Vishnupad Temple: भगवान विष्णु के पदचिन्हों पर बना है ये अनोखा मंदिर, जाने इसके पीछे का रहस्य
punjabkesari.in Thursday, Mar 06, 2025 - 12:21 PM (IST)

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Vishnupad Temple: बिहार के गया में स्थित इस चमत्कारी, रहस्यमयी और अद्भुत विष्णु मंदिर में जाने वाले हर व्यक्ति की मुराद पूरी होती है। कहते हैं कि अगर जीवन में कुछ भी समझ न आ रहा हो या परेशानियों ने आपको घेर रखा हो तो बस इस मंदिर में सच्ची श्रद्धा से जाएं। सिर्फ ऐसा करने से आपको लगेगा कि आप सभी परेशानियों से मुक्त हो गए हैं और आपको मन की खुशी अनुभव होगी। तो आइए जानते हैं इस मंदिर से जुड़े रहस्यों के बारे में-
कहा जाता है कि यह मंदिर भगवान विष्णु के पदचिन्हों पर ही बना है जो कि यहां देखने को भी मिलते हैं। इसी वजह से इसे विष्णुपद मंदिर कहा जाता है। फल्गु नदी के पश्चिमी किनारे पर स्थित ये मंदिर पर्यटकों के बीच काफी लोकप्रिय है। मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु के पैरों के निशान हैं, जो कि लगभग 40 सेमी लंबे बताए जाते हैं। ये देखने पर ही अति दिव्य दिखाई देते हैं। इस मंदिर का 1787 में इंदौर की महारानी अहिल्याबाई ने नवीनीकरण करवाया था। जिसके बाद से इसकी भव्यता और बढ़ गई।
वैसे तो अक्सर पितृ पक्ष के दौरान यहां पर श्रद्धालुओं की काफी भीड़ जुटती है। इसे धर्मशिला के नाम से भी जाना जाता है। ऐसी भी मान्यता है कि पितरों के तर्पण के बाद इस मंदिर में भगवान विष्णु के चरणों के दर्शन करने से समस्त दुखों का नाश होता है और पूर्वज पुण्यलोक को प्राप्त करते हैं। विष्णुपद मंदिर में बने चरणों की अंगुलियां उत्तर की ओर हैं और मंदिर तकरीबन 100 फीट का है। भगवान विष्णु का चरण चिह्न ऋषि मरीचि की पत्नी माता धर्मवेत्ता की शिला पर है। राक्षस गयासुर को स्थिर करने के लिए धर्मपुरी से माता धर्मवेत्ता शिला को लाया गया था, जिसे गयासुर पर रख भगवान विष्णु ने अपने पैरों से दबाया था। इसके बाद से शिला पर भगवान के चरण चिह्न है।
इन पदचिह्नों का श्रृंगार भी रक्त चंदन से किया जाता है। इस पर गदा, चक्र, शंख आदि अंकित किए जाते हैं। ये परंपरा भी काफी पुरानी बताई जाती है, जो कि मंदिर में अनेक वर्षों से की जा रही है। भगवान विष्णु का भी विशेष अवसरों पर भव्य श्रृंगार किया जाता है। इसके अतिरिक्त भी गया में अनेक तीर्थ स्थल हैं, किंतु यहां सर्वाधिक भक्त देखने को मिलते हैं। पितृपक्ष के दौरान यहां लगभग मेले का माहौल देखने मिलता है। यहां अनेक लोक कथाएं एवं जनश्रुतियां प्रचलित हैं। जिनमें से एक यह है कि यदि आप इस तीर्थ स्थान के नाम का स्मरण कर सच्चे हृदय से हाथ पसारते हैं, तो निश्चित ही हाथ में पानी की दो बूंदें गिरती हैं।