मैं हमेशा खुद को एक बच्चे की तरह देखती हूँ , मैं ये सोचती हूँ कि मैंने क्या नहीं किया - हुमा कुरैशी
punjabkesari.in Thursday, Jun 26, 2025 - 03:25 PM (IST)

मुंबई। फिल्म ‘मालिक’ का नया गाना ‘दिल थाम के’ इन दिनों खूब सुर्खियां बटोर रहा है और इसकी चमकदार वजह हैं हुमा कुरैशी। अपने दमदार लुक और एक्सप्रेशंस से उन्होंने एक बार फिर साबित कर दिया है कि स्क्रीन पर उनकी मौजूदगी ही काफी है तहलका मचाने के लिए। 'मालिक' में राजकुमार राव और मानुषी छिल्लर लीड रोल में है और इसे डायरेक्ट किया है पुलकित ने और ये फिल्म रिलीज़ होने जा रही है 11 जुलाई को।
इसी के चलते हुमा कुरैशी ने पंजाब केसरी, नवोदय टाइम्स, जगबाणी और हिंद समाचार से खास बातचीत की। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश:
1 - ‘दिल थाम के’ सांग करने के पीछे की वजह क्या थी ?
मुझे ये सांग बहुत पसंद आया था। जब मुझे पहली बार ये गाना घर आकर सुनाया गया तो मैंने यही कहा था कि ये सांग पक्का चलेगा। बाकी सारे दोस्त है इस फिल्म में जो काम कर रहे हैं। वैसे भी मुझे पुलकित के साथ काम करना था उनकी भक्षक फिल्म भी मुझे बहुत पसंद आई थी। मैं उनको हमेशा कहती हूँ कि हम कुछ बड़ा और ड्रामाटिक करेंगे लेकिन मुझे नहीं पता था कि हम एक सांग करेंगे साथ में।
2 - राजकुमार राव के साथ शूटिंग एक्सपीरियंस कैसा रहा ?
मेरे तो वो बहुत अच्छे दोस्त हैं। मेरे लिए वो एक फॅमिली की तरह हैं। जब वो काम कर रहे होते हैं तो वो बहुत फोकस्ड होते हैं लेकिन जब वो काम नहीं कर रहे होते तब वो बहुत मस्ती करते हैं।
3 - इतना लंबा सफर तय किया आपने इंडस्ट्री में जहाँ हमेशा आपके काम की तारीफ़ हुई है तो अब आप खुद को कहाँ रखती हैं ?
कहीं नहीं। जिस दिन मैंने खुद को कहीं प्लेस कर दिया उस दिन जो भी बात है मुझमें वो खत्म हो जाएगी। मैं हमेशा खुद को एक बच्चे की तरह देखती हूँ , मैं ये सोचती हूँ कि मैंने क्या नहीं किया अभी तक मुझे वो करना है। आगे भी मेरे जो प्रोजेक्ट आने वाले हैं वो एकदम अलग होंगे वो भी अपनी अपनी कंडीशन की वजह से वो ये कि कोई रिपीट नहीं होना चाहिए जो मैं पहले कर चुके हैं। महारानी को बहुत प्यार मिला है तो हम उसका अगला सीजन कर सकते हैं लेकिन मुझे कोई रिपीट नहीं करना।
4 - आप कभी स्टीरियोटाइप नहीं हुई , क्या ये कॉन्शियस चॉइस है ?
हां जी 100% कॉन्शियस चॉइस है। लड़कियों को ना हमेशा से बताया जाता है कि आपकी एक शेल्फ लाइफ है या आप इसी रोल के लिए बने हैं , ये फालतू की बातें बहुत बोलते हैं लोग और बहुत ज्ञान बांटते हैं। लोगों को बहुत अच्छा लगता है कि आपको आपकी जगह दिखाई जाए कि आप किस काबिल है या लायक हैं। लेकिन मेरी कोशिश हमेशा कुछ अलग करने की रही है मैं एक ही चीज़ बार-बार नहीं कर सकती।
5 - जब भी आप कोई स्क्रिप्ट पढ़ती हैं तो ऐसी कौन सी चीज़ है जिसके साथ आप कभी समझौता नहीं कर सकती ?
मेरे लिए तो रेसपेक्ट सबसे ज़्यादा जरूरी है। मेरी तरफ से भी और सामने वाले की तरफ से भी। रोल बेशक दोस्ती में कैमियो करना ही क्यों ना हो। पैसे के बारे में मैं ज़्यादा नहीं सोचती। जहाँ मुझे काम करना है वहां मुझे किस तरह से ट्रीट किया जाता है वो बहुत ज़्यादा जरूरी है। जहाँ मुझे लगता है कि ये लोग ठीक नहीं है वो रोल मैं नहीं करती।
6 - आपके शुरूआती दिनों में आपके लिए सबसे बड़ी चुनौती कौन सी थी ?
मुझे बहुत अच्छी एडवाइस मिली थी एक लेडी से , उनका नाम था अमिता सहगल। उन्होंने मुझे कहा था 'सुनो मेरी बात , तुम मुझे एक अच्छे घर की लड़की लग रही हो , मत जाओ यहाँ , बहुत काम अच्छी फिल्मों की कास्टिंग होती है तुमको पता भी नहीं चलेगा। यहाँ-वहां तुम लोग भटकोगे तो अनजान लोगों से मिलेंगे और मायूस होगे। एड्स करो अगर तुम अच्छे हुए तो कैमरे में तो लोग तुम्हें देखेंगे। पता नई क्यों मुख्य उनकी बात अच्छी लगी और में एड्स पर फोकस किया और फिल्मों के ऑडिशन देना बंद कर दिया। और एड्स की वजह से ही मुझे मेरी पहली फिल्म 'गैंग्स ऑफ़ वासेपुर' मिली थी। मेरी लाइफ में तो बहुत ऐसे लोग मिले जिन्होंने बिना किसी स्वार्थ के मेरी मदद की है।