यहां गिरे थे मां के अधर, दर्शन मात्र से होती है मोक्ष की प्राप्ति

punjabkesari.in Thursday, Oct 06, 2016 - 09:32 AM (IST)

राजस्थान के माउंटआबू में अर्बुदा देवी का मंदिर अधर देवी शक्तिपीठ के नाम से स्थित है। यह स्थान 51 शक्तिपीठों में से एक है। माना जाता है कि इस स्थान पर मां पार्वती के होंठ गिरे थे। मां अर्बुदा देवी की पूजा माता कात्यायनी देवी के स्वरूप में की जाती है। अर्बुदा देवी मां कात्यायनी का ही स्वरूप माना जाता है। मां अर्बुदा देवी का मंदिर मांउंट आबू से 3 कि.मी. दूर एक पहाड़ी पर स्थित है। अर्बुदा देवी, अधर देवी और अम्बिका देवी के नाम से प्रसिद्ध है। यह मंदिर एक प्राकृतिक गुफा में प्रतिष्ठित है। इस मंदिर की स्थापना साढ़े पांच हजार वर्ष पूर्व हुई थी। अष्टमी की रात्रि यहां महायज्ञ होता है जो नवमी के सुबह तक पूर्ण होता है। नवरात्रों में यहां निरंतर दिन-रात अखंड़ पाठ होता है।

 

पौराणिक मान्यताअों के अनुसार इस स्थान पर मां पार्वती के होंठ गिरे थे। तभी से यह स्थान अधर देवी के नाम से जाना जाता है। अर्बुदा देवी की पूजा छठे दिन माता कात्यायनी के स्वरूप में की जाती है। भक्तजन मंदिर में सैकड़ों मीटर की यात्रा के पश्चात 350 सीढ़ियों को चढ़कर के मां के दर्शनों के लिए आते हैं। 

 

पौराणिक मान्यता के अनुसार नवरात्र के दिनों में माता के दर्शन मात्र से व्यक्ति को प्रत्येक दुखों से मुक्ति मिल जाती है अौर भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। नवरात्रों में यहां बहुत संख्या में भक्त मां के दर्शनों के लिए आते हैं। नवरात्र के छठे दिन मां अर्बुदा अर्थात माता कात्यायनी के दर्शनों के लिए यहां भक्तों की सुबह से ही भीड़ जमा हो जाती है। यहां पर अर्बुदा देवी का चरण पादुका मंदिर भी स्थित है। माता के चरण पादुका के नीचे उन्होंने बासकली राक्षस का संहार किया था। मां कात्यायनी के बासकली वध की कथा पुराणों में मिलती है। 

 

एक पौराणिक कथा के अनुसार दैत्य राजा कली जिसको बासकली के नाम से जाना जाता था। उसने हजारों वर्ष तप करके भोलेनाथ को प्रसन्न कर उनसे अजेय होने का वर प्राप्त किया। बासलकी वरदान प्राप्त कर घमंडी हो गया। उसने देवलोक में इंद्र सहित सभी देवताओं को कब्जे में कर लिया। देवता उसके आतंक से दुखी होकर जंगलों में छिप गए। देवताअों ने कई वर्षों तक तप करके मां अर्बुदा देवी को प्रसन्न किया। माता ने प्रसन्न होकर तीन स्वरूपों में दर्शन दिया। देवताअों ने माता से बासकली से मुक्ति दिलाने का वर मांगा। मां ने उन्हें तथास्तु कहा। माता ने बासकली राक्षस को अपने चरणों से दबा कर उसे मुक्ति प्रदान की। उसके पश्चात यहा मां के चरण पादुका की पूजा होने लगी। 

 

स्कंद पुराण में अर्बुद खंड में माता के चरण पादुका की महिमा है। कहा जाता है कि मां के चरण पादुका के दर्शन मात्र से ही मोक्ष की प्राप्ति होती है। 


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