Bedi Hanuman Mandir: इस मंदिर में क्यों बेड़ियों में बंधे है हनुमान जी, जानें रहस्य

punjabkesari.in Sunday, Dec 07, 2025 - 01:27 PM (IST)

Bedi Hanuman Mandir: जब भी ओडिशा की बात होती है तो सबसे मन में मुख पर सबसे पहला नाम भगवान जगन्नाथ जी का ही आता है। जगन्नाथ मंदिर की मान्यताएं और यहां के चमत्कार दूर-दूर तक प्रसिद्ध है। इसी मंदिर के पास ही एक बेहद ही अनोखा मंदिर है जहां भगवान को बेड़ियों में बांधा गया है। ओडिशा के पुरी में चक्र तीर्थ मार्ग पर स्थित बेड़ी हनुमान मंदिर में  स्वयं बजरंग बली को बेड़ियों में बांधा हुआ है। इसके पीछे कारण की बात करें तो इससे जुड़ी एक बेहद ही रोचक कथा मिलती है। तो आइए जानते हैं इस मंदिर से जुड़े रहस्य के बारे में-

Bedi Hanuman Mandir

पौराणिक कथा के अनुसार, बात उस समय की है जब सभी देवता, मनुष्य और गंधर्व भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने के लिए पुरी पहुंचे। समुद्र देव को भी भगवान जगन्नाथ जी के दर्शन की इच्छा हुई तो वे सीधे मंदिर परिसर में प्रवेश कर गए। इससे मंदिर और वहां उपस्थित भक्तों को काफी कठिनाई का सामना करना पड़ा। तब भगवान जगन्नाथ ने हनुमान जी को पुरी धाम की सुरक्षा का दायित्व सौंपा और उन्हें समुद्र के किनारे निगरानी के लिए नियुक्त कर दिया।

कुछ समय तक हनुमान जी ने अपना कार्य पूरी निष्ठा से निभाया, लेकिन जैसे ही कहीं भगवान राम के भजन या कीर्तन की ध्वनि सुनाई देती, वे आकर्षित होकर उस ओर दौड़ पड़ते थे। इस परिस्थिति का फायदा उठाकर समुद्र देव आगे बढ़ आए और दोबारा पुरी के आसपास के कई गांव पानी में समा गए। लहरें इतनी भीतर तक पहुंचीं कि जल स्तर बढ़ते-बढ़ते जगन्नाथ मंदिर के गर्भगृह तक जा पहुंचा। जिससे फिर परेशानी खड़ी हो जाती थी। ऐसा दुबारा न हो, तब भगवान जगन्नाथ ने हनुमान जी को लोहे की बेड़ियों से बांध दिया ताकि वे वहां से जा न सकें और समुद्र देव मंदिर में प्रवेश न कर सकें। बता दें कि इन बेड़ियों का अर्थ भगवान हनुमान को दंड देना नहीं है,बल्कि ये कर्तव्य और भक्ति के बंधन को दर्शाता है।

Bedi Hanuman Mandir

इस मंदिर में स्थापित हनुमान जी की प्रतिमा अत्यंत आकर्षक और प्रभावशाली मानी जाती है। उनके दाहिने हाथ में गदा और बाएं हाथ में लड्डू दर्शाए गए हैं। श्रद्धालु यहां आकर हनुमान जी से सुरक्षा और साहस की कामना करते हैं। जीवन में किसी प्रकार का भय या संकट महसूस होने पर लोग इस मंदिर में आकर उनसे निर्भयता का आशीर्वाद मांगते हैं। मंदिर परिसर में भगवान राम, लक्ष्मण और माता सीता की मूर्तियां भी स्थापित हैं। वास्तुकला की दृष्टि से देखा जाए तो यह मंदिर 15 वीं शताब्दी में सूर्यवंशी गजपति शासकों द्वारा निर्मित माना जाता है। इसकी दीवारों और शिखरों पर पारंपरिक उड़िया शैली की सुंदर झलक स्पष्ट दिखाई देती है।

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Content Editor

Sarita Thapa

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