Inspirational Story: सहनशीलता बढ़ाने के गुण जानना चाहते हैं तो अवश्य पढ़ें ये प्रसंग

punjabkesari.in Thursday, Apr 04, 2024 - 11:02 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Inspirational Story: पुराने समय में विद्वानों में अपने मत की पुष्टि करने के लिए अथवा किसी अन्य मत के खंडन के लिए परस्पर शास्त्रार्थ हुआ करते थे। बंगाल के प्रसिद्ध विद्वान पंडित विश्वनाथ शास्त्री अपनी विद्या में पारंगत थे।

सकल शास्त्र उनको कंठस्थ थे। एक बार वे किसी अन्य विद्वान के साथ शास्त्रार्थ में बैठे हुए थे। सभी लोग भले नहीं होते। शास्त्री जी के विपक्षी जब पराजय का अनुभव करने लगे तो उनमें से किसी ने सूंघनी तंबाकू की डिब्बी खोली और उसे विश्वनाथ शास्त्री जी के मुख पर उड़ेल दिया।

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शास्त्री जी ने अपने मुख पर लगे सारे तंबाकू को अंगोछे से भली प्रकार पोंछा। फिर बोले, यह तो कुछ क्षण के लिए प्रसंग के बाहर की बात हो गई। अब हम लोग अपने मूल विषय पर विचार करते हैं। उन्होंने न क्रोध का प्रदर्शन किया, नहीं किसी प्रकार का दुव्र्यवहार किया। यहां तक कि उन्होंने प्रतिरोध भी नहीं किया। उसे सामान्य विषयांतर बताकर बात को खत्म कर दिया।

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जैसा कि विपक्ष का दल जब पराजित होने लगा था, अंत प्रतिक्रिया में उसमें से एक व्यक्ति ऐसा दुष्कर्म कर बैठा। परिणाम जो भी होता, किंतु शास्त्री जी की सहनशीलता ने विपक्ष को तत्काल ही पराजित कर दिया। दूसरे पक्ष में जो वास्तव में विद्वान थे, उन्होंने नितांत लज्जा का अनुभव किया और वे शास्त्री जी से बार-बार क्षमा याचना करने लगे। शास्त्री जी ने भी बात को नजरअंदाज कर दिया, उस पर कुछ भी ध्यान नहीं दिया। उस काल के लोगों में इतनी सहनशीलता हुआ करती थी। 

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Content Editor

Prachi Sharma

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