते हुए भी दूरियों की दीवार खड़ी हो गई है। कौशल जी (आशुतोष राणा) एक जिम्मेदार अकाउंटेंट हैं, लेकिन उनका असली जुनून कव्वाली गाना है। उनकी पत्नी (शीबा चड्ढा) एक साधारण गृहिणी होते हुए भी इत्र बनाने का सपना संजोए बैठी हैं। दोनों ने अपने सपनों को परिवार की जिम्मेदारियों के नीचे दबा दिया है।
उनका बेटा (पावेल गुलाटी) नोएडा में नौकरी करता है, और बेटी भी घर से दूर एनजीओ में काम कर रही है। वक्त के साथ परिवार के बीच की भावनात्मक डोर कमजोर पड़ने लगती है, और एक दिन कौशल दंपति तलाक लेने का फैसला कर लेते हैं। लेकिन कहानी तब दिलचस्प मोड़ लेती है, जब बेटे की गर्लफ्रेंड (ईशा तलवार) को एक ऐसा परिवार चाहिए जो प्यार और अपनापन महसूस कराए।
अब सवाल ये उठता है कि क्या कौशल दंपति अपने रिश्ते को एक और मौका देंगे? क्या वे अपने अधूरे सपनों को पूरा कर पाएंगे? इन सवालों के जवाब आपको फिल्म में देखने को मिलेंगे।
एक्टिंग
फिल्म की सबसे बड़ी ताकत इसके कलाकार हैं। आशुतोष राणा ने कौशल जी के किरदार में जान डाल दी है। उनकी बॉडी लैंग्वेज, हाव-भाव और बोलने का तरीका इतना स्वाभाविक है कि आप भूल जाते हैं कि वो एक्टर हैं। एक साधारण अकाउंटेंट की जिंदगी जीते हुए भी उनके अंदर छुपा कव्वाली गायक जब सामने आता है, तो वो आपको प्रभावित करता है। शीबा चड्ढा ने भी कमाल का काम किया है। एक ऐसी महिला, जो अपनी पहचान और सपनों को परिवार के लिए पीछे छोड़ चुकी है—शीबा ने इसे बहुत ही संजीदगी से निभाया है। उनकी हर भाव-भंगिमा में एक गहराई नजर आती है, जो सीधे दिल तक जाती है।
पावेल गुलाटी बेटे के किरदार में पूरी तरह फिट बैठे हैं। खासतौर पर एक सीन में जब वो अपने माता-पिता को ‘लूजर’ कहता है, तो आपको गुस्सा भी आता है और किरदार की सच्चाई भी महसूस होती है। ईशा तलवार खूबसूरत लगी हैं और उनकी स्क्रीन प्रेजेंस शानदार है। बृजेंद्र काला हमेशा की तरह अपने छोटे-छोटे सीन में भी छाप छोड़ जाते हैं। ग्रुषा कपूर और दीक्षा जोशी ने भी अच्छा काम किया है और अपनी भूमिकाओं के साथ पूरा न्याय किया है।
निर्देशन
फिल्म को सीमा देसाई ने डायरेक्ट किया है और उनकी सोच इस कहानी को एक मजबूत आधार देती है। उन्होंने फिल्म को सिर्फ एक फैमिली ड्रामा तक सीमित नहीं रखा, बल्कि इसमें एक गहरी सोच भी डाली है। कहानी भले ही हल्की-फुल्की लगे, लेकिन इसके पीछे का संदेश बेहद गंभीर है। सीमा ने हर सीन को इतने सहज तरीके से गढ़ा है कि वो बनावटी नहीं लगते।
स्क्रिप्ट को उन्होंने सिद्धार्थ गोयल के साथ मिलकर लिखा है, और इसकी सबसे बड़ी ताकत इसके इमोशनल मोमेंट्स हैं। कुछ सीन ऐसे हैं, जहां आप बिना इमोशनल हुए नहीं रह सकते। खासतौर पर माता-पिता के सपनों को लेकर जो बातचीत होती है, वो आपको सोचने पर मजबूर कर देती है। फिल्म की रफ्तार थोड़ी धीमी जरूर लग सकती है, लेकिन इसका असर अंत तक बना रहता है।
कुल मिलाकर, ‘कौशलजी वर्सेज कौशल’ सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि एक अहसास है, जो आपको अपने माता-पिता और उनके अधूरे सपनों के बारे में सोचने पर मजबूर कर देता है।