महाभारत: जानें, युद्ध के बाद कैसे बढ़ा पांडवों का वंश

punjabkesari.in Saturday, Jan 11, 2020 - 09:48 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

जब महाराज विराट ने यह सुना कि उनके पुत्र उत्तर ने समस्त कौरव-पक्ष के योद्धाओं को पराजित करके अपनी गायों को लौटा लाने में सफलता पा ली है, तब वह आनंदातिरेक में अपने पुत्र की प्रशंसा करने लगे। इस पर कङ्क (युधिष्ठिर) ने कहा कि जिसका सारथि बृहन्नला (अर्जुन) हो, उसकी विजय तो निश्चित ही है।

PunjabKesari what happened after the mahabharata war 

महाराज विराट को यह असह्य हो गया कि राजसभा में पासा बिछाने के लिए नियुक्त, ब्राह्मण कङ्क  उनके पुत्र के बदले नपुंसक बृहन्नला की प्रशंसा करे। उन्होंने पासा खींच कर मार दिया जिसके परिणामस्वरूप कङ्क की नासिका से रक्त निकलने लगा। सैरन्ध्री बनी हुई द्रौपदी दौड़ी और उन्होंने सामने कटोरी रख कर कङ्क की नासिका से निकलते हुए रक्त को भूमि पर गिरने से बचाया। जब विराट को तीसरे दिन पता लगा कि उन्होंने कङ्क के वेश में अपने यहां निवास कर रहे महाराज युधिष्ठिर का ही अपमान किया है, तब उन्हें अपने आप पर अत्यंत खेद हुआ।

उन्होंने अनजाने में हुए अपराधों के लिए और पांडवों से स्थायी मैत्री स्थापना के उद्देश्य से अपनी पुत्री उत्तरा और अर्जुन के विवाह का प्रस्ताव किया।

PunjabKesari what happened after the mahabharata war 

इस पर अर्जुन ने कहा— ‘‘राजन! मैंने कुमारी उत्तरा को बृहन्नला के रूप में वर्ष भर नृत्य और संगीत की शिक्षा दी है। यदि मैं राजकुमारी को पत्नी रूप में स्वीकार करता हूं तो लोग मुझ पर और आपकी पुत्री के चरित्र पर संदेह करेंगे और गुरु-शिष्य की परंपरा का अपमान होगा। राज कुमारी मेरे लिए पुत्री के समान है इसलिए अपने पुत्र अभिमन्यु की पत्नी के रूप में मैं उन्हें स्वीकार करता हूं। भगवान श्री कृष्ण के भांजे को जामाता के रूप में स्वीकार करना आपके लिए भी गौरव की बात होगी।’’

PunjabKesari what happened after the mahabharata war 

सभी ने अर्जुन की धर्मनिष्ठा की प्रशंसा की और उत्तरा का विवाह अभिमन्यु से संपन्न हो गया। महाभारत के संग्राम में अर्जुन संस्प्तकों से युद्ध करने के लिए दूर चले गए और द्रोणाचार्य ने उनकी अनुपस्थिति में चक्रव्यूह का निर्माण किया। भगवान शंकर के वरदान से जयद्रथ ने सभी पांडवों को व्यूह में प्रवेश करने से रोक दिया। अकेले अभिमन्यु ही व्यूह में प्रवेश कर पाए। महावीर अभिमन्यु ने अद्भुत पराक्रम का प्रदर्शन किया। उन्होंने कौरव पक्ष के प्रमुख महारथियों को बार-बार हराया। अंत में सभी महारथियों ने एक साथ मिलकर अन्यायपूर्वक अभिमन्यु का वध कर दिया।

PunjabKesari what happened after the mahabharata war 

उत्तरा उस समय गर्भवती थीं। भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें आश्वासन देकर पति के साथ सती होने से रोक दिया। जब अश्वत्थामा ने द्रौपदी के पांच पुत्रों को मार डाला तथा शिविर में आग लगाकर भाग गया, तब अर्जुन ने उसको पकड़ कर द्रौपदी के सम्मुख उपस्थित किया। वध्य होने के बाद भी द्रौपदी ने उसे मुक्त करा दिया, किंतु उसने कृतज्ञ होने के बदले पांडवों का वंश ही निर्मूल करने के लिए ब्रह्मास्त्र का प्रयोग किया। उत्तरा की करुण पुकार सुन कर भगवान श्री कृष्ण ने सूक्ष्म रूप से उनके गर्भ में प्रवेश करके पांडवों के एकमात्र वंशधर की ब्रह्मास्त्र से रक्षा की, किंतु जन्म के समय बालक मृत पैदा हुआ।

PunjabKesari what happened after the mahabharata war 

यह समाचार सुनकर भगवान श्री कृष्ण ने सूतिका गृह में प्रवेश किया। उत्तरा पगली की भांति मृत बालक को गोद में उठाकर कहने लगी, ‘‘बेटा! त्रिभुवन के स्वामी तुम्हारे सामने खड़े हैं। तू धर्मात्मा तथा शीलवान पिता का पुत्र है। यह अशिष्टता अच्छी नहीं। इन सर्वेश्वर को प्रणाम कर। सोचा था कि तुझे गोद में लेकर इन सर्वाधार के चरणों में मस्तक रखूंगी, किंतु सारी आशाएं नष्ट हो गईं।’’

भक्त वत्सल भगवान ने तत्काल जल छिड़क कर बालक को जीवन दान दिया। सहसा बालक का श्वास चलने लगा। चारों ओर आनंद की लहर दौड़ गई। पांडवों का यही वंशधर परीक्षित के नाम से प्रसिद्ध हुआ।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Niyati Bhandari

Recommended News

Related News