यहां जानें, किस वजह से आती है संबंधों में दरार

punjabkesari.in Tuesday, Apr 30, 2019 - 12:11 PM (IST)

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आज के समय हर कोई अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए कुछ न कुछ काम करता है। कई बार ऐसा होता है कि व्यक्ति की इच्छाओं की वजह से उसके घर-परिवार में ही अशांति बढ़ जाती है। जिसके कारण घर में कलह का माहौल पैदा हो जाता है। ऐसे में व्यक्ति को अपनी महत्वाकांक्षाओं पर काबू रखना चाहिए। आज हम आपको इसी से जुड़े कुछ रोचक प्रसंगों के बारे में बताएंगे, जोकि रामचरित मानस से लिए गए हैं।
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तुलसीदासजी कहते हैं कि-
कीट मनोरथ दारु सरीरा, जेहि न लाग घुन को अस धीरा।

इसका अर्थ यह है कि मनोरथ कीड़ा एक है और ये जो हमारा शरीर है वो लकड़ी के समान होता है और आज के समय में ऐसा धैर्यवान कौन है, जिसके शरीर में मनोरथ नाम का ये कीड़ा न लगा हो।

आगे उन्होंने इसे और साफ करते हुए कहा है कि-
सुत बित लोक ईषना तीनी, केहि कै मति इन्ह कृत न मलीनी।
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यानि कि पुत्र, धन और लोक प्रतिष्ठा, इन तीन प्रबल इच्छाओं ने किसकी बुद्धि को मलीन नहीं किया। यानि कि आज के टाइम ने सब को बिगाड़ दिया है। जो लोग बहुत अच्छे हैं वे भी इन इच्छाओं के चक्कर में उलझ गए हैं।
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शास्त्रों के अनुसार आज के समय में हर कोई माया के जाल में फंस कर रह गया है। हर व्यक्ति किसी न किसी मोह को लेकर बैठा है और वह उस मोह को अपने अंत समय तक भी नहीं छोड़ना चाहता है। इन्हीं इच्छाओं के चक्कर में इंसान का संबंध बाकि सब के साथ बिगड़ रहा है। भले ही व्यावसायिक उन्नति बहुत हो जाए, लेकिन सच्चा सुख और शांति तभी प्राप्त होती है जब व्यक्तिगत संबंध भी मधुर हो। इसलिए कहा गया है कि अपनी महत्वाकांशाओं को खुद पर इतना भी हावी न होने दो जिससे कि व्यक्ति अपने परिवार, मित्रों और शुभचिंतकों से ही दूर हो जाए और जब उसे इस बात का एहसास हो तब तक बहुत देर हो जाए व ऐसे में कोई किसी का साथ नहीं देता। 


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