Dhadak 2 Review: जहां इश्क बेगुनाह था, लेकिन जात-पात ने उसे गुनहगार बना दिया
punjabkesari.in Thursday, Jul 31, 2025 - 06:38 PM (IST)

फिल्म: धड़क 2 (Dhadak 2)
स्टारकास्ट: सिद्धांत चतुर्वेदी (Siddhant Chaturvedi), तृप्ति डिमरी (Tripti Dimri)
निर्देशन: शाज़िया इकबाल (Shazia Iqbal )
प्रोड्यूसर: करण जौहर (Karan Johar)
रेटिंग: 3*
धड़क 2: प्यार कर लिया, लेकिन अपनी औकात भूल गया…”एक लाइन, जो न सिर्फ एक किरदार का दर्द बयां करती है, बल्कि इस समाज की हकीकत को भी दर्शाती है। धड़क 2 सिर्फ एक लव स्टोरी नहीं है ये उन हज़ारों दिलों की आवाज है, जो प्यार तो कर बैठते हैं, लेकिन समाज उन्हें एक-दूसरे से अलग करने की हर मुमकिन कोशिश करता है। जहां एक तरफ दिल धड़कता है, वहीं दूसरी तरफ जात-पात, समाज और सत्ता की ज़ंजीरें उस धड़कन को कुचलने लगती हैं। निलेश और विधि की कहानी आपको सिर्फ रोमांस नहीं दिखाती, ये आपको सवालों के कटघरे में खड़ा कर देती है
क्या प्यार करने के लिए भी जात देखनी पड़ेगी?
कहानी
प्यार कर लेना आसान है…लेकिन जब मोहब्बत किसी ताकतवर खानदान की बेटी से हो जाए तो वो महज़ एक रिश्ता नहीं रहता, जंग बन जाता है। धड़क 2 की कहानी निलेश और विधि की है दो दिल, दो जातियां और एक बगावती इश्क़। धड़क 2 एक ब्राह्मण लड़की विधि (तृप्ति डिमरी) और एक दलित लड़के नीलेश (सिद्धांत चतुर्वेदी) की कहानी है, जो एक लॉ कॉलेज में मिलते हैं। किताबों के पन्नों से शुरू हुआ रिश्ता कब दिल की गहराइयों तक उतर गया, उन्हें भी पता नहीं चला।सबकुछ ठीक चलता है, जब तक विधि उसे अपनी बहन की शादी में नहीं बुला लेती। वहीं से हालात बदलते हैं। एक ऊंची जाति के परिवार को अपनी बेटी का किसी दलित लड़के से जुड़ाव बर्दाश्त नहीं होता। कॉलेज की लाइब्रेरी में शुरू हुई नज़रें, कब साथ जीने-मरने के वादों में बदल गई किसी को पता ही नहीं चला। अब सवाल सिर्फ मोहब्बत का नहीं था… सवाल इज़्ज़त, खून और नाम का था। इस कहानी में सिर्फ मोहब्बत नहीं, एक लड़ाई है – बराबरी की, पहचान की, और इंसानियत की।
एक्टिंग
तृप्ति डिमरी फिर साबित करती हैं कि वो सिर्फ मासूम चेहरे नहीं, इमोशन की ताकत हैं। ‘विधि’ के किरदार में उनका दर्द, बगावत और मजबूरी सब कुछ उनकी आंखों से झलकता है। खासकर जब वो प्यार और परिवार के बीच फंसी होती हैं, उनका भावनात्मक टकराव दिल तोड़ देता है। सिद्धांत चतुर्वेदी ‘निलेश’ के रोल में बेहद कंट्रोल्ड और असरदार हैं। उनका गुस्सा, असहायता और टूटन सब कुछ बहुत नेचुरल लगता है। एक सीन में जब वो आत्म-सम्मान और प्यार के बीच जूझते हैं, वहां उनका परफॉर्मेंस चुपचाप चीखता है। इन दोनों की केमिस्ट्री बिना ज़्यादा बोले भी बहुत कुछ कह जाती है।धड़क 2 सिर्फ एक फिल्म नहीं, एक भावनात्मक अनुभव है जो एक्टिंग के स्तर पर दिल जीत लेती है। सौरभ सचदेवा ने 'धड़क 2' में ऐसा किरदार निभाया है, जो आपके ज़हन में देर तक बैठा रहता है। जिसकी सोच जाति और सम्मान के पुराने खांचे में जमी हुई है। स्क्रीन पर उनकी मौजूदगी ऐसी है कि हर बार वो आते हैं, तो सीन का तापमान बढ़ जाता है।
डायरेक्शन
शाज़िया इकबाल ने फिल्म को बहुत सच्चे और सीधे तरीके से दिखाया है। उन्होंने ये ध्यान रखा कि कहानी रियल लगे और इमोशन दिल तक पहुंचे। प्यार, जात-पात और समाज के बीच की जो टक्कर है, उसे उन्होंने बिना ज़्यादा ड्रामा बनाए अच्छे से पेश किया है। कई सीन ऐसे हैं जो बिना कुछ बोले भी बहुत कुछ कह जाते हैं। साजिया का काम साफ, सेंसिटिव और असरदार है।