मानो या न मानो: वैज्ञानिकों ने भी माना ‘सोना’ है सबसे श्रेष्ठ धातु

punjabkesari.in Sunday, Feb 20, 2022 - 11:18 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Why is gold the best metal: धर्मशास्त्र में स्वर्ण को धातुओं का राजा कहा गया है क्योंकि स्वर्ण में न तो जंग लगता है और न ही विकृत होता है। इसकी कांति व चमक स्थायी रहती है। इसलिए देवताओं के आभूषण, राजसी पूजा के लिए स्वर्ण सिंहासन एवं स्वर्ण के बर्तन ही काम में लिए जाते थे। इसके बाद चांदी, फिर तांबा, कांस्य एवं पीतल प्रतिमाओं का स्थान आता। इनकी वैज्ञानिक मान्यता कुछ यूं है :

PunjabKesari Why is gold the best metal

सोना : वैदिक युग में इसका प्रयोग राजा-महाराजा किया करते थे। ऐसी कई पौराणिक कहानियां मिलती हैं जिनमें किसी राजा द्वारा ऋषि-मुनियों का सत्कार करने के लिए सोने के बर्तनों का प्रयोग किया जाता था। श्री कृष्ण भगवान ने भी सोने के बर्तनों का प्रयोग किया था और सोने के बर्तन में ही सुदामा के पैर धोए थे। विशुद्ध सोने के बर्तन का प्रयोग करने से शरीर में बल की वृद्धि होती है। सोने में रोग प्रतिरोधक शक्ति सबसे अधिक होती है।

फ्रांस के मशहूर विद्वान बरंग्गार तो यहां तक कहते थे कि सोने का अधिक से अधिक उपयोग करने से मनुष्य कैंसर जैसी घातक बीमारियों से बच सकता है। प्रयोगों में यह सिद्ध हो गया है कि सोने में रोग-प्रतिरोधक क्षमता बहुत ज्यादा होती है। आयुर्वेद के अनुसार, ‘‘सोना शीतल, वीर्यवर्धक, बलदायक, भारी, रसायन, स्वादिष्ट, कड़वा, कसैला, पाक में मीठा, पिच्छिल, पवित्र, पुष्टिदायक, नेत्रों को हितकारी, बुद्धि, स्मरण शक्ति तथा विचारशील दायक, हृदय को प्रिय, आयु को बढ़ाने वाला, कांति तथा वाणी को स्वच्छ करने वाला, स्थिरतादायक व दो प्रकार के स्थावर, जंगम विष, क्षय, उन्माद, तीनों दोष व ज्वर का नाशक है।’’

PunjabKesari Why is gold the best metal

चांदी : चांदी के बर्तन भी प्राचीन काल से प्रयोग होते आ रहे हैं। आज भी कई सम्पन्न घरों में चांदी के टी-सैट और गिलास आदि का उपयोग होता है। चांदी की प्रकृति शीतल होती है, अत: चांदी के बर्तनों का प्रयोग पित्त को दूर करता है, मानसिक शांति व शरीर में शीतलता प्रदान होती है। यही नहीं, चांदी के बर्तनों का प्रयोग करने से आंखों की ज्योति भी बढ़ती है। आयुर्वेद के अनुसार चांदी शीतल, कसैली, खट्टी, पाक में तथा रस में मधुर, दस्तावर, आयुस्थापक, स्निग्ध, रेचक, वात तथा पित्तर को जीतने वाली और प्रमेहादि रोगों को शीघ्र नष्ट करती है।

तांबा : आधुनिक युग में तांबे के बर्तन आउटडेटेड हो गए हैं। हां, अभी भी मंदिर में पूजा के बर्तन तांबे के होते हैं। तांबा भी कम गुणकारी नहीं। कब्ज के मरीजों के लिए तांबे के बर्तन विशेष हितकारी होते हैं। तांबे के बर्तन में बासी पानी पीने से पेट साफ हो जाता है। तांबे के बर्तन चूंकि अपेक्षाकृत अधिक भारी होते हैं अत: उनमें खाना धीरे-धीरे पकता है जो अधिक पौष्टिक होता है।
तेज आग पर खाना पकाने से भोजन में पौष्टिक तत्व कम हो जाते हैं। भावप्रकाश के अनुसार कार्तिकेय स्वामी का शुक्र पृथ्वी पर गिरने से तांबा हो गया। यह तांबा, कसैला, मधुर, कड़वा, खट्टा, पाक में चटपटा, दस्तावर, पित्त तथा कफ को नष्ट करने वाला, शीतल, घाव को भरने वाला ,पाण्डुरोग, उदररोग, बवासीर, ज्वर, कुष्ठ रोग, खांसी, श्वास, क्षय, अम्लपित्त, सूजन, कृमि तथा शूक को नष्ट करता है।

कांसा : पहले कांसे के बर्तनों का प्रयोग किया जाता था। आजकल वैसे तो इनका प्रयोग नहीं किया जाता है लेकिन बड़े-बुजुर्गों की रसोई में कांसे के कुछ बर्तन तो अब भी मिल ही जाएंगे। ये बर्तन भी कम हितकारी नहीं होते। इनके प्रयोग से पित्त की शुद्धि होती है और बुद्धि बढ़ती है।

पीतल : इसकी प्रकृति गर्म होती है। अत: इन बर्तनों में बनाया गया भोजन कफ को दूर करता है। पीतल के बर्तनों में कीटाणुओं को नष्ट करने की क्षमता भी कम नहीं होती।

PunjabKesari Why is gold the best metal


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Niyati Bhandari

Related News